शब्द – ऑडियो - राधास्वामी सत्संग ब्यास

ऑडियो शब्दों का संपूर्ण संग्रह

ये शब्द भारतीय उपमहाद्वीप में अलग-अलग रूहानी परंपराओं से जुड़े संत-महात्माओं और सूफ़ी फ़क़ीरों की बाणियाँ हैं। ये शब्द सत्य का गहरा संदेश देते हैं और बड़े भक्ति भाव से दिल की गहराईयों से गाए जाते हैं। ये शब्द आत्मा की परमात्मा से मिलाप की गहरी तड़प अभिव्यक्त करते हैं। इनमें से कई शब्द युवाओं द्वारा गाए जाते हैं। उनकी भक्ति भावना ज़ाहिर करने के लिए ही इन शब्दों को चुना गया। कहीं-कहीं छोटी-छोटी ग़लतियाँ हो सकती हैं, जैसे किसी लफ़्ज़ का ग़लत उच्चारण या कोई पंक्ति छूट गई आदि। श्रोताओं से निवेदन है कि यदि वे इन शब्दों को उनके शुद्ध रूप में जानना चाहते हैं तो इन शब्दों की मूल पुस्तकों की सहायता ले सकते हैं।

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शब्द संत
आज दिवस लेऊँ बलिहारागुरु रविदास जी
आज सुबेलो सुहावनोसंत कबीर जी
तुम मेरी राखो लाज हरीसूरदास जी
ऐसी दीखिआ जन सिउ मंगागुरु अर्जुन देव जी
अलिफ़ अल्ला चम्बे दी बूटीहज़रत सुलतान बाहू
अल्ला पढ़ियों हाफ़िज़ होयोंहज़रत सुलतान बाहू
अरे ऐ तक़ीसंत तुलसी साहिब जी
भावें जाण न जाण वेसाईं बुल्लेशाह जी
भजहो गोबिंद भूल मत जाहोसंत कबीर जी
बिन सतगुर सेवे जीअ के बंधनागुरु राम दास जी
बुल्ले नूँ समझावण आईआंसाईं बुल्लेशाह जी
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवागुरु अर्जुन देव जी
धनवंते दुखिया सभीसहजो बाई
गुन गोबिंद गाइओ नहीगुरु तेग़ बहादुर जी
गुर परमेसर करणैहारगुरु अर्जुन देव जी
गुरु के दर्शन कारने हम आएस्वामी जी
गुरू की मौज रहो तुम धारस्वामी जी
गुरू मैं गुनहगार अति भारीस्वामी जी
गुरु मेरे जान पिरानस्वामी जी
गुरू मोहिं दीजे अपना धामस्वामी जी
हम मैले तुम ऊजल करतेगुरु अर्जुन देव जी
हर जू राख लेहो पत मेरीगुरु तेग़ बहादुर जी
हे री मैं तो प्रेम दिवानीमीराबाई जी
जगत गाफिल पड़ा सोतासंत तुलसी साहिब जी
जे भुली जे चुकी साईंगुरु अर्जुन देव जी
जोड़ो री कोई सुरत नाम सेस्वामी जी
करूँ बेनती दोउ कर जोरीस्वामी जी
क्यों पीवे तू पानी हंसनीस्वामी जी
लख खुसीआ पातसाहीआगुरु अर्जुन देव जी
माधौ मुहि इक सहारौ तोरागुरु रविदास जी
मान करउ तुध ऊपरे मेरे प्रीतम पिआरेगुरु अर्जुन देव जी
मै अंधुले की टेक तेरा नामसंत नामदेव जी
मैं क्योंकर जावाँ काअबे नूँसाईं बुल्लेशाह जी
मैं उडीकाँ कर रहीसाईं बुल्लेशाह जी
मन चित चात्रिक ज्यों रहेसंत दादू दयाल जी
मिहरबान है साहेब मेराधनी धरमदास जी
मेरे साहिब तूं मै माण निमाणीगुरु अर्जुन देव जी
मेरे सतगुरु पकड़ी बाँहसंत कबीर जी
मेरी नजर में मोती आया हैसंत कबीर जी
नर का जनम मिलता नहींसंत तुलसी साहिब जी
पतित उधारण बिरद तुम्हारोसंत चरनदास जी
प्रभु जी संगति सरनि तिहारीगुरु रविदास जी
प्रेमी सुनो प्रेम की बातस्वामी जी
राख लेहो हम ते बिगरीसंत कबीर जी
राख पिता प्रभ मेरेगुरु अर्जुन देव जी
राख सदा प्रभ अपनै साथगुरु अर्जुन देव जी
राम सिमर पछुताहिगासंत कबीर जी
साहब मैं गुलाम हौं तेरादरिया साहिब
संत सनेही नाम हैसंत पलटू जी
सतगुर दीन दयाल बिनसंत तुलसी साहिब जी
सतसंग करत बहुत दिन बीतेस्वामी जी
शब्द बिना सारा जग अंधास्वामी जी
सोई धिआईऐ जीअड़ेगुरु अर्जुन देव जी
सुनता नहीं धुन की खबरसंत कबीर जी
सुरति करौ मेरे साइयाँसंत कबीर जी
सुरत तू कौन कहाँ से आईस्वामी जी
थिर घर बैसहो हर जन पिआरेगुरु अर्जुन देव जी
तिस गुर कउ सिमरउ सास सासगुरु अर्जुन देव जी
तुझ बिन कवन हमारागुरु अर्जुन देव जी
तुझ ऊपर मेरा है माणागुरु अर्जुन देव जी
तुम गुनवंत मैं औगुन भारीसहजो बाई
तुम्ह करहो दइआ मेरे साईगुरु अर्जुन देव जी
आ मिल यार सार लै मेरीसाईं बुल्लेशाह जी
आज दिवस लेऊँ बलिहारागुरु रविदास जी
