समर्थ रामदास
यह पुस्तक महाराष्ट्र के महान संत समर्थ रामदास स्वामी के जीवन और उपदेश पर आधारित है। सत्रहवीं शताब्दी में हुए इस संत ने बारह वर्ष की आयु में सांसारिक संबंधों का त्याग करके कठोर साधना की। आपने पूरे भारतवर्ष में भ्रमण करके जनसाधारण को जागरूक किया और उन्हें आत्मिक उत्थान की प्रेरणा दी। आपके यशस्वी शिष्य छत्रपति शिवाजी आपके मार्गदर्शन में अंत तक अपनी प्रजा के हित के लिए कार्य करते रहे। समर्थ रामदास स्वामी ने अपने जीवन काल में कई ग्रंथों की रचना की जिनमें ‘दासबोध’ विशेष रूप से प्रसिद्ध है। अपनी वाणी में जीवन के विभिन्न पक्षों की विस्तार से चर्चा करते हुए समर्थ रामदास स्वामी ने प्रभुप्राप्ति को मनुष्य जन्म का मुख्य उद्देश्य बताया है और गृहस्थी तथा परमार्थ में संतुलन बनाए रखने पर बल दिया है। आपने समझाया है कि सच्चे ज्ञान की प्राप्ति सतगुरु की शरण में जाकर होती है और प्रेम तथा समर्पण का भाव दृढ़ होने पर ही अंतर्मुख साधना में सफलता मिलती है।
लेखक: जूडिथ शंकरनारायणऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (115MB) | यू ट्यूब |
- प्रकाशक की ओर से
- भाग 1 - जीवन और रचनाएँ
- भाग 2 - वाणी और उपदेश
- गुरु के उपदेश का दृढ़ता से पालन
- आत्मशुद्धि
- गूढ़ ज्ञान
- अनन्य भक्ति
- उपसंहार
किसी भी किताब को सुनते वक़्त: किताब का जो अध्याय आप सुन रहे हैं, उसे पीले रंग से हाईलाइट किया गया है ताकि आपको पता रहे कि आप क्या सुन रहे हैं। एक बार वेबसाइट से बाहर निकलने के बाद जब आप वापस लौटकर प्ले बटन क्लिक करते हैं, तो ऑडियो प्लेयर अपने आप वहीं से शुरू होता है, जहाँ आपने छोड़ा था।
किताब को डाउन्लोड करने के लिए: डाउन्लोड लिंक को क्लिक करें। आपका ब्राउज़र इसे डाउन्लोड फ़ोल्डर में रख देगा। कई फ़्री ऐप्स हैं जो आपकी किताब प्ले करने, विषय-सूची देखने या पुस्तक चिह्न लगाने में मदद कर सकते हैं ताकि आप दोबारा वहीं से शुरू करें, जहाँ छोड़ा था। आप किताब को म्युज़िक क्लाउड पर भी अप्लोड कर सकते हैं जिससे आप इसे अलग-अलग डिवाइस पर सुन सकतें हैं।
यू ट्यूब पर सुनने के लिए: यू ट्यूब लिंक को दबाएँ। लगातार प्ले करें या किताब के अलग-अलग अध्याय सुनने के लिए उस लिंक को दबाएँ। यू ट्यूब पर जहाँ आपने छोड़ा था, वहीं से ऑडियो शुरू करने के लिए आपको फिर लॉग-इन करना होगा।
यह पुस्तक महाराष्ट्र के महान संत समर्थ रामदास स्वामी के जीवन और उपदेश पर आधारित है। सत्रहवीं शताब्दी में हुए इस संत ने बारह वर्ष की आयु में सांसारिक संबंधों का त्याग करके कठोर साधना की। आपने पूरे भारतवर्ष में भ्रमण करके जनसाधारण को जागरूक किया और उन्हें आत्मिक उत्थान की प्रेरणा दी। आपके यशस्वी शिष्य छत्रपति शिवाजी आपके मार्गदर्शन में अंत तक अपनी प्रजा के हित के लिए कार्य करते रहे। समर्थ रामदास स्वामी ने अपने जीवन काल में कई ग्रंथों की रचना की जिनमें ‘दासबोध’ विशेष रूप से प्रसिद्ध है। अपनी वाणी में जीवन के विभिन्न पक्षों की विस्तार से चर्चा करते हुए समर्थ रामदास स्वामी ने प्रभुप्राप्ति को मनुष्य जन्म का मुख्य उद्देश्य बताया है और गृहस्थी तथा परमार्थ में संतुलन बनाए रखने पर बल दिया है। आपने समझाया है कि सच्चे ज्ञान की प्राप्ति सतगुरु की शरण में जाकर होती है और प्रेम तथा समर्पण का भाव दृढ़ होने पर ही अंतर्मुख साधना में सफलता मिलती है।
लेखक: जूडिथ शंकरनारायण