तुलसी साहिब – राधास्वामी सत्संग ब्यास ऑडियो बुक्स

तुलसी साहिब

पुणे की राजगद्दी के वारिस तुलसी साहिब (1763-1843 ई.) ने आध्यात्मिक सत्य की प्राप्ति के लिए, अपनी विरासत को त्यागकर उत्तर भारत में हाथरस में आकर डेरा लगाया जहाँ अनेक श्रद्धालु आपके पास आने लगे। इस पुस्तक में तुलसी साहिब के जीवन चरित, उनकी मधुर रचनाएँ और विशेष रूप से आगरा के स्वामी जी महाराज के साथ उनके संबंध का उल्लेख है। उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना घट रामायण में कट्टरपंथी हिंदुओं, मुसलमानों और सिक्खों के साथ उनके संवाद दिए गए हैं। उन्होंने तीर्थ यात्रा तथा अन्य बाहरी धर्म कर्म की व्यर्थता तथा आंतरिक रूहानी अभ्यास की आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया है। अपने ग्रंथ रत्नसागर में आपने सृष्टि के रहस्य, कर्म-सिद्धांत, मृत्यु और वक़्त के पूर्ण गुरु की महिमा तथा महत्त्व के बारे में चर्चा की है।

लेखक: जनक पुरी, वीरेन्द्र कुमार सेठी, डॉ. टी. आर. शंगारी
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