आज घड़ी अति पावनस्वामी जी
आज हमारे ग्रिह बसंतगुरु अर्जुन देव जी
आज मेरे भाग जागेसंत कबीर जी
आज मेरे सतगुरुसंत कबीर जी
आज मेरे सतगुरु आए मिहमानधनी धरमदास जी
आओ जी तू आओ हमारेगुरु अर्जुन देव जी
आउ सखी हर मेल करेहागुरु राम दास जी
आओ सइयो रल देओ नींसाईं बुल्लेशाह जी
आप बिन कौन सुने प्रभ मोरीसंत कबीर जी
आप सज्जन हैंसंत तुकाराम जी
आपे बहु बिधि रंगुलागुरु नानक देव जी
आपणे करतव निभावांचुप दा संगीत
आरति राम गरीब निवाजासंत पलटू जी
आरति अरज लेहु सुनि मोरीजगजीवन साहिब जी
आशिक़ इश्‍क़ माही दे कोलोंहज़रत सुलतान बाहू
आठ पहर सालाहे सिरजनहार तू गुरु अर्जुन देव जी
आवहो भैणे गल मिलहगुरु नानक देव जी
आवहो सिख सतगुरू केगुरु अमर दास जी
आवहो सजणा हउ देखा दरसन तेरागुरु नानक देव जी
आवहो संत मै गल मेलाइऐगुरु राम दास जी
आए मिल गुरसिख आए मिलगुरु राम दास जी
आय मिलौ मोहि प्रीतम प्यारेमीराबाई जी
अबिचल नगर गोबिंद गुरू कागुरु अर्जुन देव जी
अब हम चली ठाकुर पह हारगुरु राम दास जी
अब का पै जाऊँ धुलानस्वामी जी
अब कैसे छूटै नाम रट लागीगुरु रविदास जी
अब कलू आइओ रे ॥गुरु अर्जुन देव जी
अब की बार बखस बंदे कउसंत कबीर जी
अब लगन लगी की करीएसाईं बुल्लेशाह जी
अब मैं कौन कुमति उरझानीस्वामी जी
अब मै कउन उपाउ करउगुरु तेग़ बहादुर जी
अब मैं सरण तिहारी जीमीराबाई जी
अब मन आतुरस्वामी जी
अब तो निभायाँ सरेगीमीराबाई जी
अब तोहि जाँन ना देहूँ राम पियारेसंत कबीर जी
अब तुम अपनी ओर निहारोसहजो बाई
ऐब निमाणी देसाईं बुल्लेशाह जी
ऐसा गुर वडभागी पाइआगुरु अर्जुन देव जी
ऐसी किरपा मोहे करहोगुरु अर्जुन देव जी
ऐसी लाल तुझ बिन कउन करैगुरु रविदास जी
ऐसी मांग गोबिद तेगुरु अर्जुन देव जी
अजहूँ न निकसै प्राण कठोरसंत दादू दयाल जी
अकह अपार अगाध अनामीस्वामी जी
अखी काढ धरी चरणा तलगुरु राम दास जी
अलिफ़ अल्ला चम्बे दी बूटीहज़रत सुलतान बाहू
अल्ला पढ़ियों हाफ़िज़ होयोंहज़रत सुलतान बाहू
अल्ला वालिआसरमद जी
अमरपुर लै चलु हो सजनासंत कबीर जी
अम्मा मेरा दिल लगासंत पलटू जी
अंम्रित नाम तेरा सोई गावैगुरु अर्जुन देव जी
अनंद भइआ मेरी माएगुरु अमर दास जी
अंतरजामी सो प्रभ पूरागुरु अर्जुन देव जी
अपना गुरू धिआएगुरु अर्जुन देव जी
अपने करम कीसंत कबीर जी
अपणे संग रलाईं प्यारेसाईं बुल्लेशाह जी
अपने सेवक कउ कबहु न बिसारहोगुरु अर्जुन देव जी
अरदास सुणी दातार प्रभगुरु अर्जुन देव जी
अरे ऐ तक़ीसंत तुलसी साहिब जी
अरे मन करो ऐसा जापसंत चरनदास जी
अत प्रीतम मन मोहना घटगुरु अर्जुन देव जी
अउखी घड़ी न देखण देईगुरु अर्जुन देव जी
अवल अलह नूर उपाइआसंत कबीर जी
बाबा बिख देखिआ संसारगुरु अर्जुन देव जी
बाबा नाहीं दूजा कोईसंत दादू दयाल जी
बाबीहा प्रिउ प्रिउ करेगुरु अमर दास जी
बाबुल मेरा वड समरथा गुरु अर्जुन देव जी
बालम आओ हमारे गेह रेसंत कबीर जी
बाल्हा मैं बैरागिण हूँगी होमीराबाई जी
बाप राँम सुनि बीनती मोरीसंत कबीर जी
बहुत जनम बिछुरे थे माधउगुरु रविदास जी
बंध पाइआ मेरै सतगुर पूरैगुरु अर्जुन देव जी
बंदी-छोर बिनती सुनि लीजैधनी धरमदास जी
बस कर जीसाईं बुल्लेशाह जी
भाग बड़े जो संत पधारे 1संत कबीर जी
भाग बड़े जो संत पधारे 2संत कबीर जी
भावें जाण न जाण वेसाईं बुल्लेशाह जी
भगता की टेक तूं संतागुरु अर्जुन देव जी
भजन बंदगी दी इच्छा नेभाई नंद लाल जी
भजन बिन बावरेसंत कबीर जी
भक्ति महातम सुन मेरे भाईस्वामी जी
भली भई जो गुरु मिले जा ते पाइआसंत कबीर जी
भई परापत मानुख देहुरीआगुरु अर्जुन देव जी
भीखा भूखा को नहींभीखा साहिब जी
भिंनी रैनड़ीऐ चामकन तारेगुरु अर्जुन देव जी
बिन दरसन भइ बावरीधनी धरमदास जी
बिन नावै जीवण ना थीऐगुरु राम दास जी
बिनवंत हौं कर जोरि कैसंत कबीर जी
बिरहिनि देइ संदेसरा सुनो हमारे पीवसंत कबीर जी
