पाथसीकर्स स्कूल – राधास्वामी सत्संग ब्यास

पाथसीकर्स स्कूल

पृष्ठभूमि
‘आर.एस.एस.बी. एज्यूकेशनल और एन्वायरन्मेंटल सोसाइटी’ एक रजिस्टर्ड सोसाइटी है जिसका हेडक्वार्टर पंजाब राज्य में डेरा बाबा जैमल सिंह, ब्यास है। इस सोसाइटी के अंतर्गत 1 अप्रैल 2014 को पाथसीकर्स स्कूल शुरू किया गया, जिसमें प्री-प्राइमरी और प्राइमरी विंग की अलग-अलग कक्षाओं में कुल 570 बच्चे थे। अब यह संख्या बढ़कर लगभग 900 हो गई है। सन्‌ 2019-2020 में जब स्कूल बारहवीं कक्षा तक हो जाएगा तब विद्यार्थियों की संख्या बढ़कर 1200 पहुँच जाएगी। ये विद्यार्थी डेरा के सेवादारों और ब्यास, भोटा तथा सिकंदरपुर अस्पतालों के कर्मचारियों के बच्चे हैं। यह स्कूल 38 एकड़ में फैला हुआ है और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सी.बी.एस.ई.) से जुड़ा है।

प्रिंसिपल स्कूल का प्रमुख है, जिसे सहयोग देने के लिए दो हेड मिस्ट्रेस हैं। ये हेड मिस्ट्रेस प्राइमरी कक्षाओं और मिडल/सेकेंडरी कक्षाओं की देखरख करती हैं। इस स्कूल में अलग-अलग विषयों के अत्यंत योग्य और समर्पित 89 अध्यापक हैं, जिन्हें सहयोग देने के लिए 87 लोगों की टीम है। ये सब मिलकर स्कूल को सुचारू रूप से चलाते हैं। स्कूल के सभी स्टाफ़ को डेरा में नि:शुल्क आवास उपलब्ध है।

दूरदर्शिता
पाथसीकर्स का मक़सद बच्चों को सुरक्षित और सक्षम माहौल देते हुए उन्हें ‘वेल्यू एज्यूकेशन’ यानी पढ़ाई के साथ-साथ नैतिक मूल्य, सम्मान, ज़िम्मेदारी जैसे गुण विकसित करना है ताकि वे अच्छे इनसान बन सकें। ऐसे माहौल से बच्चों में प्यार, आदर, करुणा, धैर्य और सहनशीलता की भावना पैदा होती है।

यह ध्यान में रखते हुए कि हर बच्चे की सीखने की क्षमता अलग होती है, पाठ्‌यक्रम में खेलकूद, बढ़ईगिरी, मिट्टी के बर्तन बनाने, बुनाई, तरह- तरह की कलाएँ जैसे शिल्प कला, चित्रकला, खाना बनाना, संगीत, नृत्य और ड्रामा आदि सीखने की अनेक सुविधाएँ शामिल की गई हैं। इससे बच्चे तरह-तरह के कार्यों में दक्षता हासिल करके ज़िंदगी का सामना करने के लिए तैयार हो जाते हैं।

ख़ुद अनुभव हासिल करके सीखने से बच्चे अपने बारे में जागरूक होते हैं, वे स्वतंत्र सोच रखने लगते हैं, सीखने में सक्षम होते हैं, उनमें आत्मविश्वास जागता है और वे सही निर्णय लेने के क़ाबिल बनते हैं। बच्चों को अलग-अलग तरीक़े से जानकारी हासिल करने के लिए प्रेरित किया जाता है ताकि सीखने की प्रक्रिया कक्षा की चारदीवारी में ही सीमित न रहे। ये अनुभव बच्चों को आकर्षक, ध्यान बाँधने वाले और चुनौतीपूर्ण लगते हैं। ऐसे कार्यक्रम जो ज़िंदगी में काम आनेवाले हुनर सिखाएँ तथा उच्च मूल्यों की शिक्षा का पाठ्‌यक्रम और पाठ्‌यक्रम से जुड़ी अन्य गतिविधियाँ सभी कक्षाओं का हिस्सा हैं।

