मेडिकल कैम्प – राधास्वामी सत्संग ब्यास

मेडिकल कैम्प

दाँतों की सुरक्षा के बारे में

दाँतों की जाँच

डेरा बाबा जैमल सिंह में आयोजित वार्षिक मेडिकल कैम्प
1990 के शुरुआती दशक में सेवादारों की नि:शुल्क मेडिकल जाँच के लिए डेरा अस्पताल ने एक कार्यक्रम शुरू किया था। सन्‌ 2003 में इसे औपचारिक रूप से बड़े पैमाने पर आयोजित किया गया और इसे वार्षिक मेडिकल कैम्प का नाम दिया गया। वार्षिक मेडिकल कैम्प का उद्देश्य है – रोगों से बचाव, उन कारणों की पहचान जिससे बीमारी लग सकती और साथ ही उन बीमारियों का पता लगाना जिनके लक्षण अभी प्रकट नहीं हुए। इस स्वास्थ्य जाँच से मरीज़ की सेहत के बारे में पता चलता है जिससे किसी भी बिमारी को गंभीर रूप लेने से पहले रोकने में मदद मिलती है। बहुत-सी बीमारियाँ ग़लत जीवनशैली की वजह से होती हैं। वार्षिक मेडिकल जाँच के बाद इन समस्याओं से निपटने के लिए अस्पताल की ओर से जागरुकता कार्यक्रम और काउंसलिंग सेशन आयोजित किए जाते हैं ताकि सेवादारों को नियमित व्यायाम, अच्छे भोजन और स्वस्थ जीवनशैली की महत्ता का पता चल सके। अच्छी सेहत बनाए रखने के लिए हर इनसान को ख़ुद स्वस्थ आदतें डालनी हैं, और लगातार कोशिश करते रहना है।

यह वार्षिक मेडिकल कैम्प हर साल डेरा सेवादारों, डेरा निवासियों और उनके परिवार के लिए अस्पताल में आयोजित किया जाता है। पूरे भारत के अलग-अलग इलाक़ों से लगभग 225 डॉक्टर और सहायक सेवादारों की एक टीम आती है। हर साल अक्तूबर/नवंबर के महीने में मेडिकल कैम्प एक सप्ताह के लिए लगता है जिसमें क़रीब 4000 लोगों के स्वास्थ्य की जाँच होती है।

डॉक्टरों की टीम में चिकित्सा के सभी क्षेत्रों के स्पेशलिस्ट और सुपरस्पेशलिस्ट होते हैं। सभी मरीज़ों का स्वास्थ्य संबंधी रिकॉर्ड अस्पताल के कंप्यूटर में दर्ज रहता है।

स्वास्थ्य जाँच के अलावा अन्य लेबोरेटरी टेस्ट भी किए जाते हैं। बॉडी मास इंडेक्स (बी.एम.आई.) की मदद से शुरुआती दौर में ही अधिक वज़न या मोटापे का पता चलने से लोगों को सही खान-पान की सलाह दी जाती है। जाँच के दौरान ज़रूरत पड़ने पर बोन मास डेंसिटी, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ़ी, विभिन्न अंगों का अल्ट्रा साउंड, इकोकार्डियोग्राफ़ी, ट्रेडमिल टेस्ट, टोनोमेट्री, फ़ंडस फ़ोटोग्राफ़ी, पैप स्मीयर, यूरोफ्लोमेट्री और ऑडियोमेट्री टेस्ट भी किए जाते हैं। हर साल मरीज़ों के दाँतों की जाँच की जाती है और ज़रूरी उपचार के लिए फॉलोअप के लिए भी बुलाया जाता हैं।

रक्त जाँच

मेडिकल कैम्प के दौरान सामने आई बीमारी और पहले से चल रही बीमारी के लिए डेरा अस्पताल में फॉलोअप किया जाता है। कोई गंभीर बीमारी है और इसके लिए विशेषज्ञ की ज़रूरत है, तो उन्हें रेफ़रल दिया जाता है।