बिरहनी गुरु की सरन सम्हारस्वामी जी
बोल री राधा प्यारी बंसीस्वामी जी
बुल्लया मुल्लां अते मसालचीसाईं बुल्लेशाह जी
ब्याकुल बिरह दीवानीसंत तुलसी साहिब जी
चलो देखिये उस मस्तानड़े नूँसाईं बुल्लेशाह जी
चरण कमल तेरे धोए धोए पीवागुरु अर्जुन देव जी
चरन सरन गुरु एक पैंडाभाई गुरदास
चरनदास सतगुरु दियो, प्रेम प्याला छानसहजो बाई
चढ़ चंना ते कर रुशनाईहज़रत सुलतान बाहू
छोड़ मत जाज्यो जी महाराजमीराबाई जी
चुनर मेरी मैली भईस्वामी जी
चुनर मेरी रंगि डारीसंत कबीर जी
दादू इस संसार मेंसंत दादू दयाल जी
दास तेरे की बेनती रिदगुरु अर्जुन देव जी
दर्द दुखी मैं बिरहिन भारीस्वामी जी
दर्द करेजे होय साईं बिनसंत कबीर जी
दरस तेरे की पिआस मन लागीगुरु अर्जुन देव जी
दरसन दीजै राम दरसन दीजैगुरु रविदास जी
दरसन की मन आस घनेरीगुरु अर्जुन देव जी
दर्शन की प्यास घनेरीस्वामी जी
दरसन दीजे नाम सनेहीसंत कबीर जी
दरसन देख जीवा गुर तेरागुरु अर्जुन देव जी
दरसन कीजै साध कासंत कबीर जी
दरसन मागउ देह पिआरेगुरु अर्जुन देव जी
दइआ करहो बसहो मन आएगुरु अर्जुन देव जी
दीन दइआल भरोसे तेरेसंत कबीर जी
दीन के दयालगरीबदास
देहो दरस सुखदातिआगुरु अर्जुन देव जी
धन्य धन्य धन धन्य प्यारेस्वामी जी
धन धंन हमारे भागगुरु अर्जुन देव जी
धन सो वेला जित दरसन करणागुरु अर्जुन देव जी
ढिलक गई मेरे चरखे दी हत्थीसाईं बुल्लेशाह जी
धुबिया गुरु सम और न कोयस्वामी जी
दिल का हुजरासंत तुलसी साहिब जी
दिल काले तों मुँह काला चंगाहज़रत सुलतान बाहू
दिलहो मुहबतशेख फरीद जी
दोहेसंत चरनदास जी
दोहेसंत तुलसी साहिब जी
श्लोकशेख फरीद जी
दूखन लागै नैन दरस बिनमीराबाई जी
दुख भंजन तेरा नाम जीगुरु अर्जुन देव जी
दुलहनी करो पिया का संगस्वामी जी
लहिनी तोहि पिया के घर जानासंत कबीर जी
दुनिया विच असानूं सतगुरभाई नंद लाल जी
ए सरीरा मेरिआगुरु अमर दास जी
ईमान सलामत हर कोई मंगेहज़रत सुलतान बाहू
इह अरदास हमारी सुआमीगुरु अर्जुन देव जी
इह जग मीत न देखिओ कोईगुरु तेग़ बहादुर जी
एह तन मेरा चश्मां होवे, मुर्शिद वेखहज़रत सुलतान बाहू
एह तन रब्ब सच्चे दा हुजराहज़रत सुलतान बाहू
एक पिता एकस के हम बारिकगुरु अर्जुन देव जी
फागुन के दिन चारमीराबाई जी
फागुन मास रंगीला आयास्वामी जी
फरीदा तन सुका पिंजर थीआशेख फरीद जी
फिरदा मैं गुनाहा दे नाल भरिआसरमद जी
गली तो चारों बंद हुईमीराबाई जी
घर लाल आइआ पिआरागुरु अर्जुन देव जी
घड़ी एक नहिं आवड़ेमीराबाई जी
घट भीतर तू जाग रीस्वामी जी
घोल घुमाहीयां सारीचतुरदास जी
घूँघट चुक लै सज्‍जणाँसाईं बुल्लेशाह जी
घूँघट का पट खोलसंत कबीर जी
घूँघट ओहलेसाईं बुल्लेशाह जी
गोबिंद गोबिंद गोबिंदगुरु अर्जुन देव जी
गुरु भक्ती दृढ़ के करोस्वामी जी
गुर बिन अवर नाही मै थाउगुरु अर्जुन देव जी
गुरु बिन ज्ञानदया बाई
गुर जैसा नाही को देवगुरु अर्जुन देव जी
गुर का बचन बसै जीअ नालेगुरु अर्जुन देव जी
गुर का दरसन देख देख जीवागुरु अर्जुन देव जी
गुर का दरसन देख देख जीवागुरु अर्जुन देव जी
गुरु को कीजै दंडवतसंत कबीर जी
गुर मेरै संग सदा है नालेगुरु अर्जुन देव जी
गुरु मिले झुलावनहार सुरत आज झूल रहीस्वामी जी
गुर परमेसर करणैहारगुरु अर्जुन देव जी
गुर पूरा मेलावै मेरा प्रीतमगुरु राम दास जी
गुर पूरै किरपा धारीगुरु अर्जुन देव जी
गुर पूरै मेरी राख लईगुरु अर्जुन देव जी
गुर सेवा ते भगति कमाईसंत कबीर जी
गुरु तारेंगे हम जानीस्वामी जी
गुरू बिन कभी ना उतरे पारस्वामी जी
गुरु बिन मेरे और न कोयसंत चरनदास जी
गुरु गोबिंद दोऊ खड़ेसंत कबीर जी
गुरू गुरू गुर कर मन मोरगुरु अर्जुन देव जी
गुरू का ध्यान कर प्यारेस्वामी जी
गुरु करो मेहर की दृष्टिस्वामी जी
गुरू को ऊपर ऊपर गातास्वामी जी
गुरु मेरे जान पिरानस्वामी जी
गुरू मोहिं अपना रूप दिखाओस्वामी जी
गुरू मोहिं दीजे अपना धामस्वामी जी
गुरू ने मोहिं दीन्ही अजब जड़ीसंत कबीर जी
गुरु समान नहिं दातासंत कबीर जी
गुरू संग जागन का फल भारीस्वामी जी
गुरुदेव हमारे आवो जीसंत चरनदास जी
हम अंधुले अंध बिखै बिख रातेगुरु राम दास जी
हम बारिक तउ सरणाईगुरु अर्जुन देव जी
हम बारिक तुम पिता हमारेगुरु अर्जुन देव जी
हम भीखक भेखारी तेरेगुरु अमर दास जी
हम चात्रिक दीन सतगुर सरणाईगुरु राम दास जी
हम कूकर तेरे दरबारसंत कबीर जी
हम मैले तुम ऊजल करतेगुरु अर्जुन देव जी
हम ना मरै मरिहै संसारासंत कबीर जी
हम पतित तुम पतित उधरीआगुरु अर्जुन देव जी
हम संतन की रेन पिआरेगुरु अर्जुन देव जी
हम सर दीन दइआल न तुम सरगुरु रविदास जी
हमारे गुरु पूरन दातारसहजो बाई
हमारे तुमहीं हौ रखपालसंत दादू दयाल जी
हमन हैं इश्क़ मस्तानासंत कबीर जी
हमरा मन मोहिओ गुर मोहनगुरु राम दास जी
हमरा ठाकुर सभ ते ऊचागुरु अर्जुन देव जी
हंसनी छानो दूध और पानीस्वामी जी
हर बिन तेरो को न सहाईगुरु तेग़ बहादुर जी
हर दरसन बिन रहन न जाईगुरु नानक देव जी
हर इकसै नाल मै दोसतीगुरु अर्जुन देव जी
हर जन संत मिलहो मेरे भाईगुरु राम दास जी
हर जीउ क्रिपा करहोगुरु अमर दास जी
हर जीउ सदा तेरी सरणाईगुरु अमर दास जी
हर जी माता हर जी पितागुरु अर्जुन देव जी
हर के दरसन को मन चाउगुरु अर्जुन देव जी
हर को नाम सदा सुखदाईगुरु तेग़ बहादुर जी
हरि हरि हरि सुमिरौसूरदास जी
हउ रह न सकागुरु राम दास जी
हउ वार वार जाउ गुर गोपालगुरु अर्जुन देव जी
हउ वारी हउ वारणैगुरु नानक देव जी
हउ वारी मुख फेर पिआरेसंत कबीर जी
हउ पंथ दसाई नित खड़ीगुरु राम दास जी
हे मुसाफिर जागोसंत तुलसी साहिब जी
हे री मैं तो प्रेम दिवानीमीराबाई जी
होर दवा ना दिल दी कारीहज़रत सुलतान बाहू
इक राँझा मैनूँ लोड़ीदासाईं बुल्लेशाह जी
इश्क हक़ीकी ने मुट्ठी कुड़ेसाईं बुल्लेशाह जी
इश्क़ माही दे लाईआं अग्गींहज़रत सुलतान बाहू
जा का मीत साजन है समीआगुरु अर्जुन देव जी
जा प्रभ की हउ चेरुलीगुरु अर्जुन देव जी
जा तू मेरै वल हैगुरु अर्जुन देव जी
जाग पियारी अब का सोवैसंत कबीर जी
जाग रे मन जागनहारेगुरु अर्जुन देव जी
संग सखा सभ तज गएगुरु तेग़ बहादुर जी
जाऊँ कहाँ तजि चरन तुम्हारेगोस्वामी तुलसी दास जी
जाए मिला तिना सजणाशेख फरीद जी
जब से तुम बिछरे मेरे प्रभु जीमीराबाई जी
जब सुख दा सुनेहड़ासाईं बुल्लेशाह जी
जब ते दरसन भेटे साधू गुरु अर्जुन देव जी
जग में गुरु समान नहिं दातासंत कबीर जी
जगत जलंदा रख लै आपणी किरपा धारगुरु अमर दास जी
जैसा सतगुर सुणीदागुरु अर्जुन देव जी
जल जासी ढोला हथ न लाइशेख फरीद जी
जप मन सत नामगुरु राम दास जी
जउ तुम तोरो रामगुरु रविदास जी
जिहवा एक कवन गुन कहीऐगुरु अर्जुन देव जी
जीअरे ओल्‍हा नाम कागुरु अर्जुन देव जी
जीवंदयां मर रहणा होवेहज़रत सुलतान बाहू
झिम झिम वरसै अंम्रित धारागुरु अर्जुन देव जी
झूठा ख्वाब खयाल जहां जाताचतुरदास जी
जी मैं जब तेरा दर्शन पायागुरु अर्जुन देव जी
जिस दा साहिब डाढा होएगुरु अमर दास जी
जिस दै अंदर सच हैगुरु राम दास जी
जिस के सिर ऊपर तूं सुआमी 1गुरु अर्जुन देव जी
जिस के सिर ऊपर तूं सुआमी 2गुरु अर्जुन देव जी
जिस मिलिऐ मन होए अनंदगुरु राम दास जी
जिस पापी कउ मिलै न ढोईगुरु अर्जुन देव जी
जिस तू राखह तिस कउन मारैगुरु अर्जुन देव जी
जो दिल मंगेहज़रत सुलतान बाहू
जो दिन आवह सो दिन जाहीगुरु रविदास जी
जो नर दुख मै दुख नही मानैगुरु तेग़ बहादुर जी
जिउ भावै तिउ मोहे प्रतिपालगुरु अर्जुन देव जी
जिउ भावै तिउ राख लैगुरु राम दास जी
जिउ भावै तिउ राख मेरे साहिबगुरु राम दास जी
जिउ जिउ तेरा हुकमगुरु अर्जुन देव जी
कागा करंग ढंढोलिआशेख फरीद जी
काहे मन तू डोलतागुरु अर्जुन देव जी
काल मत जग में फैलास्वामी जी
