जीवत मरिए भवजल तरिए – राधास्वामी सत्संग ब्यास ऑडियो बुक्स

जीवत मरिए भवजल तरिए

इस पुस्तक में 1960 से 1970 दशक में महाराज चरन सिंह जी से भजन-सुमिरन के अभ्यास के विषय में पूछे गए प्रश्न और उनके उत्तर हैं । इन्हें पढ़कर पाठक को भजन-सुमिरन का अभ्यास करने की नेक सलाह और भक्ति-संबंधी पहलू पर उपयोगी प्रेरणा मिलती है । पुस्तक के आरंभ में संतों की शिक्षा का सारांश दिया गया है, और फिर भजन-सुमिरन का उद्देश्य; उसके लिए उचित वातावरण; उसके अभ्यास और उसके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है । पुस्तक के अंत में भजन-सुमिरन से संबंधित विषय जैसे दया-मेहर, प्रेम और भक्ति-भाव पर चर्चा की गई है । पुस्तक का शीर्षक, अभ्यास में लीन साधक की उस अवस्था ‘जीते-जी मरना’ की ओर संकेत करता है, जिसमें आत्मा स्थूल शरीर में से सिमटकर अंदर के रूहानी मंडलों में प्रवेश करती है ।

लेखक: महाराज चरन सिंह जी
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