पाठ्‌यक्रम और पढ़ाने का तरीक़ा
चूँकि बच्चे पूछताछ, शोध और अनुभव से बहुत कुछ सीखते हैं, इसलिए स्कूल में ‘इंक्वाअरी बेस्ड अप्रोच’ यानी पूछताछ पर आधारित प्रणाली पर ज़ोर दिया जाता है। स्कूल का पाठ्‌यक्रम अंग्रेज़ी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और पंजाबी बुनियादी विषयों को आपस में जोड़ते हुए एकीकरण करता है। शोध और खोज के लिए दृश्यकला, प्रदर्शन कला तथा सूचना और संचार टेक्नॅलॉजी (आई.सी.टी.) का उपयोग किया जाता है। ये अपने आप में भी खोज के विषय हैं।

कक्षाएँ

प्री-प्राइमरी विंग के लिए पाठ्‌यक्रम
इस पाठ्‌यक्रम का मक़सद बच्चे की शिक्षा को मनोरंजक और सुविधापूर्ण बनाना है। यह पाठ्‌यक्रम छोटे बच्चों में भाषा, शारीरिक, मानसिक और रचनात्मक विकास में मदद करता है; साथ ही उनमें आत्म-सम्मान और सामाजिक मेलजोल को बढ़ावा देता है। यह पाठ्‌यक्रम हर बच्चे के व्यक्तिगत विकास की ज़रूरतें पूरी करता है जिसमें संगीत, पर्यावरण और प्रकृति, भाषा, मोटर समन्वय (शरीर के विभिन्न अंगों का एक साथ गतिविधि करते हुए उनकी गति और नियंत्रण की क्षमता) रचनात्मक कला, कहानी, ड्रामा, नाटक, शारीरिक विकास और बाहरी खेल आदि क्षेत्रों में बच्चों को स्वावलंबी होना और उनमें समस्या सुलझाने की क्षमता का विकास होना शामिल है।

प्राइमरी और मिडल विंग्ज़ का पाठ्‌यक्रम
प्रोजेक्ट पर आधारित शिक्षा पद्धति से बच्चा व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों तरीक़ों से सीखकर अनुभव प्राप्त करता है। बच्चों को बढ़ावा दिया जाता है कि वे ख़ुद खोज करके नए कौशल हासिल करें। बच्चे आसपास के वातावरण और जीवन की समस्याओं और घटनाओं से सीखते हैं। उन्हें सवाल पूछने के लिए बढ़ावा दिया जाता है; साथ ही उन्हें समस्या के समाधान को अलग-अलग तरीक़ों से ढूँढ़ने की ख़ुद कोशिश करने के लिए प्रेरित किया जाता है।

प्री-प्राइमरी विंग को पढ़ाने का तरीक़ा
विभिन्न विषयों को एक केंद्रीय विषय से जोड़कर उसे प्रोजेक्ट का रूप दिया जाता है। इस ‘विषय आधारित शिक्षण’ (थीमैटिक अप्रोच) में इन बातों पर ध्यान दिया जाता है:

  1. नई चीज़ सीखने और उसमें कौशल हासिल करने के लिए एक साथ बहुत सारा समय चाहिए। जब बच्चे खेलते हैं तब वे अपनी कल्पनाशक्ति का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनकी रचनात्मक योग्यता का विकास होता है।
  2. पज़ल्स, रंगों, मार्कर, प्ले-डो और बोर्ड के साथ काम करके बच्चों की छोटी मांसपेशियों का विकास होता है।
  3. ब्लाक बनाकर और गिराकर, रेत और पानी के उपयोग से (मापना, डालना इत्यादि) और कारों से खेलते हुए उन्हें पता चलता है कि कैसे एक चीज़ दूसरे का कारण बनती है।
  4. बच्चों में भाषा का विकास करने के लिए अध्यापक पढ़ने के साथ-साथ सरल गीत गाते हुए बच्चों को भी भाग लेने के लिए प्रेरित करते हैं।