काल ने जगत अजब भरमायास्वामी जी
कब गल लावहिगेगुरु राम दास जी
कबीर गरब ना कीजीएसंत कबीर जी
कदी आ मिल यार प्‍यारयासाईं बुल्लेशाह जी
कहिआ करणा दिता लैणागुरु अर्जुन देव जी
कैसी तौबा हैसाईं बुल्लेशाह जी
कलमे नाल मैं न्हाती धोतीहज़रत सुलतान बाहू
कर दो नाम दिवानास्वामी जी
कर किरपा मेरे प्रीतम सुआमीगुरु अर्जुन देव जी
कर किरपा प्रभ दीन दइआलागुरु अर्जुन देव जी
कर नहीं पाता कुछ भी जो हैसंत तुकाराम जी
करम होवै सतगुरू मिलाएगुरु अमर दास जी
करमहीण धन करै बिनंती कद नानकगुरु अर्जुन देव जी
करउ बेनंती सुणहो मेरे मीता संतगुरु अर्जुन देव जी
करूँ बेनती राधास्वामी आजस्वामी जी
करवत भला ना करवट तेरीसंत कबीर जी
कौण आया पहन लिबास कुड़ेसाईं बुल्लेशाह जी
कीता लोड़ह सो प्रभ होएगुरु अर्जुन देव जी
केहे लारे देना एँ सानूँसाईं बुल्लेशाह जी
खंभ मैं कित्थों लवांचुप दा संगीत
खेल खिलाए लाड लाडावैगुरु अर्जुन देव जी
खोज री पिया को निज घट मेंस्वामी जी
किझ न बुझैशेख फरीद जी
किरत करम के वीछुड़ेगुरु अर्जुन देव जी
किरपा करहो दीन के दातेगुरु अर्जुन देव जी
कोई आण मिलावै मेरा प्रीमत पिआरागुरु राम दास जी
कोई कछू कहे मन लागा रेमीराबाई जी
कोई कहियौ रे प्रभु आवन कीमीराबाई जी
कोटि कोटि करूँ बंदनास्वामी जी
किआ तू सोइआ जाग इआनागुरु रविदास जी
क्यों फिरत भुलानी जगत मेंस्वामी जी
लागा मोरे बानसंत कबीर जी
लागी चोट बहुत दुख सहीएसंत कबीर जी
लागी मोहिं राम खुमारी होमीराबाई जी
लाल रंग तिस कउ लगागुरु अर्जुन देव जी
लाल रंगीले प्रीतम मनमोहनगुरु अर्जुन देव जी
लगाओ मेरी नइया सतगुरु पारस्वामी जी
लटकारी चाल पे मैं वारी वारीसंत चरनदास जी
माधौ मुहि इक सहारौ तोरागुरु रविदास जी
माही वे तैं मिलयाँसाईं बुल्लेशाह जी
माई चरन गुर मीठेगुरु अर्जुन देव जी
माई गुर चरणी चित लाईऐगुरु अर्जुन देव जी
माई री मैं तो लीनो गोविंदो मोलमीराबाई जी
मछली तड़पे जल बिन जैसेसंत तुकाराम जी
म्हाँरी सुध ज्यूँ जानोमीराबाई जी
महरम होय सो जानै साधोसंत कबीर जी
मैं अंधुले की टेकसंत नामदेव जी
मै बंदा बै खरीदगुरु अर्जुन देव जी
मै बनजारन राम कीगुरु नानक देव जी
मै बउरी मेरा राम भतारसंत नामदेव जी
मै बिन गुर देखेगुरु राम दास जी
मै चारे कुंडा भालीआगुरु अर्जुन देव जी
मै गरीब सच टेक तूंगुरु अर्जुन देव जी
मैं कोझी मेरा दिलबर सोहणाहज़रत सुलतान बाहू
मैं कुसुंभड़ा चुण चुण हारीसाईं बुल्लेशाह जी
मैं क्योंकर जावां काअबे नूँसाईं बुल्लेशाह जी
मैं लजपालां दे लड़ लगीयांनियाज़ लाहौरवाले जी
मै मन तन बिरहोगुरु राम दास जी
मै मन तेरी टेक मेरे पिआरेगुरु अर्जुन देव जी
मैं मिरगा गुरु पारधीसंत चरनदास जी
मैं निरगुनीयाँ गुन नहिं जानाधरनीदास
मैं पुच्छाँ शौह दीआँ वाटाँसाईं बुल्लेशाह जी
मैं तेरे बिन ना जीवाँसाईं बुल्लेशाह जी
मैं तो गिरधर के घर जाऊँमीराबाई जी
मैं उडीकाँ कर रहीसाईं बुल्लेशाह जी
मैं वारी जाऊँ राममीराबाई जी
मन बैराग भइआगुरु अर्जुन देव जी
मन की मन हीगुरु तेग़ बहादुर जी
मन किउ बैराग करहगागुरु अर्जुन देव जी
मन लागो मेरो यारसंत कबीर जी
मन माने जब तार प्रभुजीमीराबाई जी
मन मंदर तन वेस कलंदरगुरु नानक देव जी
मन मस्त हुआ तब क्यों बोलेसंत कबीर जी
मन मेरे सतगुर कै भाणै चलगुरु अमर दास जी
मन मेरे सुख सहजगुरु अर्जुन देव जी
मन मेरे तिन की ओटगुरु अर्जुन देव जी
मन रे क्यों गुमान अब करनास्वामी जी
मन रे मान बचन इक मेरास्वामी जी
मन करि ले साहिब से प्रीतसंत कबीर जी
मन तन तेरा धन भी तेरागुरु अर्जुन देव जी
माँगूँ इक गुरु से दानास्वामी जी
मनुवाँ सब्‍द सुनत सुख पावैभीखा साहिब जी
मउली धरती मउलिआ अकाससंत कबीर जी
मिहरबान है साहेब मेराधनी धरमदास जी
मेरा बैद गुरू गोविंदागुरु अर्जुन देव जी
मेरा हर प्रभ सुंदर मै सार न जाणीगुरु राम दास जी
