सुखमनी
सुखमनी गुरु अर्जुन देव की एक उत्कृष्ट रचना है। सुखमनी शब्द का अर्थ है—सुख देनेवाली मणि। यह रचना हमारी गहरी आध्यात्मिक मनोकामना को जाग्रत करके पवित्र नाम का अभ्यास करने की प्रेरणा देती है। यह हमें समझाती है कि जिस तरह एक बूँद समुद्र में घुलमिल जाती है, उसी तरह जब ज्योति-स्वरूप आत्मा गुरु के निर्देशों के अनुसार नाम में ध्यान केंद्रित करती है, तब वह उस परमात्मा की परम ज्योति में समा जाती है। मनुष्य तब जीते-जी मुक्त हो जाता है और अपने जीवन का उद्देश्य यानी स्थायी शांति तथा आनंद प्राप्त करता है। सुखमनी की विस्तृत व्याख्या इस पुस्तक के पाठक को प्रोत्साहित करेगी कि वह आध्यात्मिकता के सागर में गहरी डुबकी लगाकर, उसके ख़ज़ानों में से ज्ञान के हीरे-मोती प्राप्त करे।
लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारीऑनलाइन ऑर्डर के लिए: भारत से बाहर के देशों में ऑर्डर के लिए भारत में ऑर्डर के लिए डाउन्लोड (270MB) | यू ट्यूब |
- प्रकाशक की ओर से
- लेखक की ओर से
- रचयिता
- गउड़ी सुखमनी म: 5
- असटपदी – 1
- असटपदी – 2
- असटपदी – 3
- असटपदी – 4
- असटपदी – 5
- असटपदी – 6
- असटपदी – 7
- असटपदी – 8
- असटपदी – 9
- असटपदी – 10
- असटपदी – 11
- असटपदी – 12
- असटपदी – 13
- असटपदी – 14
- असटपदी – 15
- असटपदी – 16
- असटपदी – 17
- असटपदी – 18
- असटपदी – 19
- असटपदी – 20
- असटपदी – 21
- असटपदी – 22
- असटपदी – 23
- असटपदी – 24
- सुखमनी तथा सुख
- सुखमनी : एक विवेचन
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सुखमनी गुरु अर्जुन देव की एक उत्कृष्ट रचना है। सुखमनी शब्द का अर्थ है—सुख देनेवाली मणि। यह रचना हमारी गहरी आध्यात्मिक मनोकामना को जाग्रत करके पवित्र नाम का अभ्यास करने की प्रेरणा देती है। यह हमें समझाती है कि जिस तरह एक बूँद समुद्र में घुलमिल जाती है, उसी तरह जब ज्योति-स्वरूप आत्मा गुरु के निर्देशों के अनुसार नाम में ध्यान केंद्रित करती है, तब वह उस परमात्मा की परम ज्योति में समा जाती है। मनुष्य तब जीते-जी मुक्त हो जाता है और अपने जीवन का उद्देश्य यानी स्थायी शांति तथा आनंद प्राप्त करता है। सुखमनी की विस्तृत व्याख्या इस पुस्तक के पाठक को प्रोत्साहित करेगी कि वह आध्यात्मिकता के सागर में गहरी डुबकी लगाकर, उसके ख़ज़ानों में से ज्ञान के हीरे-मोती प्राप्त करे।
लेखक: डॉ. टी. आर. शंगारी