मधुमेह - स्वास्थ्य की देखभाल

मधुमेह

भारत में मधुमेह की बीमारी एक बहुत बड़ा ख़तरा बन चुकी है। शहरों में हर चौथे या पाँचवें घर में एक मधुमेह का मरीज़ पाया जाता है। पिछले कुछ सालों से मधुमेह के मरीज़ों की संख्या काफ़ी बढ़ गई है। कुछ दशक पहले 2% युवक मधुमेह का शिकार थे लेकिन पिछले बीस‑तीस सालों में इनकी संख्या तेज़ी से बढ़कर 8‑10% हो गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि 2025 तक भारत में इस रोग के पाँच करोड़ सत्तर लाख मरीज़ होंगे। हालाँकि इस रोग का कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन आधुनिक चिकित्सा में प्रगति के कारण इसका मरीज़ आम लोगों की तरह ही सामान्य, चुस्त और उपयोगी जीवन जीने की आशा कर सकता है।

मधुमेह क्या है?

मधुमेह के रोगी के शरीर में इंसुलिन की कमी के कारण या इंसुलिन के सही ढंग से कार्य न करने से ख़ून में शुगर (ग्लूकोज़) की मात्रा हद से ज़्यादा बढ़ जाती है। शरीर की कोशिकाओं में शुगर की ज़रूरत होती है जिसे इंसुलिन वहाँ पहुँचाती है। ऐसा समझें कि इंसुलिन के न होने से या कम मात्रा में होने से ख़ून में पैदा होनेवाली शुगर शरीर की कोशिकाओं में नहीं जा पाती और ख़ून में ही अधिक मात्रा में इकट्‌ठी होने लगती है।

मधुमेह में क्या होता है?

जब इंसुलिन (Insulin) की कमी के कारण कोशिकाओं में ग्लूकोज़ नहीं जा पाता तो यह ख़ून में ही इकट्‌ठा हो जाता है। जब यह एक ख़ास स्तर को पार कर जाए तो पेशाब में आने लगता है। सामान्य पेशाब में ग्लूकोज़ नहीं होता।

जब पेशाब में ग्लूकोज़ आता है तो यह शरीर से बहुत‑सा पानी भी साथ ले आता है, जिसके कारण पेशाब अधिक मात्रा में आता है। ज़्यादा पेशाब आने से शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिससे प्यास ज़्यादा लगती है। भले ही ख़ून में ग्लूकोज़ ज़्यादा मात्रा में होता है लेकिन इंसुलिन की कमी के कारण कोशिकाओं में नहीं पहुँचता। इसलिए कोशिकाओं में ग्लूकोज़ की कमी हो जाती है। इससे व्यक्ति को भूख ज़्यादा लगती है। इसलिए मधुमेह का रोगी ज़्यादा खाता है, लेकिन कोशिकाओं को पर्याप्त ग्लूकोज़ नहीं मिलता। कोशिकाओं को ताक़त की सख़्त ज़रूरत होती है इसलिए वे शरीर की चर्बी और प्रोटीन को इस्तेमाल करना शुरू कर देती हैं। इस कारण वज़न में कमी और थकान होने लगती है, ऐसा केवल टाइप I मधुमेह में होता है। ख़ून में ज़्यादा ग्लूकोज़ होने से कुछ लोग बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं। कभी‑कभी ख़ून में ग्लूकोज़ की मात्रा बहुत अधिक हो जाने से रोगी कोमा (Coma) में भी चला जाता है। साथ ही संक्रमण होने का ख़तरा बढ़ जाता है। इसके लक्षण आम तौर पर दिखाई नहीं देते।

मधुमेह के सामान्य लक्षण मधुमेह का क्या कारण है?

मुख्य रूप से मधुमेह के दो कारण हैं:

  1. आनुवंशिक कारण (Hereditary factors) : कुछ जन्मजात कारणों से (genetic factors) बच्चे माता‑पिता से यह रोग प्राप्त करते हैं। इसी लिए कुछ परिवारों में यह रोग ज़्यादा होता है। यदि माता या पिता में से किसी एक को यह रोग है तो बच्चे को यह रोग होने की 20% संभावना है और यदि माता और पिता दोनों को मधुमेह है तो बच्चे को मधुमेह होने की संभावना 20‑50% होती है।

  2. वातावरण और आदतों के कारण (Environmental factors) :
    • मोटापा।
    • शारीरिक आलस।
    • व्यायाम की कमी।
    • भोजन का सही चुनाव न करना, जैसे ज़्यादा मीठा, ज़्यादा वसा और कम रेशे वाला भोजन, फ़ास्ट फ़ूड खाना।

इन कारणों से उन लोगों को मधुमेह होने के आसार ज़्यादा हैं जिनमें आनुवंशिक (hereditary) मधुमेह रोग के तत्त्व मिलते हैं।

क्या मधुमेह के सभी रोगी एक-से होते हैं?

नहीं, मधुमेह के सभी रोगी एक‑से नहीं होते। मधुमेह के रोगियों को मुख्य रूप से दो श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

