कामिल दरवेश ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद चिश्ती परंपरा के महान सूफ़ी संत हैं। उन्नीसवीं सदी के इस संत का कलाम गायकों और श्रोताओं सभी में लोकप्रिय है। इस पुस्तक में शामिल किए गए उनके कलाम मुख्यत: मनुष्य जन्म का महत्त्व, मुर्शिद की अनिवार्यता और परमात्मा के प्रति हमारे प्रेम, भक्ति और विरह से संबंधित हैं। उनके उपदेश का सार ‘वहदत’ यानी परमात्मा के साथ एकात्म होने की अवस्था है। उनके कलाम से उनकी ऊँची रूहानी अवस्था का पता चलता है।
लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारीऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (241MB) | यू ट्यूब |
- प्रकाशक की ओर से
- प्राक्कथन
- जीवन
- उपदेश – वहदत – हमा ऊस्त
- उपदेश – संसार की नश्वरता
- उपदेश – मनुष्य शरीर की बड़ाई
- उपदेश – रब का इश्क़
- उपदेश – रब की इबादत
- उपदेश- मुर्शिद
- उपदेश- एकमात्र सर्वसाँझा उपदेश
- उपदेश- सार
- कलाम
- कुछ चुनी हुई काफ़ियाँ भाग - 1
- कुछ चुनी हुई काफ़ियाँ भाग - 2
- कुछ चुनी हुई काफ़ियाँ भाग - 3
- कुछ चुनी हुई काफ़ियाँ भाग - 4
किसी भी किताब को सुनते वक़्त: किताब का जो अध्याय आप सुन रहे हैं, उसे पीले रंग से हाईलाइट किया गया है ताकि आपको पता रहे कि आप क्या सुन रहे हैं। एक बार वेबसाइट से बाहर निकलने के बाद जब आप वापस लौटकर प्ले बटन क्लिक करते हैं, तो ऑडियो प्लेयर अपने आप वहीं से शुरू होता है, जहाँ आपने छोड़ा था।
किताब को डाउन्लोड करने के लिए: डाउन्लोड लिंक को क्लिक करें। आपका ब्राउज़र इसे डाउन्लोड फ़ोल्डर में रख देगा। कई फ़्री ऐप्स हैं जो आपकी किताब प्ले करने, विषय-सूची देखने या पुस्तक चिह्न लगाने में मदद कर सकते हैं ताकि आप दोबारा वहीं से शुरू करें, जहाँ छोड़ा था। आप किताब को म्युज़िक क्लाउड पर भी अप्लोड कर सकते हैं जिससे आप इसे अलग-अलग डिवाइस पर सुन सकतें हैं।
यू ट्यूब पर सुनने के लिए: यू ट्यूब लिंक को दबाएँ। लगातार प्ले करें या किताब के अलग-अलग अध्याय सुनने के लिए उस लिंक को दबाएँ। यू ट्यूब पर जहाँ आपने छोड़ा था, वहीं से ऑडियो शुरू करने के लिए आपको फिर लॉग-इन करना होगा।
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद चिश्ती परंपरा के महान सूफ़ी संत हैं। उन्नीसवीं सदी के इस संत का कलाम गायकों और श्रोताओं सभी में लोकप्रिय है। इस पुस्तक में शामिल किए गए उनके कलाम मुख्यत: मनुष्य जन्म का महत्त्व, मुर्शिद की अनिवार्यता और परमात्मा के प्रति हमारे प्रेम, भक्ति और विरह से संबंधित हैं। उनके उपदेश का सार ‘वहदत’ यानी परमात्मा के साथ एकात्म होने की अवस्था है। उनके कलाम से उनकी ऊँची रूहानी अवस्था का पता चलता है।
लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारी