जलाल अल-दीन रूमी – दीवान-ए शम्स-ए तब्रीज़ी – राधास्वामी सत्संग ब्यास ऑडियो बुक्स

जलाल अल-दीन रूमी – दीवान-ए शम्स-ए तब्रीज़ी

तेरहवीं शताब्दी के सूफ़ी संत जलाल अल-दीन रूमी इक्कीसवीं सदी में बहुत अधिक लोकप्रिय हो गए हैं। इस पुस्तक में उनका संक्षिप्त जीवन परिचय प्रस्तुत करने के बाद उनकी महान रचना ‘दीवान-ए शम्स ए-तब्रीज़ी’ में से तीन हज़ार पंक्तियों की ज्ञान से भरपूर एक सौ इकसठ गज़लें प्रस्तुत की गई हैं। इन चुनी हुई गज़लों में मुख्य रूप से रूहानियत और मुर्शिद-मुरीद के आपसी प्रेमपूर्ण संबंध का वर्णन किया गया है। यह गज़लें ऐसा तोहफ़ा हैं जिनमें रूमी के प्यारे मुर्शिद से जुदाई की तड़प और उनके विसाल की ख़ुशी शामिल है। वे हमें सिखाते हैं कि जुदाई के बग़ैर मिलाप मुमकिन नहीं।

लेखक: फ़रीदा मलिकी
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