प्राइमरी और मिडल विंग को पढ़ाने का तरीक़ा
शिक्षा को रुचिकर बनाने के लिए बहुत से नए और असरदार तरीक़े इस्तेमाल किए जाते हैं। किसी सिद्धांत को समझाने के लिए अभिनय का अवसर, समूह चर्चा, पहेलियों, नाटक, कविताओं, वीडियो, प्रस्तुतियों, शैक्षिक खेल आदि का इस्तेमाल किया जाता है। विविध गतिविधियाँ जैसे तर्क-गणित, संगीत, नृत्य और नाटक, भाषा प्रयोगशाला, कला और शिल्प, चित्रकला, कुकिंग, बुनाई, बढ़ईगिरी और मिट्टी के बर्तन बनाने की कला आदि सिखाई जाती हैं। (मिडल विंग के लिए मूर्तिकला, फ़ोटोग्राफी, रोबॉटिक्स और संगीत जैसी अतिरिक्त गतिविधियाँ भी शामिल हैं।) स्कूल का टाईम टेबल इस तरह से बनाया जाता है ताकि बच्चे स्कूल के समय में ही अन्य विषयों के साथ-साथ कला, खेल और बढ़ईगिरी जैसी गतिविधियों में भाग लें।

मूल्याकंन
बच्चों के सीखने की प्रक्रिया के मूल्याकंन में देखा जाता है कि वे अपनी क्षमताओं का किस तरह से स्कूल के कार्यों, प्रॉजेक्ट्‌स में इस्तेमाल कर सकते हैं। मूल्याकंन तीन प्रकार से किया जाता है: पूर्व मूल्याकंन, निर्माणात्मक मूल्याकंन और सारांशात्मक मूल्याकंन।

माता-पिता की भागीदारी
माता-पिता बच्चे के विकास में एक अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए स्कूल की गतिविधियों में उन्हें शामिल किया जाता है। बच्चे की पढ़ाई और विकास के बारे में उन्हें नियमित रूप से फीडबैक दिया जाता है। माता-पिता अपनी इच्छा से स्कूल और बच्चों को सहयोग देने के लिए शामिल होते हैं। पेरेंट-टीचर मीटिंग के ज़रिए अध्यापक और माता-पिता के बीच तालमेल बनाया जाता है, अध्यापक माता-पिता को बच्चे के विकास के बारे में नियमित रूप से बताते हैं। यह मीटिंग हर महीने होती है।

फ़ील्ड ट्रिप
ज़िंदगी में अपनी राह ढूँढ़ने वाले ज्ञान बाँटने के बजाय ज्ञान की खोज में विश्वास रखते हैं। फ़ील्ड ट्रिप स्कूल की गतिविधियों और पाठ्‌यक्रम का ज़रूरी हिस्सा हैं। इन ट्रिप्स के ज़रिए बच्चों को अनुभव हासिल होता है; ख़ुद देखकर और खोज करके, वे बहुत कुछ सीखते हैं।

फ़ील्ड ट्रिप

उत्सव मनाना
बच्चों को सांस्कृतिक विविधता की जानकारी दी जाती है ताकि इनका आदर करके वे सामुदायिक संबंधों को मज़बूत बना सकें। स्कूल में धार्मिक उत्सव, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाए जाते हैं। त्योहारों को मनाने का मक़सद बताने के लिए कहानियाँ, संगीत, नृत्य, नाटक, भोजन, चर्चाएँ और अनेक तरह की गतिविधियाँ आयोजित की जाती है।

चरित्र निर्माण
हर सप्ताह परमार्थ की चर्चा की जाती है; नौतिक मूल्य और ज़िंदगी जीने का हुनर सिखाने से बच्चे ज़िम्मेदार नागरिक बनते हैं। नैतिक शिक्षा सभी शैक्षणिक और सह-शैक्षणिक विषयों का हिस्सा है। सुबह 20 मिनट की असेम्बली में बच्चे स्कूल की प्रार्थना करते हैं, उन्हें दुनिया के ताज़ा विषयों की जानकारी दी जाती है और रोज़ का अच्छा विचार बताया जाता है।

सुबह की असेम्बली

स्कूल हाउस सिस्टम
पाथसीकर्स में हाउस सिस्टम का लक्ष्य है - बच्चों में अपनी एक पहचान पैदा करना है, उन्हें एक सुरक्षित और सहयोगी वातावरण देना। स्कूल को चार वर्गों में बाँटा गया है जिन्हें “हाउस” कहा जाता है। हर बच्चा किसी एक हाउस का हिस्सा होता है। एक हाउस दूसरे हाउस के साथ खेलों में और अन्य क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा करता है और इस तरह उनमें समूह के प्रति वफ़ादारी की भावना पैदा होती है। हाउस सकारात्मक प्रतिस्पर्धा और बेहतर छात्र-शिक्षक संबंधों को प्रोत्साहन देता है। इससे नए स्टाफ़ और बच्चों को भी पाथसीकर्स स्कूल की संस्कृति अपनाने में मदद मिलती है।