मेरा मन लोचै गुर दरसनगुरु अर्जुन देव जी
मेरा नाल सजण दे नेहो लग्गासाईं बुल्लेशाह जी
मेरा पिआरा प्रीतम सतगुरगुरु राम दास जी
मेरा सतगुर पिआरा कित बिधगुरु राम दास जी
मेरा सुंदर सुआमी जीगुरु अर्जुन देव जी
मेरै मन प्रेम लगो हर तीरगुरु राम दास जी
मेरे बाबा मै बउरासंत कबीर जी
मेरे बीठुला जन सरन तुम्हारीसंत कबीर जी
मेरे घर आया राम का प्यारागुरु रविदास जी
मेरे हर प्रीतम कीगुरु राम दास जी
मेरे लाल जीउगुरु नानक देव जी
मेरे लालन की सोभागुरु अर्जुन देव जी
मेरे माही क्यों चिर लाया एसाईं बुल्लेशाह जी
मेरे पिया की अगम हैं गतियांस्वामी जी
मेरे प्रीतमा हउ जीवागुरु राम दास जी
मेरे राम हम पापीगुरु राम दास जी
मेरे राम हर जन कै हउ बल जाईगुरु अर्जुन देव जी
मेरे राम हर संता जेवड न कोईगुरु अर्जुन देव जी
मेरे राम राए मुझ ते कछू नगुरु अर्जुन देव जी
मेरे राम राए तुध चित आइऐगुरु अर्जुन देव जी
मेरे राधास्वामी परम दयालास्वामी जी
मेरे राम इह नीच करमगुरु राम दास जी
मेरे साहिब तूं मै माण निमाणी गुरु अर्जुन देव जी
मेरे साहिबा मैं तेरी हो मुक्की आंशाह हुसैन जी
मेरे सतगुरा मैं तुझ बिन अवर ना कोएगुरु राम दास जी
मेरी हाथ तुम्हारे डोरीजगजीवन साहिब जी
मेरी नइया लगा दीजो पारमीराबाई जी
मेरो सुंदर कहो मिलै कित गलीगुरु राम दास जी
म्हाँरो जन्म मरण को साथीमीराबाई जी
मिल मेरे प्रीतमा जीउगुरु अमर दास जी
मिलता जाज्यो हो गुरुज्ञानीमीराबाई जी
मिठ बोलड़ा जीगुरु अर्जुन देव जी
मित्र तेरा कोई नहीं संगियन मेंस्वामी जी
मित्र पिआरे नूगुरु गोबिंद सिंह जी
मो कूँ कछु न चहिये रामसंत चरनदास जी
मू लालन सिउ प्रीत बनीगुरु अर्जुन देव जी
मोहि लागी लग्न गुरुमीराबाई जी
मोहिं मिला सुहाग गुरू कास्वामी जी
मोहे न बिसारहो मै जन तेरागुरु रविदास जी
मो कउ तार ले रामासंत नामदेव जी
मुझे शाम से मिलने की आरज़ू हैसंत चरनदास जी
मुँह आई बात ना रैह्न्दी एसाईं बुल्लेशाह जी
मुरलिया बाज रहीस्वामी जी
मुर्शिद मक्का, तालिब हाजीहज़रत सुलतान बाहू
मुर्शिद है शाहबाज़ इलाहीहज़रत सुलतान बाहू
ना ख़ुदा मसीते लभदासाईं बुल्लेशाह जी
ना पल बिछुड़े पिया हम सेसंत कबीर जी
नाथ मोहिं अब की बेर उबारोसूरदास जी
नदिया गहरी नाव पुरानीमीराबाई जी
नहीं समझ में है जो आतासंत तुकाराम जी
निज रूप पूरे सतगुरू काराय साहिब सालिगराम जी
निंदक जीवै जुगन जुगसंत पलटू जी
ओ मेरा राह दसेरा हैचुप दा संगीत
ऊच अपार बेअंत सुआमी कउण जाणैगुरु अर्जुन देव जी
ओइ साजन ओइ मीत पिआरेगुरु अर्जुन देव जी
पायो जी मैंने नाम रत्नमीराबाई जी
पगली हूँ हाँ पगली रेमीराबाई जी
पलै तैडै लागीगुरु अर्जुन देव जी
पलटू लिखा नसीब कासंत पलटू जी
पलटू यह संसार में कोऊ नाही मीतसंत पलटू जी
पर तिरिया नूँ समझ तूँ मातासंत तुकाराम जी
पढ़ पढ़ इलमहज़रत सुलतान बाहू
पर स्वारथ के कारनेसंत पलटू जी
पतित उधारण बिरद तुम्हारोसंत चरनदास जी
पीर मिलयां जे पीड़ ना जावेहज़रत सुलतान बाहू
पी ले प्याला हो मतवालासंत कबीर जी
पिता हमारो वड गोसाईसंत कबीर जी
पिता समझावहिगे हम बारिक मुगधगुरु राम दास जी
पिया बिन कैसे जीऊँस्वामी जी
पिय के ऐन बिन चैन न आवेसंत तुलसी साहिब जी
प्राणी एको नाम धिआवहोगुरु नानक देव जी
प्रानी किआ मेरा किआ तेरागुरु रविदास जी
प्रभ जी तू मेरे प्रान अधारैगुरु अर्जुन देव जी
प्रभ कीजै क्रिपा निधानगुरु राम दास जी
प्रभ मेरो इत उत सदा सहाईगुरु अर्जुन देव जी
प्रभ मिलबे कउ प्रीत मन लागीगुरु अर्जुन देव जी
प्रभु जी बक्सहु चूकि हमारीजगजीवन साहिब जी
प्रभु जी मेरे औगुन चित ना धरोसूरदास जी
प्रभु जू सरन तिहारी आयोसंत चरनदास जी
प्रभु जी तुम औगन बकसन हारगुरु रविदास जी
प्रीत लगी तुम नाम कीसंत कबीर जी
प्रीत बहुत संसार मेंसंत कबीर जी
प्रेम बराबर जोग नासंत चरनदास जी