टाइप I टाइप II टाइप II मधुमेह की रोकथाम संभव है
  1. पहले स्तर पर रोकथाम: उन रोगियों पर लागू होती है जिनमें मधुमेह होने की संभावना बहुत ज़्यादा है। आप ज़्यादा खतरे वाली श्रेणी में हैं, यदि:
    • आपका कोई रिश्तेदार मधुमेह से पीड़ित है।
    • आपका वज़न ज़्यादा है (बी.एम.आई.> 25 है)।
    • आपने चार किलोग्राम या इससे ज़्यादा वज़न वाले बच्चे को जन्म दिया है।
    • गर्भावस्था के दौरान आपको मधुमेह था या ख़ून में ग्लूकोज़ का स्तर ज़्यादा था।
    • आप शारीरिक रूप से आलसी हैं अर्थात्‌ आप सप्ताह में तीन बार से कम व्यायाम करते हैं।
    • आपको हाई ब्लड प्रेशर है।
    • पहले से ही मधुमेह के लक्षण हैं: बिना खाना खाए (Fasting) ग्लूकोज़ की मात्रा 110‑126 मिलिग्राम% है और खाना खाने के बाद 140‑200 मिलिग्राम% है।
    • ट्राइग्लिसराइड्स या कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य से ज़्यादा है।
    मधुमेह की रोकथाम में सफलता इन पर निर्भर है:
    • आप शरीर का वज़न सही रखें। यदि वज़न ज़्यादा है तो 5‑7% वज़न घटाएँ। 2‑3 किलोग्राम वज़न कम करने से भी बहुत फ़र्क़ पड़ जाता है।
    • ऐसी वस्तुएँ खाएँ जिनका ग्लायसीमिक इंडेक्स (glycemic index) कम हो अर्थात्‌ जिनको खाने के बाद ख़ून में ग्लूकोज़ की मात्रा ज़्यादा न बढ़े। जैसे गेहूँ, फलियाँ, फल और सब्ज़ियों इत्यादि का सेवन करें। केवल अनसैचुरेटिड वसा (unsaturated fat) यानी वनस्पति तेलों (liquid vegetable oils) का ही प्रयोग करें जो सामान्य तापमान पर न जमें।
    • सप्ताह में पाँच बार, तीस मिनट के लिए तेज़ सैर करें या कोई अन्य व्यायाम करें।
  2. दूसरे स्तर पर रोकथाम: यदि आप ख़ून में ग्लूकोज़ और चर्बी की मात्रा तथा ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखते हैं और साथ ही दूसरे उपाय भी अपनाते हैं, जैसे डॉक्टर के सुझाव के अनुसार ऐस्प्रिन लेना, चर्बी और ब्लड प्रेशर की दवाइयों (Statins and ACE inhibitors) का सही इस्तेमाल करना, तो आप मधुमेह से होनेवाली परेशानियों से बचे रहते हैं।
  3. तीसरे स्तर पर रोकथाम: मधुमेह के कारण यदि आँख, गुर्दे, हृदय, ख़ून की नाड़ियों या नसों से जुड़ी कोई समस्या पैदा हो जाए और यदि इनका पता जल्दी लग जाए तो आगे के नुकसान को रोका जा सकता है और इन अंगों को बचाया जा सकता है।
मधुमेह के रोगी की ज़िम्मेदारी है कि वह अपने परिवार के लोगों में इसकी रोकथाम करने का प्रयास करे
यदि आप जानते हैं कि आपको मधुमेह है तो आपके परिवार के अन्य लोगों को भी मधुमेह हो सकता है। यदि आपके भाई‑बहनों में ये लक्षण हैं तो उन्हें जाँच करवाने के लिए प्रेरित करें, ख़ास तौर पर अगर: मधुमेह की जाँच सुविधाजनक है

भोजन करने के दो घंटे बाद ब्लड शुगर की जाँच करवाएँ। यदि ग्लूकोज़ (blood sugar) का स्तर 140 मिलिग्राम% से अधिक है, तो एक बार और ख़ाली पेट जाँच करवाएँ और फिर 75 ग्राम ग्लूकोज़ खाने के दो घंटे बाद दोबारा जाँच करवाएँ।

ख़ून में शुगर की मात्रा
ख़ाली पेट खाने के दो घंटे बाद
सामान्य 110 मिलिग्राम% से कम 140 मिलिग्राम% से कम
मधुमेह होने का ख़तरा 110‑125 मिलिग्राम% 140‑200 मिलिग्राम%
मधुमेह 200 मिलिग्राम% से ज़्यादा

यदि ग्लूकोज़ का स्तर अभी ठीक है लेकिन आई.जी.टी. (Impaired Glucose Tolerance) जाँच करवाने के बाद यह स्तर सामान्य से ज़्यादा है, तो हर साल आई.जी.टी की जाँच ज़रूर करवाएँ। इस जाँच को नज़रअंदाज़ न करें। अपनी जीवन शैली में परिवर्तन करके आप मधुमेह से बचाव कर सकते हैं।

मधुमेह की जटिलताओं से बचाव

यदि मधुमेह पर सही नियंत्रण न रखा जाए तो इससे शरीर के दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुँचता है और कई गंभीर समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। यदि रोग को नियंत्रित कर लिया जाए तो इनमें से कई समस्याओं को अधिक समय तक टाला या रोका जा सकता है।

गंभीर समस्याएँ

मधुमेह के जो रोगी ब्लड शुगर की अधिक मात्रा को नज़रअंदाज़ करते हैं, उनके शरीर से पेशाब द्वारा काफ़ी मात्रा में पानी और नमक निकल जाता है। इस कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है, यह जानलेवा हो सकता है।

मधुमेह के उस रोगी की आयु लंबी होगी,
जिसे अपनी बीमारी की जानकारी सबसे ज़्यादा होती है।

हाईपरग्लाइसीमिया (ख़ून में ज़्यादा शुगर/कीटोएसिडोसिस और कोमा)

जब शरीर की चर्बी का सही ढंग से इस्तेमाल नहीं होता, तो इससे एक ख़राब पदार्थ कीटोन बॉडीज़ (Ketone bodies) की उत्पत्ति होती है, जिससे ख़ून अम्लीय (acidic) हो जाता है। इस स्थिति को कीटोएसिडोसिस (Ketoacidosis) कहते हैं। ऐसा उन मरीज़ों में होता है जिन्हें मधुमेह का इलाज करने के लिए इंसुलिन की ज़रूरत होती है। यदि मरीज़ इंसुलिन का इस्तेमाल बंद कर दे या किसी बीमारी के कारण इंसुलिन का इस्तेमाल ज़्यादा करना पड़े, तो यह स्थिति पैदा होती है। मरीज़ को उलटियाँ, पेट में दर्द, शरीर में पानी और नमक की बहुत कमी, साँस फूलना, साँस में फलों जैसी गंध जैसे ऐसीटोन (Acetone) और बेहोशी हो सकती है तथा मौत भी हो सकती है।

