सारबचन राधास्वामी वार्तिक – राधास्वामी सत्संग ब्यास ऑडियो बुक्स

सारबचन राधास्वामी वार्तिक

इस पुस्तक में राधास्वामी संत-परंपरा के प्रथम संत सेठ शिव दयाल सिंह जी के द्वारा की गई संतों की शिक्षा के मूलभूत तत्त्वों की गद्य में व्याख्या है। वे ‘स्वामी जी महाराज’ के नाम से प्रसिद्ध थे और उन्नीसवीं शताब्दी में भारत के आगरा नगर में रहते थे। सारबचन का शाब्दिक अर्थ है ‘सत्य वचन’ और ‘वार्तिक’ का अर्थ है ‘व्याख्या’। यह व्याख्या स्वामी जी के कई वर्षों के सत्संगों और वार्तालापों के दौरान समय-समय पर लिए गए नोट्स पर आधारित है। स्वामी जी महाराज समझाते हैं कि उनकी शिक्षा नई पद्धति नहीं है, बल्कि पहले हो चुके सभी पूर्ण संतों द्वारा दिए गए वे ही आध्यात्मिक सिद्धांत हैं जो सदियों से चले आ रहे हैं। स्वामी जी ने आंतरिक आध्यात्मिक मंडलों तथा सृष्टि की रचना की प्रक्रिया का विस्तार से वर्णन किया है। इसके अतिरिक्त उनके कुछ संक्षिप्त आध्यात्मिक वचनों का संग्रह भी सूक्तियों की शृंखला के रूप में सम्मिलित किया गया है।

लेखक: हुज़ूर स्वामी जी महाराज
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