प्रेम दिवाने जो भयेसहजो बाई
प्रेम सखी तुम करो बिचारसंत कबीर जी
प्रेमी सुनो प्रेम की बातस्वामी जी
प्यारे दर्शन दीजो आयमीराबाई जी
प्यासी अखियाँ गुरु दरसन की प्यासीसंत चरनदास जी
राख पिता प्रभ मेरेगुरु अर्जुन देव जी
राखहो अपनी सरण प्रभगुरु अर्जुन देव जी
राखो जी लाज गरीब निवाजसंत चरनदास जी
राम गुसईआ जीअ के जीवनागुरु रविदास जी
राम कृपा करि होहु दयालासंत दादू दयाल जी
राम मै हर हर नामगुरु राम दास जी
राम नाम गुण गाए ले मीतागुरु अर्जुन देव जी
रामईआ हउ बारिक तेरासंत कबीर जी
राँझा जोगीड़ासाईं बुल्लेशाह जी
राँझा राँझा करदी नीसाईं बुल्लेशाह जी
राज़ी यार दीअज्ञात
राधास्वामी धरा नर रूपस्वामी जी
राधास्वामी गाय कर, जनम सुफल करस्वामी जी
रहना नहिं देस बिराना हैसंत कबीर जी
रैण दिनस गुर चरण अराधीगुरु राम दास जी
रैण सुहावड़ी दिनस सुहेलागुरु अर्जुन देव जी
रख दिया मन तेरे चरणों मेंसंत तुकाराम जी
राम नाम मेरे मनमीराबाई जी
रमईए सिउ इक बेनतीगुरु रविदास जी
रंग जा तेरे प्यार दा चढ़िआचुप दा संगीत
रंग रता मेरा साहिबगुरु नानक देव जी
रसना जपती तूही तूहीगुरु अर्जुन देव जी
रटता क्यों नहिं रेमीराबाई जी
री मेरे पार निकसमीराबाई जी
सा धरती भई हरीआवलीगुरु राम दास जी
साचा साहिब एक तूसंत कबीर जी
साचा साह गुरू सुखदातागुरु नानक देव जी
साचे साहिबा किआ नाही घर तेरेगुरु अमर दास जी
साचे सतगुरू दातारागुरु अर्जुन देव जी
साची प्रीत हम तुम सिउ जोरीगुरु रविदास जी
साधो सो सतगुरुसंत कबीर जी
साईं बिन दरद करेजे होयसंत कबीर जी
साहिब के दरबार मेंसंत पलटू जी
साहेब लेइ चलोधनी धरमदास जी
साहब मैं गुलाम हौं तेरादरिया साहिब
साहिब साहिब क्या करैसंत पलटू जी
साजना संत आउ मेगुरु अर्जुन देव जी
साजनड़ा मेरा साजनड़ागुरु अर्जुन देव जी
सावल सुंदर रामईआसंत कबीर जी
सभ अवगण मै गुण नही कोईगुरु नानक देव जी
सभ जाए मिलहो सतगुरू कउगुरु राम दास जी
सभ ऊपर पारब्रहम दातारगुरु अर्जुन देव जी
सबतैं ऊँची प्रेम सगाईसूरदास जी
सहेलियां साजन घर आयोमीराबाई जी
सै रोज़े सै नफ़ल नमाज़ाहज़रत सुलतान बाहू
सजण बिन रातींशाह हुसैन जी
सजणाँ दे विछोड़े कोलोंसाईं बुल्लेशाह जी
सज्जन दर्शन देंदा नाहींचतुरदास जी
सखी री मैं तो गिरधर मीराबाई जी
संता के कारज आप खलोइआगुरु अर्जुन देव जी
संता की होए दासरीगुरु अर्जुन देव जी
संतन बिन अवर न दातागुरु अर्जुन देव जी
सतगुर अपुने सुनी अरदासगुरु अर्जुन देव जी
सतगुर आवो हमरे देसधनी धरमदास जी
सतगुर आइओ सरण तुहारीगुरु अर्जुन देव जी
सतगुर भीखिआ देह मै तूं संम्रथ दातारगुरु नानक देव जी
सतगुर दाता दइआल हैगुरु राम दास जी
सतगुरु है रंगरेज चुनर मेरीसंत कबीर जी
सतगुर होए दइआल ता सरधा पूरीऐगुरु नानक देव जी
सतगुरु से संगसंत कबीर जी
सतगुर खोटिअहो खरे करेगुरु नानक देव जी
सतगुर की सेवा सफल हैगुरु अमर दास जी
सतगुर मेरा बेमुहताजगुरु अर्जुन देव जी
सतगुर मेरा वड समरथागुरु अर्जुन देव जी
सतगुरु मेरी सुनो पुकारस्वामी जी
सतगुर पास बेनंतीआ मिलै नाम आधारागुरु अर्जुन देव जी
सतगुर से मांगू यहीसंत चरनदास जी
सतगुर सेव सरब फल पाएगुरु अर्जुन देव जी
सतगुरु सरन गहो मेरे प्यारेस्वामी जी
सतगुरु आय दिया जग हेलाराय साहिब सालिगराम जी
सतगुरु खोजो री प्यारीस्वामी जी
सतगुरु मोरी चूक सँभारोसंत कबीर जी
सतगुरु से करूँ पुकारीस्वामी जी
से वणजारे आए नी माँएँसाईं बुल्लेशाह जी
सीस भेट देउगुरु राम दास जी
सीस झुकाइये उस नूंहाफ़िज़
सीस उतारै हाथ सेसंत पलटू जी
सीतल चंदन चंद्रमा तैसे सीतल संतसंत पलटू जी
सेवक की अरदास पिआरेगुरु अर्जुन देव जी
सेवक सेवा में रहैसंत कबीर जी
सेवी सतगुर आपणागुरु अर्जुन देव जी
सिष का माना सतगुरुसहजो बाई
सिमर मना राम नामगुरु अर्जुन देव जी
