हुआ बेटा तो ढोल बजाया! हुई बेटी तो मातम छाया!
नन्ही बेटी को जीवन का वर दो!
हत्या क्यों करते हैं गर्भ में उसकी,
चीख़ अनसुनी क्यों करते हैं मासूम की,
दोष उसका है क्या?
फ़र्क़ बेटी बेटे में हमने ही किया।हुआ बेटा तो ढोल बजाया! हुई बेटी तो मातम छाया!
ऐसा क्यूँ करते हैं हम?क्यूँ बेटी को दर्द हमने इतना दिया है,
प्रभु के उपहार को क्यूँ ठुकरा दिया है,
क्यूँ दो घरों की रौशनी को सिसका दिया है,
बेशर्मी से बेटी का सौदा किया है,
दहेज के हाट पर उसे बेच दिया है,
मालिक का खौफ़ और कानून का डर,
धन के लोभ ने सब भुला दिया है।नन्ही बेटी को जीवन का वर दो!
जगत जननी है वो, प्रेम की शक्ति है वो,
शीतल छाया है परिवार की आत्मा है वो।
ममता की प्यारी गोद किसे याद नहीं?
आँखों का छलकता सागर किसे याद नहीं
बेटी का लाड़, और पत्नी का स्नेह,
माँ का आशीर्वाद, किसे याद नहीं?नन्ही बेटी को जीवन का वर दो!
शिक्षा का सौभाग्य उसे दो,
बराबर के अधिकार उसे दो,
जीवन में सम्मान उसे दो।
आख़िर बेटी है किससे कम?गाँव की सरपंच रही,
क़ामयाब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री रही,
ऐस्ट्रोनॉट, डॉक्टर, प्रोफ़ेसर बनी,
उद्योगपति, पायलट, इंजीनियर बनी,
विज्ञान में, भक्ति में, साहित्य और कला में,
शोहरत है हासिल उसे हर क्षेत्र में।हत्या क्यों करते हैं गर्भ में उसकी,
चीख़ अनसुनी क्यों करते हैं मासूम की?बदलो! सोच अपनी अब तुम बदलो।
बदलो! समाज की कुरीतियाँ, मान्यतायें बदलो।
जागो! सुनो, अपनी आत्मा की आवाज़ सुनो।
बनो निर्भय, भरोसा प्रभु का करो।
उसकी नज़रों में सच्चे इनसान तो बनो।जब एक है परमात्मा और आत्मा उसकी अंश है,
तो भेद स्त्री और पुरुष में हमने क्यूँ किया है?नन्ही बेटी को जीवन का वर दो!
फिर घर-घर ढोल बजेंगे, बेटी बेटा दोनों हमारी ख़ुशी बनेंगे।नन्ही बेटी को जीवन का वर दो!

मम्मी! पापा!
आप मुझे दुनिया में लाए
मुझे मौक़ा तो दीजिए।
आत्मा न स्त्री है न पुरुष।
तुम में सुंदरता और शक्ति है उतनी
दुनिया की दूसरी आत्मा में है जितनी।
डॉ. ब्रायन एल.वाइस