मोक्ष के मार्ग
मोक्ष के मार्ग में वेदों, उपनिषदों और भगवद्गीता का संक्षिप्त वर्णन दिया गया है। इसमें तर्कसंगत रूप से बताया गया है कि वैदिक काल में लोग अद्वैतवादी थे। भले ही वे परमात्मा को कई नामों से पुकारते थे परंतु वास्तव में उनका यही विश्वास था कि परमात्मा एक है। इस पुस्तक में आवागमन के चक्र से मुक्ति प्राप्त करने के लिए पिछली कई शताब्दियों के दौरान भारत में जो बहुत से मार्ग विकसित हुए हैं, उन्हीं का विवरण दिया गया है। इसमें मनुष्य की स्वभावगत विशेषताओं के साथ इस बात का भी वर्णन किया गया है कि प्रभु-प्राप्ति के लिए मनुष्य जन्म एक दुर्लभ अवसर है। इसमें परमार्थ के मार्ग पर चलनेवाले अध्यात्म के खोजियों के मार्गदर्शक के रूप में गुरु की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर भी बल दिया गया है। जो लोग प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में दिए आध्यात्मिक उपदेश के सार को समझना चाहते हैं, उनके लिए यह पुस्तक विशेष रूप से सहायक सिद्ध होगी।
लेखक: के. शंकरनारायणऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (300MB) | यू ट्यूब |
- भूमिका
- प्रकाशक की ओर से
- लेखक की ओर से
- वेद
- उपनिष्द
- भगवद्गीता
- वेदों में परमात्मा संबंधी धारणा
- उपनिषदों में परमात्मा संबंधी धारणा
- सगुण और निर्गुण परमात्मा
- मनुष्य शरीर
- कर्म, कर्मफल और पुनर्जन्म
- मनुष्य जन्म का उद्देश्य - मुक्ति
- दिव्य ध्वनि
- आंतरिक प्रकाश
- लक्ष्य एक, साधन अनेक
- मन को नियंत्रण में करना
- ध्यान-साधना
- निवृत्ति मार्ग – त्याग का मार्ग
- कर्मयोग – निष्काम कर्म का मार्ग
- ज्ञानयोग – ज्ञान का मार्ग
- भक्तियोग – प्रेम और श्रद्धा का मार्ग
- राजयोग
- प्रपत्ति मार्ग – आत्म समर्पण का मार्ग
- नादयोग – शब्द मार्ग
- गुरु
- कृपा-दृष्टि
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मोक्ष के मार्ग में वेदों, उपनिषदों और भगवद्गीता का संक्षिप्त वर्णन दिया गया है। इसमें तर्कसंगत रूप से बताया गया है कि वैदिक काल में लोग अद्वैतवादी थे। भले ही वे परमात्मा को कई नामों से पुकारते थे परंतु वास्तव में उनका यही विश्वास था कि परमात्मा एक है। इस पुस्तक में आवागमन के चक्र से मुक्ति प्राप्त करने के लिए पिछली कई शताब्दियों के दौरान भारत में जो बहुत से मार्ग विकसित हुए हैं, उन्हीं का विवरण दिया गया है। इसमें मनुष्य की स्वभावगत विशेषताओं के साथ इस बात का भी वर्णन किया गया है कि प्रभु-प्राप्ति के लिए मनुष्य जन्म एक दुर्लभ अवसर है। इसमें परमार्थ के मार्ग पर चलनेवाले अध्यात्म के खोजियों के मार्गदर्शक के रूप में गुरु की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर भी बल दिया गया है। जो लोग प्राचीन हिंदू धर्मग्रंथों में दिए आध्यात्मिक उपदेश के सार को समझना चाहते हैं, उनके लिए यह पुस्तक विशेष रूप से सहायक सिद्ध होगी।
लेखक: के. शंकरनारायण