स्कूल की इमारतें
स्कूल की सभी इमारतें वातानुकूलित हैं और इस तरह से डिज़ाइन की गई हैं जिससे उनमें सीखने के माहौल को बढ़ावा मिले। सभी कक्षाओं के कमरे बड़े-बड़े हैं, और पढ़ाई के नए तरीक़ों के हिसाब से उनमें आधुनिक फ़्लेक्सि-फ़र्नीचर है। प्री-प्राइमरी, प्राइमरी, मिडिल और सेकेंडरी विंग की कुल चार मुख्य इमारते हैं। हर इमारत उस आयु के बच्चों की फ़र्नीचर और उपकरणों की ज़रूरत को ध्यान में रखकर डिज़ाइन की गई है। स्कूल में कुल 50 कक्षाएँ हैं। इसके अलावा ऑडियो-विज़्यूअल कमरे, दफ़्तर, कंप्यूटर का कमरा, चिकित्सा कक्ष, चार बहु-उद्देशीय हॉल, एक डाइनिंग हॉल, पढ़ाई के अलावा अन्य गतिविधियों के लिए कमरे, इनडोर स्टेडियम, आउटडोर ओपन एयर स्टेडियम और एक जिम्नेज़िअम है। वर्क सेंटर – ये ऐसे कमरे हैं जहाँ बच्चे किसी ख़ास गतिविधि या परियोजना पर काम करते हैं। इससे बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा मिलता है। स्कूल में विज्ञान, भाषा, सामाजिक विज्ञान, गणित और व्यावसायिक शिक्षा के लिए लैब हैं।

स्टाफ़ रूम और अध्यापक के ‘वर्कस्टेशन’ उनकी ज़रूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं। पढ़ाई के लिए और विचारों को साँझा करने के लिए इन्फ़ॅरमेशन्‌ और कंप्यूटर टेक्नॅलॉजी (आई.सी.टी.) इस्तेमाल की जाती है। स्कूल में कंप्यूटर लेबोरेटरी, कंप्यूटर-टेक्नॅलॉजी से लैस कक्षाएँ और एक आधुनिक ऑडियो-विज़्यूअल लेबोरेटरी है।

पाथसीकर्स स्कूल

भाषा लैब

कंप्यूटर लैब

हॉबी सेंटर
स्कूल में समर्पित प्रशिक्षकों और शिक्षकों की एक टीम है जो संगीत, नृत्य और ड्रामा, बुनाई, कला और शिल्प, कुकिंग, मूर्तिकला और बढ़ईगिरी में बच्चों का मार्गदर्शन करती है।

संगीत की कक्षाएँ

नृत्य और ड्रामा की कक्षाएँ

बुनाई की कक्षाएँ

कला और शिल्प की कक्षाएं

कुकिंग

मूर्तिकला की कक्षाएँ

बढ़ईगिरी वर्कशाप

लाइब्रेरी
हर कक्षा में पढ़ने के लिए अलग से एक कोना बना हुआ है ताकि बच्चों में पढ़ने की रुचि पैदा हो। स्कूल में एक बड़ी लाइब्रेरी है जिसमें हर विंग के बच्चों और अध्यापकों के लिए अलग-अलग सेक्शन हैं। लाइब्रेरी में काल्पनिक, ग़ैर-काल्पनिक पुस्तकें, रेफ़रेंस पुस्तकें, समाचार पत्र और पत्रिकाएँ हैं। लाइब्रेरी में कहानी पढ़ने के सेशन भी आयोजित किए जाते हैं। विभिन्न विषयों पर क़रीब 15000 पुस्तकें हैं। बच्चों को प्रोत्साहित किया जाता है कि वे लाइब्रेरी का इस्तेमाल सुबह से लेकर शाम तक फ्री-पीरियड में या लाइब्रेरी पीरियड में कभी भी कर सकते हैं। इसके अलावा प्राइमरी और प्री-प्राइमरी कक्षाओं में भी लाइब्रेरी है ताकि बच्चों का ध्यान किताबों की दुनिया की तरफ़ जाए।