सो सतगुर पिआरा मेरै नाल हैगुरु राम दास जी
सोई कराए जो तुध भावैगुरु अर्जुन देव जी
सुन ऐ तक़ी ना जाइयोसंत तुलसी साहिब जी
सुण फ़रियाद पीरां दिआ पीराहज़रत सुलतान बाहू
सुन कर बचन तुम्‍हारे सतगुरगुरु अर्जुन देव जी
सुण सजण प्रीतम मेरिआ मै सतगुर देहोगुरु अर्जुन देव जी
सुन सखीए प्रभ मिलण नीसानीगुरु अर्जुन देव जी
सुण यार हमारे सजणगुरु अर्जुन देव जी
सुनहो बिनंती ठाकुर मेगुरु अर्जुन देव जी
सुनहो बेनंतीआ सुआमी मेरेगुरु अर्जुन देव जी
सुनता नहीं धुन की खबरसंत कबीर जी
सुरत बुंद सत सिंध तजस्वामी जी
सुरत चल बावरी, क्यों घर बिसरायास्वामी जी
सुरत मेरी धोय डालोस्वामी जी
सुरत सुन बात रीस्वामी जी
सुरत तू चेत रीस्वामी जी
स्वामी सुनो हमारी बिनतीस्वामी जी
ताती वाउ न लगई पारब्रहम सरणाईगुरु अर्जुन देव जी
तै साहिब की मै सार ना जानीशेख फरीद जी
तलफै बिन बालम मोरा जियासंत कबीर जी
तनक हरि चितवौ जीमीराबाई जी
ते साधू हर मेलहो सुआमीगुरु राम दास जी
तीन लोक से जुदा हैसंत पलटू जी
तेरा भाणा तूहै मनाइहगुरु अर्जुन देव जी
तेरा कीता जातो नाहीगुरु अर्जुन देव जी
तेरे बाझ रंगीलिआ सजणा ओएसरमद जी
तेरे इश्क़ नचाइआँ कर थइआ थइआसाईं बुल्लेशाह जी
तेरे जीअ तू सद ही साथीगुरु अर्जुन देव जी
तेरी मेहर दा इक दरिआ वगदासरमद जी
ठाकुर ऐसो नाम तुम्‍हारोगुरु अर्जुन देव जी
तिल तिल का अपराधी तेरासंत दादू दयाल जी
तूहियों हैं मैं नाहीसाईं बुल्लेशाह जी
तोरी न तूटै छोरी न छूटैगुरु अर्जुन देव जी
तूं दाता जीआ सभना कागुरु अर्जुन देव जी
तू दरीआउ दाना बीनागुरु नानक देव जी
तूँ हीं तूँ गुरदेव हमारासंत दादू दयाल जी
तू जानत मै किछ नहीगुरु रविदास जी
तूं मेरा पिता तूंहै मेरा मातागुरु अर्जुन देव जी
तूं मेरा सखा तूंही मेरा मीतगुरु अर्जुन देव जी
तू मेरा तरंग हम मीन तुमारेगुरु अर्जुन देव जी
तूं मेरे लालन तूं मेरे प्रानगुरु अर्जुन देव जी
तूं मेरो मेर परबत सुआमीसंत कबीर जी
तू प्रभ दातागुरु नानक देव जी
तूं सागरो रतनागरोगुरु अर्जुन देव जी
तूं साजन तूं प्रीतम मेरागुरु अर्जुन देव जी
तूं साझा साहिब बाप हमारागुरु अर्जुन देव जी
तूं समरथ तूंहै मेरागुरु अर्जुन देव जी
तूं विसरह तां सभ को लागूगुरु अर्जुन देव जी
तुझ बिन क्यूं जीऊँ रेसंत नामदेव जी
तुलसी बिरवा बाग केसंत तुलसी साहिब जी
तुम्ह बिन राँम कवन सों कहियेसंत कबीर जी
तुम बिन रह्यो न जायमीराबाई जी
तुम दाते ठाकुर प्रतिपालकगुरु अर्जुन देव जी
तुम दीपक मैं भइ हूं पतंगास्वामी जी
तुम घर आवहो मेरे मीतगुरु अर्जुन देव जी
तुम गुनवंत मैं औगुन भारीसहजो बाई
तुम ही हो रखपाल हमारेसंत दादू दयाल जी
तुम्ह करहो दइआ मेरे साईगुरु अर्जुन देव जी
तुम मेरी राखो लाज हरीसूरदास जी
तुम मेरो साईं मैं तेरो दासदरिया साहिब
तुम्‍ह मिलते मेरा मन जीओगुरु अर्जुन देव जी
तुम मेरी राखो लाज हरीसूरदास जी
तुम पलक उघाड़ो दीनानाथमीराबाई जी
तुम साहब करतार होसंत चरनदास जी
तुम्‍ह सरणाई आइआ ठाकुरगुरु अर्जुन देव जी
तुम सों यह मन लागा मोराजगजीवन साहिब जी
तुम सुणौ दयाल म्हाँरी अरजीमीराबाई जी
तुमरी क्रिपा मह सूख घनेरेगुरु अर्जुन देव जी
तुसीं आओ मिलो मेरी प्यारीसाईं बुल्लेशाह जी
उठ गए गवाँढों यारसाईं बुल्लेशाह जी
उठ दिला चल ढूँडन चलियेअज्ञात
उठ जाग घुराड़े मार नहींसाईं बुल्लेशाह जी
वाह सोहणिआसाईं बुल्लेशाह जी
वडे मेरे साहिबागुरु राम दास जी
वै दिन कब आवैंगे माइसंत कबीर जी
वे प्यारया साडे वल्ल मुखड़ा मोड़साईं बुल्लेशाह जी
वेखो नी की करसाईं बुल्लेशाह जी
वेखो नी शौह इनायत साईंसाईं बुल्लेशाह जी
विण बोलिआ सब किछ जाणदागुरु अमर दास जी
बंझा ने बालक जायास्वामी जी
यह तन दुर्लभ तुमने पायास्वामी जी
कदी मोड़ मुहारां ढोलिआसाईं बुल्लेशाह जी

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