आपदा राहत

राधास्वामी सत्संग ब्यास, लेह राहत – बहु-उद्देशीय शेड जिनमें गीले और सूखे शौचालय हैं (गर्मी और सर्दी दोनों मौसम में इस्तेमाल लायक)
जहाँ ज़रूरी होता है, राधास्वामी सत्संग ब्यास आपदा राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती है। अगर संभव हो तो राधास्वामी सत्संग ब्यास जल्दी से जल्दी जीवनरक्षक सहायता जैसे भोजन, पानी, आश्रय, कपड़े और चिकित्सा उपलब्ध करवाती है। इन अहम ज़रूरतों के पूरा हो जाने के बाद सारा ध्यान बेघर परिवारों के लिए घर जुटाने और स्कूल के निर्माण की ओर लग जाता है ताकि बच्चों की पढ़ाई पर असर न पड़े। राधास्वामी सत्संग ब्यास के इंजीनियरों ने भूकंप के झटकों से प्रभावित न होनेवाला एक ढाँचा तैयार किया जो पहली बार गुजरात में इस्तेमाल किया गया। इस मॉडल के आधार पर कश्मीर, लद्दाख और नेपाल के आपदाग्रस्त इलाक़ों में बहु-उद्देशीय शेड बनाए गए, जिनका इस्तेमाल लोगों को ठहराने के लिए और स्कूल के रूप में किया गया। राधास्वामी सत्संग ब्यास हर इलाक़े में अपने लोकल सेंटर्स के ज़रिए जीवन रक्षक सामग्री और कंस्ट्रक्शन का सामान आपदा ग्रस्त इलाक़ों में पहुँचाती है। हज़ारों सेवादार आपदा राहत गतिविधियों में भाग लेकर निर्माण कार्य पूरा करते हैं। हालाँकि राधास्वामी सत्संग ब्यास संस्था को इन राहत कार्यों में मदद करने के लिए सराहना मिलती है, लेकिन इसका सारा श्रेय इसके सेवादारों को जाता है जो अनेक असुविधाओं के बावजूद मुश्किल हालात में, दिन-रात उन लोगों की मदद करते हैं जिन्हें वे जानते भी नहीं। यह संत-सतगुरुओं द्वारा सिखाई गई सबसे उच्च कोटि की निष्काम सेवा है। जैसे महाराज चरन सिंह जी फ़रमाया करते थे, "आपको किसी की सेवा करने का मौक़ा मिला है, इस बात से अपने अंदर संतुष्टि और ख़ुशी महसूस होना ही सेवा का सबसे बड़ा इनाम है।"
नेपाल

25 अप्रैल 2015 को नेपाल में बहुत बड़े पैमाने पर भूकंप आया जो इसके इतिहास में सबसे बड़े भूकंपों में से एक था। इस भूकंप से काठमंडू और आसपास के इलाक़ों में भारी तबाही हुई और 80 लाख लोग प्रभावित हुए।
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लेह, लद्दाख

5-6 अगस्त 2010 को लेह में अचानक आई भारी बाढ़ से बड़े पैमाने पर मिट्टी के खिसकने और धंसने से घरों और बुनियादी ढाँचे को भारी नुकसान पहुँचा। अनेक लोग बेघर हो गए और सैंकड़ों मारे गए।
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जम्मू और कश्मीर

8 अक्तूबर 2005 को कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले के उरी/तंगधार इलाक़े में एक विनाशकारी भूकंप आया जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ और बड़ी तादाद में लोग बेघर हो गए।
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गुजरात

26 जनवरी 2001 को गुजरात में एक ज़बरदस्त भूकंप आया जिसमें 20,000 लोगों की मौत हो गई और हज़ारों घर, इमारतें और भवन बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए।
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