लाइब्रेरी

स्पेशल एज्यूकेशन और काउंसलिंग
स्कूल स्पेशल एज्यूकेशन यानि बच्चों की विशेष आवश्यकता वाली शिक्षा और मनोवैज्ञानिक ज़रूरतों के प्रति सजग है। स्कूल में स्पेशल एज्यूकेशन का एक अलग विभाग है जिसमें ज़रूरत के मुताबिक़ कक्षाएँ हैं; साथ ही दो काउंसलर और दो विशेष अध्यापक हैं जो पूरा समय वहीं रहते हैं। हर बच्चा अपने आप में अलग है और हर एक को शिक्षा हासिल करके ज़िंदगी में आगे बढ़ने का अधिकार है। यहाँ विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी दाख़िला दिया जाता है और उनकी ज़रूरत के हिसाब से पाठ्‌यक्रम और गतिविधियाँ निर्धारित की जाती हैं। स्पेशल एज्यूकेशन देनेवाले अध्यापकों की टीम है जो बच्चों की निजी ज़रूरतों को ध्यान में रखकर ख़ास पाठ्‌यक्रम बनाती है। इन बच्चों को आम कक्षाओं में ही पढ़ाया जाता है, जहाँ वे दूसरे बच्चों के साथ मिलते-जुलते हैं। इसके अलावा अध्यापक उनके साथ व्यक्तिगत सेशन भी लेते हैं।

स्कूल में स्वास्थ्य शिक्षक भी हैं जो बच्चों और उनके माता-पिता को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देते हैं। काउंसलिंग सेशन का मक़सद इन बच्चों में आत्मसम्मान और आत्मविश्वास जगाना है, ताकि वे अपने बर्ताव में बदलाव लाएँ और अपनी समस्याओं से ख़ुद निपट सकें।

सेंट्रल डाइनिंग हॉल
चूँकि वृद्धि और विकास के लिए पोषण ज़रूरी है, इसलिए इस डाइनिंग हॉल का मैनेजमेंट, भोजन भंडार और चिकित्सा स्टाफ़ के बीच तालमेल बनाकर रखता है। सभी को स्वादिष्ट, पौष्टिक और संतुलित भोजन दिया जाता है। डाइनिंग हॉल में एक समय में 600 बच्चे बैठ सकते हैं। सभी बच्चों और स्टाफ़ को सुबह का नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम को दूध नियमित रूप से दिया जाता है।

डाइनिंग हॉल

लेबोरेटरी
जैसा कि पहले बताया गया है, सूचना और संचार टेक्नॅलॉजी को आधुनिक कंप्यूटर लेबोरेटरी, कंप्यूटर टेक्नॅलॉजी द्वारा चलनेवाली कक्षाएँ, ऑडियो-विज़्यूअल भाषा लेबोरेटरी द्वारा काफ़ी प्रोत्साहन दिया गया है। इसके अलावा भाषा लेबोरेटरी और गणित लेबोरेटरी है जहाँ बच्चे इनसानों के काम आनेवाले रोबोट बनाने की कोशिश करते हैं।

कंपोज़िट लैब

रोबोटिक्स लैब

सर्वोत्तम कार्य प्रणाली
पाथसीकर्स में निम्नलिखित सर्वोत्तम कार्यप्रणाली इस्तेमाल की जाती है:

  1. हर बच्चे के व्यक्तित्व के आधार पर सभी पहलुओं को विकसित करने वाली शिक्षा। (होलिस्टिक एज्यूकेशन)
  2. सामाजिक कार्यों में लगाना ताकि ज़िंदगी के पाठ सीख सकें।
  3. पाठ्‌यक्रम के विभिन्न विषयों का आपस में एकीकरण।
  4. बच्चों की अलग-अलग ज़रूरतों और क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए सिखाना।
  5. खोज और विश्लेषण के आधार पर अलग-अलग विषयों पर प्रोजेक्टस्‌ करवाना।
  6. व्यावसायिक शिक्षा
  7. लोकतांत्रिक छात्र शासन
  8. गतिविधि पर आधारित शिक्षा
  9. सभी क्षेत्रों में 100 प्रतिशत भागीदारी

