सन्त चरनदास
संत चरनदास जी (1703-1782 ई.) उत्तर भारत के प्रसिद्ध संत थे। उनका जन्म राजस्थान में अलवर नामक स्थान में हुआ था। उनका काफ़ी जीवन दिल्ली में ही व्यतीत हुआ पर वे अनेक लंबी यात्राओं पर भी जाते रहे। कई हिंदू, मुस्लिम शासक उनके शिष्यों में गिने जाते थे। अन्य संतों की तरह उन्होंने भी किसी से कोई उपहार स्वीकार नहीं किया और निर्भीकतापूर्वक अपने सत्संग दिए और सच्चे जिज्ञासुओं को नाम की दीक्षा प्रदान की। यह पुस्तक उनके यशस्वी जीवन का वर्णन करती है और उनकी शिक्षा पर प्रकाश डालती है।
लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारीऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (282MB) | यू ट्यूब |
- प्रकाशक की ओर से
- भूमिका
- जीवन - भाग-1
- जीवन - भाग-2
- वाणी – कलात्मक पक्ष, शैली और विषय-वस्तु
- उपदेश - भाग-1
- उपदेश - भाग-2
- उपदेश - भाग-3
- उपदेश - भाग-4
- उपदेश - भाग-5
- उपदेश - भाग-6
- उपदेश - भाग-7
- उपदेश - भाग-8
- संकलित वाणी - भाग-1
- संकलित वाणी - भाग-2
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संत चरनदास जी (1703-1782 ई.) उत्तर भारत के प्रसिद्ध संत थे। उनका जन्म राजस्थान में अलवर नामक स्थान में हुआ था। उनका काफ़ी जीवन दिल्ली में ही व्यतीत हुआ पर वे अनेक लंबी यात्राओं पर भी जाते रहे। कई हिंदू, मुस्लिम शासक उनके शिष्यों में गिने जाते थे। अन्य संतों की तरह उन्होंने भी किसी से कोई उपहार स्वीकार नहीं किया और निर्भीकतापूर्वक अपने सत्संग दिए और सच्चे जिज्ञासुओं को नाम की दीक्षा प्रदान की। यह पुस्तक उनके यशस्वी जीवन का वर्णन करती है और उनकी शिक्षा पर प्रकाश डालती है।
लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारी