नेपाल


25 अप्रैल 2015 को नेपाल में बहुत बड़े पैमाने पर भूकंप आया, जो इसके इतिहास में आए सबसे बड़े भूकंपों में से एक था। इससे काठमांडू और आसपास के इलाक़ों में भारी तबाही हुई; लगभग 80 लाख लोगों को नुकसान पहुँचा। 9000 लोग मारे गए, 23,000 ज़ख़्मी हुए; हज़ारों इमारतें, भवन ढह गए और सड़कें तथा पुल नष्ट हो गए। इतने बड़े पैमाने पर हुए नुकसान को देखते हुए कई संगठनों ने राष्ट्रीय और स्थानीय सरकार के साथ मिलकर राहत प्रयासों में भाग लिया। राधास्वामी सत्संग ब्यास ने बेघर भूकंप पीड़ितों को आश्रय देने के लिए, भोजन का प्रबंध किया और उसके वितरण के लिए तुरंत अपना काठमांडू सेंटर खोल दिया।
एक महीने में 54,037 लोगों को खाना और आश्रय उपलब्ध करवाया गया; लगभग 2,92,196 भोजन के पैकेट बाँटे गए। चिकित्सा की ज़रूरत को देखते हुए राधास्वामी सत्संग ब्यास ने 5 से 10 मई तक पाँच डॉक्टरों की एक टीम को तीन जगहों पर तैनात किया, जिन्होंने हर रोज़ 2000 रोगियों को जाँच की और दवा दी। 7 से 10 मई के दौरान ज़रूरी दवाइयों के साथ डॉक्टरों और फ़ार्मासिस्टस् की 3 टीम और लंगर चलाने के लिए सेवादारों के जत्थे नेपाल के दूरदराज इलाक़ों में भेजे गए; डॉक्टरों का काम रोगियों को चिकित्सा देना था तथा लंगर जत्थे का काम बेघर लोगों को भोजन खिलाना था। राधास्वामी सत्संग ब्यास के अनुरोध पर दिल्ली के फ़ोर्टिस अस्पताल से 25 डॉक्टरों की एक टीम काठमांडू और 6 अन्य भूकंप प्रभावित ज़िलों का दौरा करने गई, जहाँ उन्होंने 4,196 भूकंप पीड़ितों का इलाज किया और उन्हें दवाएँ दी।
ज़रूरी सामान और सेवाएँ उपलब्ध करवाने के बाद, राधास्वामी सत्संग ब्यास से भूकंप पीड़ितों के लिए शेड बनाने के लिए कहा गया, ऐसे शेड जिन्हें बाद में वहाँ के लोग सामाजिक और शिक्षा संबंधी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल कर सकें। कुछ जगहें चुनी गईं और उन पर एक जैसे 20 शेड शौचालय की सुविधा के साथ बनाए गए। राहत का यह सारा कार्य राधास्वामी सत्संग ब्यास ने नि:शुल्क किया।


ज़मीन, बिजली, पानी की सुविधाएँ और उनकी मरम्मत और रख-रखाव का काम स्थानीय लोगों की मदद से हुआ। ये शेड रात में सोने के लिए और दिन में स्कूल के रूप में इस्तेमाल किए गए। हज़ारों सेवादारों ने इन आपदा राहत कार्यों में उत्सुकता से भाग लिया।