बच्चों का स्वास्थ्य और भलाई

खेल परिसर

स्वस्थ रहने के लिए खेलकूद को हमेशा ज़रूरी माना गया है, लेकिन खेलकूद का महत्त्व उससे भी कहीं अधिक है। खेलों में भाग लेने से ज़िंदगी के कई सबक सीखने को मिलते हैं, जैसे अनुशासन, ज़िम्मेदारी, आत्मविश्वास, टीम वर्क और उत्तरदायित्व। अध्ययनों से पता चलता है कि व्यायाम से दिमाग़ में ख़ून का दौरा बढ़ता है, दिमाग़ और नसों का समन्वय बेहतर होता है जिससे एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है। इससे रचनात्मकता बढ़ती है और समस्या-समाधान का कौशल विकसित होता है। संक्षेप में, खेलकूद आपके मस्तिष्क का विकास करने और उसे बेहतर ढंग से काम करने में मदद करता है।

सामाजिक दृष्टिकोण से खेल एक शक्तिशाली साधन है जो लोगों को एकत्रित करके, उनमें समुदाय के प्रति भावना जगाने में मदद करता है। मेलजोल से ज़िंदगी में अलग-अलग लोगों से संपर्क स्थापित होता है। इंटरनेट, टेलीविज़न और कंप्यूटर गेम जैसे मनोरंजन बच्चों को आलसी तो बनाते ही हैं, उनमें मोटापे का ख़तरा भी बढ़ा देते हैं। खेलों में भाग लेने से टीम का हिस्सा होने का एहसास होता है। खेलों से जुड़े रहने से न तो ख़ालीपन का एहसास होता है और न ही ज़िंदगी नीरस लगती है।

पाथसीकर्स के खेल के मैदान और खेल गतिविधियाँ
स्कूल परिसर में तीन बड़े खेल के मैदान हैं जहाँ बच्चे खेल, व्यायाम और अभ्यास कर सकते हैं। एक विशाल खेल परिसर है जिसका ट्रैक अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार है। सभी खेल के मैदानों की देखभाल कुशल माली करता है, उन्हें नियमित रूप से पानी दिया जाता है। स्कूल के मैदानों में विभिन्न समारोह और वार्षिक खेलकूद दिवस भी आयोजित किए जाते हैं।

स्कूल में अच्छी क्वालिटी के खेल के उपकरण हैं; साथ ही टेबल टेनिस, वॉलीबॉल, बॉस्किट बॉल, क्रिकेट, एथ्‌लेटिक्स, हॉकी, फ़ुटबॉल, योगाभ्यास, जिम्नैस्टिक और रोलर स्केटिंग के लिए अनुभवी कोच भी हैं। सीनियर बच्चों के लिए जिम्नेज़िअम है। स्कूल में खेल गतिविधियाँ बहुत छोटे बच्चों से शुरू कर दी जाती हैं। वही जोश प्राइमरी, मिडिल और सेकेंडरी कक्षाओं में जारी रहता है।

छोटे बच्चों के लिए योगाभ्यास की कक्षाएँ
सैक रेस – किंडर गार्डन बच्चों के लिए

नर्सरी के बच्चों के लिए खेलकूद का पीरियड

प्राइमरी के बच्चों के लिए स्कूल के दौरान शारीरिक शिक्षा की कक्षाओं के अलावा, जिम्नैस्टिक, योगाभ्यास, वॉली बॉल, स्केटिंग, ऊँची छलांग और लंबी छलांग इत्यादि खेलों का आयोजन भी किया जाता है। इन खेलों का मक़सद बच्चों में आत्मसम्मान जगाना है ताकि वे अपनी पूरी क्षमता विकसित कर सकें और स्कूल की दूरदर्शिता और उद्देश्य को अपना सकें।

प्राइमरी के बच्चों के लिए जिम्नैस्टिक की कक्षाएँ

प्राइमरी के बच्चों के लिए योगाभ्यास की कक्षाएँ

प्राइमरी और मिडल विंग्ज़ के छात्रों के लिए फ़ुटबॉल कोचींग

बास्केट बॉल

जूडो ट्रेनिंग

हॉकी ट्रेनिंग

बैडमिंटन

स्कूल का जिम्नेज़िअम
हमारा मक़सद शारीरिक गतिविधियों में बच्चों का उत्साह और रुचि विकसित करना है। इसलिए स्कूल में नियमित रूप से खेलों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हमें उम्मीद है कि स्कूल में शारीरिक गतिविधियों में हिस्सा लेने से बच्चों को आगे भी ज़िंदगी में नियमित रूप से शारीरिक गतिविधियाँ जारी रखने की प्ररेणा मिलेगी।

जिम्नेज़िअम

वार्षिक खेलकूद दिवस