स्वास्थ्य के प्रति इस सक्रिय दृष्टिकोण से फ़ायदा होता है; दो छोटे दृष्टांत इसका खुलासा करते हैं। अधेड़ उम्र का एक सेवादार जिसके हृदय रोग के कोई लक्षण नहीं थे और मज़े से अपनी ज़िंदगी जी रहा था, जब उसका स्ट्रेस टेस्ट किया गया तो पता चला कि उसे बाईपास सर्जरी की ज़रूरत है। ऐसा न करने पर उसकी इस हालत का पता शायद जानलेवा दिल के दौरे के बाद चलता। एक और सेवादार के पैप स्मीयर टेस्ट के दौरान गर्भाशय में घाव का पता चला, जो भविष्य में कैंसर बन सकता था। समय पर किए गए इलाज के कारण बीमारी जड़ से ठीक हो गई। बेशक, समय पर पता चलने से, खान-पान में परिवर्तन लाने और अन्य बातों का ध्यान रखने से कई बीमारियों को आसानी से रोका जा सकता है।

डेरा में वार्षिक आई कैम्प
भारत में बहुत से लोग मोतियाबिंद के कारण अंधे हो जाते हैं, आम तौर पर उनका एक छोटे-से ऑपरेशन से इलाज किया जाता है। 1965 में महाराज चरन सिंह जी ने डेरा में पहला आई कैम्प शुरू किया ताकि मोतियाबिंद के मरीज़ों को जिन्हें चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, सहायता दी जा सके। यह सेवा बिना किसी जाति, धर्म, रंग और सामाजिक भेदभाव के की गई। सन्‌ 1965 से 2002 के दौरान कई आई कैम्प लगाए गए, जिनमें लगभग 59,000 लोगों का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया गया। राधास्वामी ट्रस्ट ब्यास ने इन कैम्प्‌स का तमाम ख़र्चा उठाया। डेरा में आख़िरी आई कैम्प नवंबर 1989 में लगाया गया। यह जानकारी एक फ़ोटो एलबम में दर्ज है, कैम्प्‌स की एक फ़िल्म भी बनाई गई है।

लव इन एक्शन: डेरा आई कैम्प
ब्लैक एंड व्हाइट एलबम ‘लव इन एक्शन’ में डेरा ब्यास में 1989 में लगे 22वें आई कैम्प के हर पहलू को दिखाया गया है। हर क्षेत्र से आए 6000 से ज़्यादा मरीज़ों का मोतियाबिंद के अलावा आँखों की अन्य बीमारियों का भी इलाज किया गया। मरीज़ों को चिकित्सा उपचार, भोजन, आवास और ऑपरेशन के बाद की देखभाल सुविधाएँ नि:शुल्क प्रदान की गई। इस फ़ोटो एलबम में सतगुरु की मरीज़ों के लिए करुणा और दया, प्रेम और सेवा भाव, राधास्वामी सत्संग ब्यास संस्था के उच्च मूल्य और डॉक्टरों तथा 7000 से भी ज़्यादा सेवादारों का अनुशासन में रहकर सेवा करना दिखाया गया है। असल में यह समर्पण, निष्काम सेवा और ख़ुद को भूलाकर दूसरों के लिए कुछ करने की कहानी है।

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डेरा आई कैम्प वीडियो (44 मिनट)
डेरा आई कैम्प वीडियो में नवंबर 1989 में हुए 22वें डेरा आई कैम्प की प्रेरणादायक कहानी रिकार्ड की गई है। यह फ़िल्म जाँच से लेकर ऑपरेशन और उसके बाद की देखभाल की सारी प्रक्रिया दिखाती है। इसमें 7000 सेवादारों द्वारा 6000 मरीज़ों की देखभाल तथा डॉक्टरों की कुशलता और उनके प्रति सेवा भाव और करुणा दिखाई गई है। यह फ़िल्म समर्पण, निष्काम सेवा और ख़ुद को भूलाकार दूसरों के लिए कुछ करने की अनोखी भावना को दर्शाती है।
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