लेह और लद्दाख

5-6 अगस्त 2010 को लेह में अचानक आई भारी बाढ़ से बड़े पैमाने पर मिट्टी के खिसकने और धँसने से घरों और बुनियादी ढाँचे को भारी नुकसान पहुँचा। अनेक लोग बेघर हो गए और सैकड़ों मारे गए। राज्य अधिकारियों ने तुरंत सेना और अन्य राहत एजेंसियों को तैनात किया। चूँकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एन.डी.एम.ए.) राधास्वामी सत्संग ब्यास संस्था द्वारा 2005 में जम्मू और कश्मीर में किए गए आपदा राहत कार्यों से परिचित था, उसने राधास्वामी सत्संग ब्यास से तत्काल बेघर लोगों के लिए आश्रय की व्यवस्था का अनुरोध किया। राधास्वामी सत्संग ब्यास ने शौचालय सहित 6 स्टील शेड के निर्माण की हामी भर दी। इन शेड को इस तरह डिज़ाइन किया गया कि वे बर्फ़ का भार सह सकें; साथ ही उन्हें इंस्यूलेट किया गया ताकि कम तापमान में भी इनमें रहा जा सके।

राधास्वामी सत्संग ब्यास ने एन.डी.एम.ए. और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर शेड निर्माण के लिए 6 अलग-अलग जगहों को चुना। पहले लुधियाना (पंजाब) में 400 सेवादारों की मदद से शेड का सामान तैयार किया गया; फिर लेह में निर्माण कार्य के लिए सेवादारों और वाहनों का प्रबंध किया गया। पाँच हफ्ते की अवधि में 28 ट्रकों और दूसरे वाहनों की मदद से 300 टन निर्माण सामग्री और 250 सेवादारों का जत्था लेह पहुँचाया गया। इस निर्माण कार्य के दौरान 1000 से भी ज़्यादा भिन्न-भिन्न हुनरवाले सेवादारों को अलग-अलग समय के लिए लेह भेजा गया। निर्माण कार्य शुरू होने के चार हफ्तों के अंदर ही 6 शेड तैयार किए गए। इस तरह भीषण सर्दी शुरू होने से काफ़ी पहले अक्तूबर में ये शेड रहने के लिए तैयार हो गए। सरकार द्वारा कहे गए 6 शेड के निर्माण के बाद राधास्वामी सत्संग ब्यास ने देखा कि महाबोधि मेडिटेशन सेंटर पर बुज़ुर्गों का आश्रय भी टूट गया था। राधास्वामी सत्संग ब्यास ने उनके लिए भी ऐसा इंस्यूलेटिड् नया शेड बनाया।


