हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती – राधास्वामी सत्संग ब्यास ऑडियो बुक्स

हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती

यह पुस्तक चिश्ती परंपरा के एक महान सूफ़ी संत हज़रत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के उपदेश पर आधारित है जो बारहवीं शताब्दी में भारत आकर बस गए और अजमेर में एक फ़िरक़े की नींव रखी। चिश्ती के कलाम में रूहानी मार्ग पर चलते हुए प्रेमी-भक्त को प्राप्त होने वाले विरह की पीड़ा का तथा अद्‌भुत आनंद का बड़े मर्मस्पर्शी ढंग से वर्णन किया गया है। पुस्तक में उनके द्वारा अपने शिष्य तथा उत्तराधिकारी कुतुबुद्दीन बख़्तियार काकी को लिखे सात पत्रों में से भी उदाहरण दिए गए हैं जो विश्वव्यापी आध्यात्मिक सत्य से भरपूर हैं। चिश्ती ने अत्यंत हृदयस्पर्शी और प्रेरणादायक शब्दों में गुरु-शिष्य के संबंध का वर्णन किया है और अपने मुर्शिद के साथ गूढ़ आध्यात्मिक संबंध को भी दर्शाया है। इस पुस्तक में प्रभु-प्रियतम के साथ एक होने के लिए प्रेमी-भक्त द्वारा किए जाने वाले सफ़र की एक झलक भी दी गई है।

लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारी
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