हाईपोग्लाइसीमिया (ख़ून में कम शुगर होना)
हाईपोग्लाइसीमिया का अर्थ है ख़ून में ग्लूकोज़ की मात्रा का सामान्य और उचित स्तर से कम हो जाना। इसके कई लक्षण होते हैं। परंतु कई बार यह अवस्था बिना किसी लक्षण के भी पैदा हो सकती है, यहाँ तक कि सोते‑सोते भी! इसके कारण हैं:
  • अधिक मात्रा में या ग़लत समय पर इंसुलिन लेना या ग्लूकोज़ कम करनेवाली अन्य दवाइयों का सेवन।
  • इंसुलिन लेने के बाद अपर्याप्त मात्रा में भोजन करना।
  • अधिक व्यायाम करना।
  • ज़्यादा शराब पीना।

हाईपोग्लाइसीमिया (ख़ून में शुगर की कमी) के लक्षण क्या हैं?

कम ख़तरे के लक्षण मध्यम ख़तरे के लक्षण अधिक ख़तरे के लक्षण
पसीना आना कमज़ोरी सोचने‑समझने की शक्ति में कमी, यहाँ तक कि यह भी याद न रहना कि हाईपोग्लाइसीमिया के लिए क्या इलाज करना है।
दिल की तेज़ धड़कन भूख के मारे पेट में दर्द होना दुविधा, बौखलाना
घबराहट सुस्ती/ज़्यादा नींद आना ध्यान एकाग्र करने में कठिनाई
काँपना धीमी प्रतिक्रिया
हाईपोग्लाइसीमिया से कैसे बचा जा सकता है

यदि ख़ून में शुगर की थोड़ी बहुत कमी हो तो उसे शरीर सहज ही ठीक कर लेता है। लेकिन यदि शुगर की कमी बहुत अधिक हो और सही इलाज न किया जाए तो रोगी कोमा में भी जा सकता है।

भोजन, व्यायाम और दवाइयों के सही प्रयोग से हाईपोग्लाइसीमिया से बचा जा सकता है। अपने पास हमेशा कोई मीठी चीज़ रखें और शुगर की कमी के लक्षण होते ही उसका सेवन करें। अपने रिश्तेदारों को अपनी शुगर की कमी के बारे में ज़रूर बताएँ। अपने पास हमेशा एक पहचान‑पत्र (ID Card) रखें जिस पर लिखा हो कि आप मधुमेह के रोगी हैं। यदि ब्लड शुगर बहुत कम हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

2. लंबे समय के लिए होनेवाली समस्याएँ मधुमेह और अंधापन

मधुमेह के बहुत‑से रोगी शिकायत करते हैं कि उन्हें बार‑बार चश्मा बदलवाना पड़ता है क्योंकि उनकी देखने की क्षमता में बार‑बार परिवर्तन आ जाता है। ऐसा ब्लड शुगर में उतार चढ़ाव होने के कारण होता है। यदि ब्लड शुगर पर सही नियंत्रण न रखा जाए, तो बार‑बार नए चश्मे बनवाने से कोई लाभ नहीं होगा। इसलिए यह ज़रूरी है कि नए चश्मे बनवाने से पहले कम से कम दो से तीन सप्ताह के लिए ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित किया जाए और फिर उसे नियंत्रण में रखने की पूरी कोशिश की जाए।

चश्मे का नंबर बदलने का कारण मधुमेह के कारण रेटिना को होनेवाला नुकसान (Diabetic retinopathy) भी हो सकता है। यदि इस रोग का इलाज न करवाया जाए तो अंधापन हो सकता है।

मधुमेह के कारण होनेवाला अंधापन

मधुमेह के रोगियों में अंधापन होने का सबसे बड़ा कारण रेटिना को होनेवाला नुकसान है। यदि इस रोग की पहचान करके इलाज जल्द कर लिया जाए तो इसके कारण होनेवाले अंधेपन को रोका जा सकता है। जब रेटिना में ख़ून की नाड़ियाँ फट जाती हैं या नई बनने लगती हैं तो डाइबीटिक रेटिनोपैथी हो जाती है, जिसके कारण नज़र कमज़ोर हो जाती है और अंधापन हो सकता है।

जिसको मधुमेह का ज्ञान सबसे ज़्यादा है, उस रोगी का जीवन ज़्यादा लंबा होगा।

अंधेपन को कैसे रोका जाए?
मधुमेह और दिल का दौरा

अन्य लोगों की अपेक्षा मधुमेह के रोगियों में दिल का दौरा पड़ने की संभावना तीन गुणा ज़्यादा होती है। इन्हें हाई ब्लड प्रेशर होने का ख़तरा भी बना रहता है।

मधुमेह के रोगियों में दिल के दौरे और स्ट्रोक से बचाव
सामान्य लोगों की अपेक्षा मधुमेह के मरीज़ों में दिल के दौरे की या स्ट्रोक होने की संभावना दो से चार गुणा ज़्यादा होती है। मधुमेह के रोगियों में दिल के दौरे के कुछ ख़ास लक्षण हैं: मधुमेह के रोगियों में दिल के दौरे के कारण यदि इन लक्षणों पर ध्यान रखा जाए और बचाव के उपाय किए जाएँ तो दिल के दौरे 50% तक कम किए जा सकते हैं। इन लक्ष्यों को हासिल करने की कोशिश करें: मधुमेह में गुर्दे के फ़ेल होने या किसी नुकसान से बचाना

