संत संवाद, भाग 1
महाराज चरन सिंह जी ने लगभग 40 वर्षों तक विदेश में रहनेवाले अपने शिष्यों के साथ प्रश्न और उत्तर की बैठकों का आयोजन किया। इनमें सतगुरुओं के रूहानी उपदेश से संबंधित सभी विषयों पर चर्चा होती थी। लगभग 2000 प्रश्न और उत्तर का यह संग्रह विषयों के अनुसार तीन भागों में प्रस्तुत किया गया है: 1. मूल सिद्धांतों का परिचय 2. परमार्थ के मार्ग पर चलना 3. परमार्थ की रहनी को अपनाना। इस संग्रह के काफ़ी प्रश्न और उत्तर पूर्व प्रकाशित संत-संवाद और संत वचन पुस्तकों में प्रकाशित हो चुके हैं। इस पुस्तक में कर्म सिद्धांत, पुनर्जन्म, स्वतंत्र इच्छा, आत्मा और परमात्मा, सतगुरु की आवश्यकता, शिष्य और सतगुरु का संबंध, नामदान और चार शर्तें, आंतरिक अभ्यास, दया-मेहर और करनी, सकारात्मक नज़रिया, संतमत के उसूलों पर अमल करना और रोज़मर्रा की ज़िंदगी से संबंधित व्यावहारिक विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
लेखक: महाराज चरन सिंह जीऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (520MB) | यू ट्यूब |
- प्राक्कथन
- परिचय
- सृष्टि की रचना का रहस्य - भाग-1
- सृष्टि की रचना का रहस्य - भाग-2
- हम ख़ुद अपने भाग्य विधाता हैं - भाग-1
- हम ख़ुद अपने भाग्य विधाता हैं - भाग-2
- हम ख़ुद अपने भाग्य विधाता हैं - भाग-3
- हम ख़ुद अपने भाग्य विधाता हैं - भाग-4
- हम ख़ुद अपने भाग्य विधाता हैं - भाग-5
- हमारा अस्तित्व क्या है - भाग-1
- हमारा अस्तित्व क्या है - भाग-2
- हमारा अस्तित्व क्या है - भाग-3
- हमारा अस्तित्व क्या है - भाग-4
- हमारा अस्तित्व क्या है - भाग-5
- हमारा अस्तित्व क्या है - भाग-6
- आत्मा का कोई धर्म नहीं - भाग-1
- आत्मा का कोई धर्म नहीं - भाग-2
- आत्मा का कोई धर्म नहीं - भाग-3
- भटके हुए जीवों की सँभाल - भाग-1
- भटके हुए जीवों की सँभाल - भाग-2
- भटके हुए जीवों की सँभाल - भाग-3
- भटके हुए जीवों की सँभाल - भाग-4
- भटके हुए जीवों की सँभाल - भाग-5
- सतगुरु का कार्य - भाग-1
- सतगुरु का कार्य - भाग-2
- सतगुरु का कार्य - भाग-3
- सतगुरु का कार्य - भाग-4
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महाराज चरन सिंह जी ने लगभग 40 वर्षों तक विदेश में रहनेवाले अपने शिष्यों के साथ प्रश्न और उत्तर की बैठकों का आयोजन किया। इनमें सतगुरुओं के रूहानी उपदेश से संबंधित सभी विषयों पर चर्चा होती थी। लगभग 2000 प्रश्न और उत्तर का यह संग्रह विषयों के अनुसार तीन भागों में प्रस्तुत किया गया है: 1. मूल सिद्धांतों का परिचय 2. परमार्थ के मार्ग पर चलना 3. परमार्थ की रहनी को अपनाना। इस संग्रह के काफ़ी प्रश्न और उत्तर पूर्व प्रकाशित संत-संवाद और संत वचन पुस्तकों में प्रकाशित हो चुके हैं। इस पुस्तक में कर्म सिद्धांत, पुनर्जन्म, स्वतंत्र इच्छा, आत्मा और परमात्मा, सतगुरु की आवश्यकता, शिष्य और सतगुरु का संबंध, नामदान और चार शर्तें, आंतरिक अभ्यास, दया-मेहर और करनी, सकारात्मक नज़रिया, संतमत के उसूलों पर अमल करना और रोज़मर्रा की ज़िंदगी से संबंधित व्यावहारिक विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
लेखक: महाराज चरन सिंह जी