संत सुन्दरदास
![]() संत सुन्दरदास: संत सुन्दरदास का जन्म जयपुर में हुआ। वह बहुत कम आयु में दादू दयाल जी की शरण में आए और उनके शिष्य बन गए। बाद में उन्होंने राजस्थान में फतेहपुर नामक स्थान पर अपने मुख्य आध्यात्मिक केंद्र की स्थापना की और राजस्थान तथा पंजाब में दीक्षा देनी आरंभ की। संत सुन्दरदास की पैंतीस से अधिक रचनाएँ हैं। प्रस्तुत पुस्तक उनकी प्रसिद्ध रचना ‘सुन्दर ग्रंथावली’पर आधारित है। संत सुन्दरदास ने इस बात पर बल दिया है कि केवल परमात्मा ही सत्य है और संसार मिथ्या तथा नश्वर है। उनकी वाणी में मनुष्य जन्म के उद्देश्य,देहधारी सतगुरु के महत्त्व और नाम अथवा शब्द के भेद को उजागर किया गया है। वह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि सतगुरु की शरण मुक्ति का द्वार है। सतगुरु के मार्गदर्शन में ही जीव नामभक्ति द्वारा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त कर सकता है। लेखक: के. एन. उपाध्यायऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (127MB) | यू ट्यूब |
- प्रकाशक की ओर से
- लेखक की ओर से
- जीवन
- उपदेश
- संकलित पद
- मानव जीवन
- परमात्मा
- सतगुरु
- सत्संग
- नामभक्ति
- सच्चा प्रेम
- मन
- बाहरी वेशभूषा और कर्म-धर्म की व्यर्थता
- निष्कर्ष

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