सन्त तुकाराम
संत तुकाराम, भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के सबसे अधिक लोकप्रिय संतकवियों में से एक हैं। उनका जन्म 1598 ई. में पूना में किसानों और व्यापारियों के एक परिवार में हुआ। उन्होंने जीवन में अनेक कष्ट सहन किए, जिनमें अकाल के कारण आपके परिवार के सदस्यों की मृत्यु भी शामिल थी। बचपन से ही तुकाराम जी का रुझान आध्यात्मिकता की ओर था, इसलिए इस त्रासदी ने उन्हें और अधिक रूहानी अभ्यास करने की प्रेरणा दी और अंत में उन्हें परमात्मा का ज्ञान प्राप्त हुआ। अपनी वाणी में उन्होंने सतगुरु की दया-मेहर से अंतर में प्रकट हुई शब्द धुन में अपने मस्त रहने की बात कही है। अपने उपदेश के बारे में उन्होंने कहा है कि मैं प्रभुप्राप्ति के मार्ग को प्रकाशित करने और सत्य तथा असत्य की पहचान कराने के लिए आया हूँ। प्रस्तुत पुस्तक में संत तुकाराम जी का संक्षिप्त जीवन चरित और हिंदी में अनुवादित उनके पद हैं।
लेखक: चन्द्रावती राजवाडेऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (121MB) | यू ट्यूब |
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संत तुकाराम, भारत के महाराष्ट्र प्रदेश के सबसे अधिक लोकप्रिय संतकवियों में से एक हैं। उनका जन्म 1598 ई. में पूना में किसानों और व्यापारियों के एक परिवार में हुआ। उन्होंने जीवन में अनेक कष्ट सहन किए, जिनमें अकाल के कारण आपके परिवार के सदस्यों की मृत्यु भी शामिल थी। बचपन से ही तुकाराम जी का रुझान आध्यात्मिकता की ओर था, इसलिए इस त्रासदी ने उन्हें और अधिक रूहानी अभ्यास करने की प्रेरणा दी और अंत में उन्हें परमात्मा का ज्ञान प्राप्त हुआ। अपनी वाणी में उन्होंने सतगुरु की दया-मेहर से अंतर में प्रकट हुई शब्द धुन में अपने मस्त रहने की बात कही है। अपने उपदेश के बारे में उन्होंने कहा है कि मैं प्रभुप्राप्ति के मार्ग को प्रकाशित करने और सत्य तथा असत्य की पहचान कराने के लिए आया हूँ। प्रस्तुत पुस्तक में संत तुकाराम जी का संक्षिप्त जीवन चरित और हिंदी में अनुवादित उनके पद हैं।
लेखक: चन्द्रावती राजवाडे