पंजाबी
- शिष्यों द्वारा किए गए सत्संग
- 1. जिउ आइआ तिउ जावह – गुरु नानक
- 2. शब्द
- 3. चित सिमरन करउ – गुरु रविदास
- 4. प्रेम
- 5. हर हर अरथ सरीर – गुरु राम दास
- 6. भाणा
- 7. सेवक दी रहणी
- 8. सिमरन
- 9. जोड़ो री कोई – स्वामी जी
- 10. दुलभ देह सवार – ग़ुरु अर्जुन देव
- 11. पहिलै पहरै रैण कै – गुरु ननक
- 12. इस गुफा मह – गुरु अमर दास
- 13. सुरत तू दुखी रहे – स्वामी जी
- 14. जोड़ो री कोई सुरत – स्वामी जी
- 15. देख पियारे मैं समझाऊँ – स्वामी जी
- 16. संत मत दे मूल सिद्धांत
- 17. जोड़ो री कोई सुरत नाम से – स्वामी जी
- 18. दुलहनी करो पिया का संग –स्वामी जी
- 19. सास सास सिमरहु गोबिंद
- 20. नानक कचड़िआ सिउ तोड़ – गुरु अर्जुन देव
- 21. मेरे सतगुरु पकड़ी बाँह – कबीर साहिब
- 22. तजो मन यह दुख सुख –स्वामी जी
- 23. इलाही इश्क दा सफर
- 24. बिरह
- 25. सतगुरु दी खुशी
- 26. अंदर जाना है
- 27. जग में गुरु समान नहिं दाता –संत कबीर
- 28. मानत नहिं मन मोरा –संत कबीर
- 29. किरपा करे गुर पाईऐ – गुरु अमर दास
- 30. जिउ जिउ तेरा हुकम – गुरु अर्जुन देव
- 31. साचा साहु गुरू सुखदाता हर मेले – गुरु नानक
- 32. गुरु कहें खोल कर भाई – स्वामी जी
- 33. नाम बिन भव करम नहिं छुटे – दरिया साहिब
- 34. सतगुर धरती धरम है – गुरु राम दास
- 35. जे वड भाग होवह वडभागी – गुरु राम दा
- 36. सदीवी खुशी दा राज़
- 37. गुर सतगुर का जो सिख अखाए – गुरु राम दास
- 38. जग में गुरु समान नहिं दाता –संत कबीर
- 39. भई परापत मानुख देहुरिआ - गुरु अर्जुन देव
- शिष्यों द्वारा डेरा में किए गए सत्संग
(अवधि: क़रीब 50 मिनट) - 1. संच हर धन पूज सतगुर –गुरु अर्जुन देव
- 2. लख चउरासीह भ्रमते – गुरु अर्जुन देव
- 3. कवन काज सिरजे जग भीतर – संत कबीर
- 4. चेत चलो यह सब जंजाल – स्वामी जी
- 5. जग में गुरु समान नहिं दाता –संत कबीर
- 6. गुर सेवा ते भगत कमाई – संत कबीर
- 7. गुरु तारेंगे हम जानी – स्वामी जी
- 8. मेरे सतगुरु पकड़ी बाँह –संत कबीर
- 9. निव निव पाइ लगउ गुर अपने – गुरु नानक
- 10. करउ बेनंती सुनहो मेरे मीता - गुरु अर्जुन देव
- 11. हर हर अरथ सरीर हम – गुरु राम दास
- 12. दुनियाँ भरम भूल बौराई – संत दरिया साहिब
- 13. सतगुर सेवे ता सहज धुन – गुरु अमर दास
- 14. माइआ मोह गुबार है –गुरु अमर दास
- 15. गुरु करो खोज कर भाई – स्वामी जी
- 16. किरपा करे गुर पाईऐ – गुरु अमर दास
- 17. बिन देखे उपजै नही आसा – गुरु रविदास
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