अनियंत्रित मधुमेह गुर्दे को नुकसान पहुँचाता है जिससे अकसर गुर्दा फ़ेल हो जाता है। आजकल एक तिहाई मरीज़ों में गुर्दे के फ़ेल होने का कारण मधुमेह है।

गुर्दों का बचाव ख़ून की नाड़ियाँ और रक्त संचार

धमनियों (आर्टरीज़) में चर्बी इकट्ठी हो जाने से ख़ून के बहाव में बाधा पड़ती है। इससे कई बार स्ट्रोक और टाँगों में गैंगरीन हो सकता है।

मधुमेह को नियंत्रित रखने में सफलता
आपके दृष्टिकोण पर निर्भर है।

मधुमेह और स्नायु तंत्र (Nervous System)

अनियंत्रित मधुमेह से नसों को नुकसान होता है। इससे शरीर की महसूस करने की शक्ति ख़त्म हो जाती है और छोटे‑मोटे ज़ख़्मों का पता नहीं चलता। इन ज़ख़्मों में संक्रमण हो सकता है और जब ख़ून के बहाव में रुकावट के साथ‑साथ ऐसा हो तो गैंगरीन होने का डर होता है और अंग को काटना भी पड़ सकता है।

अपने डॉक्टर को हर बार अपने पैर ज़रूर दिखाएँ
और पूछें कि कहीं आपके पैरों को कोई ख़तरा तो नहीं!

पैरों की देखभाल (गैंगरीन और पैर कटवाने से बचें) मधुमेह की निगरानी के लिए क्या करें?

मधुमेह की हर जाँच का अपना महत्त्व है और इससे कुछ न कुछ जानकारी मिलती है। कुछ मापदंड (Parameter) जैसे कि ब्लड शुगर हर मिनट बदलते हैं, जबकि कोलेस्ट्रॉल कई‑कई महीनों तक नहीं बदलता। इसलिए हर जाँच को सही समय पर दोहराया जाना चाहिए, ताकि जाँच सार्थक और कम ख़र्च में हो।

किस तरह की जाँच कब करवानी चाहिए?
मधुमेह का पहली बार पता चलने पर जाँच करवाएँ जब इलाज से मधुमेह थोड़ा नियंत्रण में आ जाता है तो भी बार‑बार यह जानने के लिए जाँच की जाती है:

अपनी देखभाल ख़ुद करना सबसे बेहतर और उपयोगी है।

मधुमेह के रोगी की हर 3 महीने में जाँच मधुमेह के रोगी की हर 6 महीने में जाँच मधुमेह के रोगी की सालाना जाँच
  1. शरीर के सभी अंगों की व्यापक जाँच।
  2. फ़ंडस के लिए आँखों की जाँच।
  3. दिल की जाँच।
  4. गुर्दे और लिवर की जाँच।

सिर्फ़ जानकारी होने से बात नहीं बनती,
उस पर अमल भी करना पड़ता है।

मधुमेह पर नियंत्रण

मधुमेह पर नियंत्रण से क्या मतलब है?
मधुमेह को नियंत्रित करने का हर व्यक्ति का ढंग अलग‑अलग हो सकता है: रोग पर नियंत्रण पाने के लिए आपको अपनी बीमारी की समझ होनी ज़रूरी है। अपने रोग की रोकथाम के लिए आपने जो लक्ष्य बनाए हैं, उन्हें हासिल करने में आपका डॉक्टर सहायता कर सकता है, लेकिन याद रखें कि रोग का नियंत्रण आपके हाथ में है। मधुमेह पर नियंत्रण के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण हैं:

जब भी हम भोजन करते हैं, चाहे उसमें कार्बोहाइड्रेट्‌स, प्रोटीन, चिकनाई हों या ये पदार्थ अलग‑अलग अनुपात में हों, ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है। जो कुछ हम खाते हैं उसके ग्लायसीमिक इंडेक्स (G I) पर निर्भर करता है कि ब्लड शुगर कितनी बढ़ेगी।

ग्लायसीमिक इंडेक्स का अर्थ है—भोजन करने के बाद ब्लड शुगर का स्तर और उतनी ही कैलोरीज़ में ग्लूकोज़ खाने के बाद ब्लड शुगर के स्तर का अनुपात। ग्लूकोज़ का ग्लायसीमिक इंडेक्स बहुत अधिक होता है। यदि हम चाहते हैं कि हमारी ब्लड शुगर तेज़ी से न बढ़े तो हमें ऐसा भोजन करना चाहिए जिसका ग्लायसीमिक इंडेक्स कम हो।

ग्लायसीमिक इंडेक्स (जी.आई) का महत्त्व

कुछ खाद्य पदार्थों का ग्लायसीमिक इंडेक्स

दही 14 हरे मटर 47
चेरीज़ 22 जई 48
राजमा 29 गाजर 49
दालें (हरी, ब्राउन) 30 शकरकंदी 52
मलाईवाला दूध 32 आम 55
बिना मलाई के दूध 30 केले 56
टमाटर का सूप 38 आलू 59
सेब 38 गेहूँ 66
संतरे 43 तरबूज़ 72
अंगूर 46 कॉर्न फ़्लेक्स 83
भिन्न‑भिन्न खाद्य पदार्थों के मिले‑जुले भोजन से जी.आई. कम रहता है। यदि हम रोटी के साथ दाल खाएँ, तो उसका जी.आई. केवल रोटी खाने की अपेक्षा कम होता है। आहार के कुछ सुझाव

मधुमेह के रोगी का मुख्य आहार कैसा होना चाहिए?

मधुमेह के रोगी के लिए भोजन की हिदायतें
  1. आपका वज़न आपके आदर्श वज़न से ज़्यादा नहीं होना चाहिए।
  2. कभी भी भूखे न रहें। आगे दी गई उपयुक्त आहार की सूची में से जो भी चाहें जितना मरज़ी खा‑पी सकते हैं।
  3. दिन में दो या तीन बार भोजन करने के बजाय भोजन की मात्रा और पोषण के हिसाब से खाने को पाँच से छ: भागों में बाँटकर खाएँ।
  4. व्यायाम करना बहुत अच्छी बात है और इसे अपनी दिनचर्या का अंग बनाएँ।
  5. दावतों और व्रतों से दूर रहें यानी न बहुत अधिक खाएँ और न ही भूखे रहें।
  6. कार्बोहाइड्रेट्‌स का मुख्य स्रोत अनाज हैं और इनका सेवन बताई गई मात्रा के अनुसार करें। मिले‑जुले या साबुत अनाज का इस्तेमाल करें।
मधुमेह के रोगियों के लिए उपयुक्त आहार

बिना शक्कर की चाय और कॉफ़ी, नीबू‑पानी, पतला सूप, बिना मीठे का सोडा, सिरका, पतली खट्टी लस्सी, खीरा, ककड़ी, टमाटर, मूली, करेला, साग और पत्तेदार सब्ज़ियाँ।

इन खाद्य पदार्थों से परहेज़ करें

आइसक्रीम, हलवा, आम, केला, सीताफल, किशमिश, अंगूर, चीकू, खजूर, सूखे मेवे, गिरियाँ, आलू, शकरकंदी, कचालू, चुकंदर, अनानास, तला भोजन, तेल वाले अचार, केक, पेस्ट्री और मैदे से बने पदार्थ।

कैलोरीज़ के मुताबिक़ भोजन की सूची

कैलोरीज़ 800
प्रोटीन 40 ग्राम
वसा 14 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट्‌स 130 ग्राम
सुबह का नाश्ता
सब्ज़ियाँ डालकर बनाया गया दलिया 1 कप
दही या दूध1 कटोरी या 1 कप
मिस्सी रोटी या भरवाँ रोटी1 छोटी
दही या मलाईरहित दूध1 कटोरी/1 कप
सुबह के नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच
सब्ज़ियों का सूप या नीबू पानी 1 कप
दोपहर का भोजन
बिना घी के रोटी 1 छोटी
दाल½ कटोरी
दही½ कटोरी
मौसम की उबली हुई सब्ज़ी1 कटोरी
सलाद¼ प्लेट
शाम की चाय
बिना मलाई का दूध (दोपहर के भोजन में दही कम करें)1 कप
चाय1 कप
‘मेरी’ (Marie) बिस्कुट (कम चीनी वाला बिस्कुट)1
रात का भोजन
सब्ज़ियों का सूप1 कप
बिना घी के रोटी½ छोटी रोटी
दाल¼ कटोरी
मौसम की उबली हुई सब्ज़ी1 कटोरी
सलाद¼ प्लेट
ध्यान दें:
  1. एक कटोरी दाल=150 मि.ली. (25 ग्राम दाल)
  2. एक कप दूध=150 मि.ली.
  3. चाय या दही बनाने के लिए या पीने के लिए बिना मलाई का दूध इस्तेमाल करें
  4. एक कटोरी दही=25 ग्राम

कैलोरीज़ के मुताबिक़ भोजन की सूची

कैलोरीज़ 1300 1600 1900
प्रोटीन 50 ग्राम 60 ग्राम 70 ग्राम
वसा 30 ग्राम 36 ग्राम 43 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट्‌स 210 ग्राम 260 ग्राम 310 ग्राम

सुबह का नाश्ता
दूध 1 कप 1 कप 1 कप
दलिया 1 कटोरी 1 कटोरी 1 कटोरी
भरवाँ/मिस्सी रोटी 1 रोटी 1 रोटी 1 रोटी
दही 100 ग्राम 100 ग्राम 100 ग्राम
सुबह के नाश्ते और दोपहर के भोजन के बीच
चाय, लस्सी या नीबू पानी चाय, लस्सी या नीबू पानी चाय, लस्सी या नीबू पानी चाय, लस्सी या नीबू पानी
अंकुरित दाल या फल अंकुरित दाल या फल अंकुरित दाल या फल अंकुरित दाल या फल
दोपहर का भोजन
रोटी 2 छोटी 3 छोटी 2 मध्यम
दाल 1 कटोरी 1 कटोरी 1 कटोरी
सब्ज़ी 1 कटोरी 1 कटोरी 1 कटोरी
दही 100 ग्राम 100 ग्राम 100 ग्राम
सलाद ¼ प्लेट ¼ प्लेट ¼ प्लेट
शाम की चाय
चाय 1 कप 1 कप 1 कप
बिस्कुट 2 – 3 बिस्कुट 2 – 3 बिस्कुट 2 – 3 बिस्कुट
पोहा या उपमा 1 कटोरी 1 कटोरी 1 कटोरी
रात का भोजन 
रोटी 1 छोटी 1 छोटी 2 मध्यम
दाल या
पनीर की भाजी
½ कटोरी 1 कटोरी 1 कटोरी
सब्ज़ी 1 कटोरी 1 कटोरी 1 कटोरी
दही 100 ग्राम 100 ग्राम 100 ग्राम
सलाद ¼ प्लेट ¼ प्लेट ¼ प्लेट

सब्ज़ियाँ
कार्बोहाईड्रेट और कैलोरीज़ नाममात्रकार्बोहाइड्रेट 10 ग्राम और कैलोरीज़ 50
पत्तेदार सब्ज़ियाँजड़ वाली सब्ज़ियाँ मात्रा (ग्राम)
चौलाई चुकंदर 75
बथुआ गाजर 105
पत्ता गोभी अरबी 45
धनिये के पत्ते प्याज़ (मध्यम आकार का) 90
मेथी के पत्ते आलू 45
करी पत्ता शकरकंदी 30
लैट्यूस (सलाद के पत्ते)
पुदीना
पालक
सोया के पत्ते
अन्य सब्ज़ियाँ अन्य सब्ज़ियाँ
सफ़ेद पेठा बाकला की फली 90
करेला ग्वारफली 90
बैंगन डबल बीन्ज़ 50
ककड़ी नरम कटहल 105
फूल गोभी कटहल के बीज 30
खीरा मटर 45
सहजन (Drumstick) हरा केला 75
फ़्रेंच बीन सिंघाड़ा 45
हरा आम
भिंडी
हरे प्याज़ की डंडी
परवल
कच्चे केले के फूल
कद्दू
मूली
राम तोरी
लंबी तोरी
टिंडा
हरा टमाटर
शलगम

फल
कार्बोहाइड्रेट 10 ग्राम कैलोरीज़ 50
फलमात्रा (ग्राम)लगभग संख्या और आकार
आमला 90 20 मध्यम
सेब 75 1 छोटा
केला 30 ¼ मध्यम
रसभरी 150 40 छोटी
काजू 90 2 मध्यम
शरीफ़ा/सीताफल 50 ¼
खजूर 30 3
अंजीर 135 6 मध्यम
अंगूर 105 20
अमरूद 100 1 मध्यम
जामुन 50 10 बड़ा
नीबू 90 1 मध्यम
लौकाट 105 6 बड़ी
आम 90 1 छोटा
खरबूज़ा 270 ¼ मध्यम
संतरा 90 1 छोटा
पपीता 120 2 मध्यम
आड़ू 135 1 मध्यम
नाशपाती 90 1 मध्यम
अनानास 90 1 ½ गोल फाँक
आलू बुख़ारा 120 4 मध्यम
अनार 75 1 छोटा
मौसम्मी 150 1 मध्यम
स्ट्रॉबेरी 105 40
टमाटर 240 4 मध्यम
तरबूज़ 175 ¼ छोटा

फलियाँ और दालें
30 ग्राम = 100 कैलोरीज़, 15 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 6 ग्राम प्रोटीन
काले चने काबुली चने
भुने हुए काले चने दालें
बेसन मोठ
लोबिया राजमा
हरी दाल सूखे मटर
अरहर

अनाज
30 ग्राम = 100 कैलोरीज़, 20 ग्राम कार्बोहाइड्रेट और 2 ग्राम प्रोटीन
बाजरा राइस फ़्लेक्स
जौ पोहे/मुरमुरे
ब्रैड (5 ग्राम चीनी के बराबर कार्बोहाइड्रेट्‌स और कैलोरीज़ के लिए)
ज़्वार/जुआर सेवइयाँ
कॉर्न फ़्लेक्स (Corn flakes) सूजी
सूखी मकई गेहूँ का आटा
जई (Oats) मैदा
चावल दलिया
रागी सागू (इसके साथ प्रोटीन युक्त अन्य भोजन की ज़रूरत होती है)

दूध
कैलोरीज़ 100, प्रोटीन 5 ग्राम
भोजन मात्रा
छाछ/लस्सी 750 मि.ली
चीज़ (Cheese) 30 ग्राम
दही210 ग्राम
खोया 30 ग्राम
भैंस का दूध 90 मि.ली.
गाय का दूध 180 मि.ली.
बिना मलाई का दूध*260 मि.ली.
बिना मलाई वाले दूध का पाउडर*30 ग्राम
वसा
कैलोरीज़ 100, वसा 11 ग्राम
भोजनमात्रा (ग्राम))
बादाम15
मक्खन15
काजू 20
नारियल 30
घी 11
भुनी मूँगफली 20
वनस्पति घी11
तेल11
अख़रोट 15
पिस्ता15

आम तौर पर प्रयोग होनेवाले भारतीय खाने में पोषण के तत्त्वों की मात्रा

खाद्य पदार्थ मात्रा घरेलू माप प्रोटीन (ग्राम) कैलोरीज़
दूध और दूध के पदार्थ
गाय का दूध 250 मि.ली. 1 गिलास 8.00 167.50
भैंस का दूध 250 मि.ली. 1 गिलास 10.75 292.50
बिना मलाई का दूध 250 मि.ली. 1 गिलास 6.25 72.50
दही 125 ग्राम 1 कटोरी 3.87 75.00
पनीर 25 ग्राम ½“x ½” x 2″ 6.00 87.00
छाछ/लस्सी 250 मि.ली. 1 गिलास 2.00 37.50
बिना मलाई वाले दूध का पाउडर (गाय) 100 ग्राम - 38.00 357.00
अन्य खाद्य पदार्थ और दालें
गेहूँ के आटे की पतली चपाती 25 ग्राम 1 3.03 85.25
चपाती (मध्यम) 30 ग्राम 1 3.63 102.30
चपाती (बड़ी) 40 ग्राम 1 4.84 136.40
गेहूँ का दलिया 25 ग्राम 1 कटोरी 2.95 86.50
सूजी 15 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 1.56 52.20
चावल 30 ग्राम 1 कटोरी 1.92 103.80
मूँग की धुली दाल 30 ग्राम 1 कटोरी 7.35 104.40
मलका मसूर दाल 30 ग्राम 1 कटोरी 7.53 102.90
अरहर दाल 30 ग्राम 1 कटोरी 6.69 100.50
काले चने 40 ग्राम 1 कटोरी 6.84 144.00
चने की दाल 30 ग्राम 1 कटोरी 7.20 104.10
सब्ज़ियाँ
पालक 100 ग्राम 1 कटोरी 2.00 26.00
मेथी 100 ग्राम 1 कटोरी 4.40 49.00
पत्ता गोभी/बंद गोभी 100 ग्राम 1 कटोरी 1.80 27.00
बैंगन 100 ग्राम 1 कटोरी 1.40 24.00
घीया 100 ग्राम 1 कटोरी 0.20 12.00
हलवा कद्दू 100 ग्राम 1 कटोरी 0.10 25.00
फूल गोभी 100 ग्राम 1 कटोरी 2.60 30.00
आलू 100 ग्राम 1 कटोरी 1.60 97.00
फ्रेंच बीन 100 ग्राम 1 कटोरी 1.70 26.00
मशरूम 100 ग्राम 1 कटोरी 3.10 43.00
फल
संतरा 100 ग्राम 1 piece 0.70 48.00
केला 100 ग्राम 1 piece 1.20 116.00
पपीता 100 ग्राम 1 piece 0.60 32.00
सेब 100 ग्राम 1 piece 0.20 59.00
अमरूद 100 ग्राम 1 piece 0.90 51.00
गिरियाँ और तेल वाले बीज
बादाम 15 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 3.12 98.25
काजू 15 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 3.18 89.40
सूखा नारियल 15 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 1.02 99.30
अख़रोट 15 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 2.34 103.05
किशमिश 20 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 0.36 61.60
मूँगफली 15 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 3.80 85.05
वसा और तेल
घी और तेल 15 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 135.00
मक्खन 20 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 145.80
अन्य खाद्य पदार्थ
चीनी 15 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 59.70
गुड़ 20 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 76.60
साबूदाना) 20 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 70.20
भूरी ब्रैड 25 ग्राम 1 slice 2.20 61.00
सफ़ेद ब्रैड 25 ग्राम 1 slice 1.95 61.25
कॉर्न फ़्लेक्स 30 ग्राम 1 cup 2.40 114.00
न्यूट्री नगेट्स 5 ग्राम 5 – 6 pieces 4.11 43.10
प्रोटीन बिस्कुट 5 ग्राम 1 1.50 22.00
जैम (Jam) 20 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 55.00
जेली (Jelly) 18 ग्राम 1 बड़ा चम्मच 50.00

सिर्फ़ जानकारी होने से बात नहीं बनती,
उस पर अमल भी करना है।

भोजन में तबदीली के लिए इन बातों का ध्यान रखें
  1. भोजन में मुख्य तत्त्वों का मिश्रण
    कार्बोहाइड्रेट्‌स कुल कैलोरीज़ का 65%
    प्रोटीन कुल कैलोरीज़ का 15‑30%
    तेल/वसा कुल कैलोरीज़ का 20%
  2. दिन भर के भोजन में आवश्यक कैलोरीज़
    सुबह की चाय कुल कैलोरीज़ का 5‑10%
    सुबह का नाश्ता कुल कैलोरीज़ का 20%
    दोपहर का भोजन कुल कैलोरीज़ का 30%
    शाम की चाय कुल कैलोरीज़ का 10%
    रात का भोजन कुल कैलोरीज़ का 30%

कम जी. आई. (G. I.) के लिए रोटी और बिस्कुट बनाने की सामग्री

रोटी चोकर के बिस्कुट (प्रति बिस्कुट 20 ग्राम)
15 ग्राम गेहूँ का आटा

10 ग्राम चने का आटा

5 ग्राम जौ का आटा

100 ग्राम गेहूँ का आटा

100 ग्राम गेहूँ का चोकर

10 ग्राम तेल

5 ग्राम नमक

1 ग्राम अजवायन

½ ग्राम बेकिंग पाउडर

व्यायाम

व्यायाम मधुमेह के इलाज का एक ज़रूरी अंग है। व्यायाम सबके लिए लाभदायक है, उनके लिए भी जिन्हें मधुमेह नहीं है। नियमित रूप से व्यायाम करने से, यहाँ तक कि दिन में 3‑4 किलोमीटर चलने से भी बहुत फ़ायदा होता है। व्यायाम:

मधुमेह के कारण भविष्य में होनेवाली समस्याओं को
व्यायाम करने से कम किया जा सकता है।
हर रोज़ सैर करने से मधुमेह दूर रहती है।

यदि नियमित रूप से व्यायाम करने के इतने फ़ायदे हैं तो फिर क्या आप सिर्फ़ आलस्य की वजह से व्यायाम नहीं करते? आम तौर पर लोग व्यायाम न करने के ये बहाने बनाते हैं: व्यायाम कब न करें
अपनी दवाइयों पर नज़र रखें

आप में से बहुत‑से लोगों को लगता होगा कि आप बहुत ज़्यादा दवा खा रहे हैं यह असुविधाजनक और महँगा हो सकता है और इसके कुछ हानिकारक असर शरीर पर हो सकते हैं। आपको इन दवाइयों के असर पर पूरा विश्वास नहीं होता क्योंकि इनका असर जल्दी नहीं होता। लेकिन दूसरी तरफ़ डॉक्टर को न केवल जल्दी असर का, बल्कि आगे चलकर होनेवाली अन्य समस्याओं का भी ध्यान रखना होता है।

रोगी और डॉक्टर, दोनों अपनी‑अपनी जगह ठीक हैं। डॉक्टर का फ़र्ज़ है कि वह मरीज़ को बताए और मरीज़ को चाहिए कि वह अच्छी तरह समझे कि कोई ख़ास दवा क्यों और कितने समय के लिए दी गई है। अगर मरीज़ को कुछ समझ न आए तो उसे उसके बारे में पूछ लेना चाहिए।

दवाइयों का वर्गीकरण इस प्रकार किया जा सकता है
  1. जो दवाइयाँ ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य करने के लिए ज़रूरी हैं:
    टाइप I मधुमेह के लिए: इंसुलिन ज़रूरी है और सारी उम्र लेनी पड़ती है।
    टाइप II मधुमेह के लिए: रोगी ऐसी गोलियाँ ले सकता है, जो:
    1. इंसुलिन के प्रतिरोध को कम करें जैसे बायगुअनाइड्स (Biguanides) और थायाज़ोलिडीनडाइओन्स (Thiazolidinediones)
    2. इंसुलिन के स्राव को बढ़ाए जैसे सलफ़ोनाइलयुरियाज़ (Sulphonylureas)
    3. कार्बोहाइड्रेट्स के पाचन को कम करे जैसे अल्फ़ा‑ग्लूकोसिडेस इनहिबिटर्स (Alpha-glucosidase inhibitors)
    इंसुलिन के साथ‑साथ आपको इनमें से शायद एक या दो या कभी‑कभी तीनों दवाइयों की ज़रूरत हो सकती है।
  2. ब्लड प्रेशर को 130/85 से नीचे रखनेवाली दवाइयाँ। इनमें ACE inhibitor को सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि ये गुर्दे और हृदय को नुकसान से रोकती है।
  3. ख़ून में लिपिड की मात्रा को सही रखनेवाली दवाइयाँ, जैसे स्टेटिन्स (Statins)
  4. ऐस्प्रिन की छोटी ख़ुराक, 75‑150 मिलिग्राम प्रतिदिन लेने से ख़ून में थक्का नहीं जमता जिससे दिल का दौरा और दिमाग़ में स्ट्रोक (ख़ून का दौरा कम होने से नुकसान) होने का ख़तरा कम हो जाता है।

ये दवाइयाँ महत्त्वपूर्ण हैं और मधुमेह के अधिकांश रोगियों को इनका इस्तेमाल करना पड़ता है।

कोई भी दवा लेने से पहले
अपने डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें।

कैलोरीज़ की ज़रूरत

शरीर की ऊँचाई और वज़न के अनुसार कैलोरीज़ की ज़रूरत, इलाज का मुख्य भाग है। कैलोरीज़ का अनुमान व्यक्ति के आदर्श वज़न (किलोग्राम में) पर निर्भर करता है।

  1. शरीर की ऊँचाई के अनुसार आदर्श वज़न:
    पुरुष स्त्री
    ऊँचाई, क़द152 सेंटीमीटर152 सेंटीमीटर
    वज़न48 किलोग्राम45 किलोग्राम
    प्रत्येक अधिक सेंटीमीटर के लिए, जोड़ें1.1 किलोग्राम0.9 किलोग्राम
  2. प्रतिदिन कैलोरीज़ की ज़रूरत जानने के लिए आदर्श वज़न को 22 किलो कैलोरी प्रति किलोग्राम से गुणा करें।
  3. आरामपरस्ती वाली ज़िंदगी जीने वालों के लिए: सामान्य कैलोरीज़ का 25% आम कैलोरी से ज़्यादा जोड़ें
        जो थोड़ा शारीरिक व्यायाम करते हैं: सामान्य कैलोरीज़ का 50% आम कैलोरी से ज़्यादा जोड़ें
        जो ज़्यादा शारीरिक व्यायाम करते हैं: सामान्य कैलोरीज़ का 75% आम कैलोरी से ज़्यादा जोड़ें
  4. 500 किलो कैलोरीज़ जोड़ें अगर वज़न सामान्य से कम है या 500 किलो कैलोरीज़ घटाएँ अगर वज़न सामान्य से ज़्यादा है।
उदाहरण के लिए: 170 सेंटीमीटर ऊँचाई का, 80 किलोग्राम वज़नवाला पुरुष, जो आरामपरस्ती वाला जीवन व्यतीत करता है।

  1. आदर्श वज़न आँकें: 52 सेंटीमीटर के व्यक्ति का आदर्श वज़न 48 किलोग्राम है। इसके बाद हर अधिक सेंटीमीटर के लिए 1.1 किलोग्राम जोड़ें, 170 सेंटीमीटर के लिए 152 घटा दें, जो 18 सेंटीमीटर होता है। इसे 1.1 से गुणा कर दें, जो 19.8 किलोग्राम है। आदर्श वज़न है 48+19.8=67.8 यानी लगभग 68 किलोग्राम।
  2. 68 किलोग्राम वज़न वाले व्यक्ति की कैलोरीज़ की ज़रूरत तय करें: इसका फ़ार्मूला है: 22 किलो कैलोरीज़/किलोग्राम। अत: 68 किलोग्राम वज़न के व्यक्ति के लिए, सामान्य कैलोरीज़ हैं 68 x 22 = 1496 (लगभग 1500) किलो कैलोरीज़।
  3. जीवन शैली के लिए कैलोरीज़ जोड़ें: ज़्यादा बैठे रहनेवाले लोगों के लिए 25% कैलोरीज़ जोड़ें। 1500 का 25%=375 किलो कैलोरीज़; यानी 375+1500= 1875 किलो कैलोरीज़
  4. वज़न के अनुसार कैलोरीज़ घटाएँ या बढ़ाएँ: चूँकि व्यक्ति का वज़न सामान्य से ज़्यादा है (उसका आदर्श वज़न 68 किलोग्राम होना चाहिए, लेकिन वह 80 किलोग्राम है), तो 1875 किलो कैलोरीज़ में से 500 किलो कैलोरीज़ घटा दें, जो 1375 किलो कैलोरीज़ प्रतिदिन है।

इसलिए, अगर किसी पुरुष का भार 80 किलोग्राम है और कद 170 सेंटीमीटर है और जो आरामपरस्ती वाला जीवन व्यतीत करता है, तो उसे दिन भर में 1375 किलो कैलोरीज़ चाहिएँ।

हर रोज़ नियमित रूप से की गई सैर
मधुमेह को दूर रखती है।