कामिल दरवेश शाह लतीफ़
शाह लतीफ़ (1689-1752) सिंध के एक महान् सूफ़ी संत हुए हैं। उनकी शिक्षा एक जीवित गुरु के महत्त्व पर ज़ोर देती है। परमात्मा से मिलाप के लिए शाह लतीफ़ ने रूहानी सफ़र की चार अवस्थाओं का ज़िक्र किया है। 1.‘शरीअत’—बाहरी धार्मिक तथा नैतिक नियमों का पालन करना। 2.‘तरीक़त’—ऊँचे दर्जे के नैतिक आचार व्यवहार का पालन करना। 3.‘मारफ़त’—परमात्मा की निकटता और आध्यात्मिक अनुभव की अवस्था में पहुँचना। 4.‘हक़ीक़त’— परमसत्य परमात्मा से एक हो जाना। यह पुस्तक शाह लतीफ़ की शिक्षा तथा कलाम (वाणी) पर प्रकाश डालती है और गहरे आध्यात्मिक सत्यों को प्रकट करने के लिए शाह साहिब ने इसमें सिंध की लोककथाओं का उपयोग किया है।
लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारीऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (291MB) | यू ट्यूब |
- प्रकाशक की ओर से
- भूमिका
- जीवन
- उपदेश और संदेश
- अल्लाह-तअला
- इश्क़
- शरीअत
- तरीक़त
- मारफ़त और हक़ीक़त
- इस्मे-आज़म
- मुर्शिद (सतगुरु)
- कामिल मुर्शिद
- अपने समय का मुर्शिद
- तव्वकुल और रज़ा
- ऐ साधक! सचेत हो जा
- संदेश का सार
- कलाम भाग-1
- कलाम भाग-2
- कलाम की ख़ूबियाँ
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शाह लतीफ़ (1689-1752) सिंध के एक महान् सूफ़ी संत हुए हैं। उनकी शिक्षा एक जीवित गुरु के महत्त्व पर ज़ोर देती है। परमात्मा से मिलाप के लिए शाह लतीफ़ ने रूहानी सफ़र की चार अवस्थाओं का ज़िक्र किया है। 1.‘शरीअत’—बाहरी धार्मिक तथा नैतिक नियमों का पालन करना। 2.‘तरीक़त’—ऊँचे दर्जे के नैतिक आचार व्यवहार का पालन करना। 3.‘मारफ़त’—परमात्मा की निकटता और आध्यात्मिक अनुभव की अवस्था में पहुँचना। 4.‘हक़ीक़त’— परमसत्य परमात्मा से एक हो जाना। यह पुस्तक शाह लतीफ़ की शिक्षा तथा कलाम (वाणी) पर प्रकाश डालती है और गहरे आध्यात्मिक सत्यों को प्रकट करने के लिए शाह साहिब ने इसमें सिंध की लोककथाओं का उपयोग किया है।
लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारी