नारी को अधिकार दो - राधास्वामी सत्संग ब्यास इ-बुक्स

नारी को अधिकार दो

एक जागृति

लीना चावला राजन

तुम बदलोगे, जग बदलेगा
महात्मा गांधी


भूमिका

एक पुकार

हमारे जीवन में औरत की अहमियत
परिवार में औरत की भूमिका
समाज में औरत की भूमिका
अर्थ व्यवस्था में औरत की भूमिका
औरत के ख़ास गुण

आज के समय में औरत की हालत
असमानता की एक झलक
बेटे की चाह
दहेज
लिंग चुनाव

हमारी करनी का नतीजा
नारी जाति पर प्रभाव
बच्चों पर प्रभाव
आदमियों पर प्रभाव
समाज में औरतों के प्रति बढ़ता अपराध
समाज में बढ़ती अशांति

हम क्या चाहते हैं?
हम समाज में क्या चाहते हैं?
हम परिवार में क्या चाहते हैं?
हम अपनी ज़िंदगी में क्या चाहते हैं?

आध्यात्मिक दृष्टिकोण
क़ुदरत का संतुलन बिगाड़ना
मक़सद को ध्यान में रखते हुए कर्म करना
औरत को बराबरी का हक़
हत्या करना पाप है
दूसरे जीव को दु:ख देना
अपनी इच्छाओं पर क़ाबू पाना
हमारे कर्मों का फल
परमात्मा की रज़ा में रहना
परमार्थ हमारा मूल

पुराने रीति रिवाज तोड़े जा सकते हैं
औरतें ही औरतों को दु:ख क्यों पहुँचाती हैं?
औरतों की दु:ख़ी हालत का ज़िम्मेदार कौन है?
इस समस्या का हल क्या है?
औरतों की सोच में बदलाव लाना
औरत के प्रति आदमी की सोच में बदलाव
बदलाव के लिये आगे बढ़ना

नारी को अधिकार दो

जागृति

जागो, मेरे दोस्त

आख़िरी संदेश: बड़े पैमाने पर कन्या हत्या
1. हत्याओं के आँकड़े
2. क्या हमारे देश में कानून लागू हो रहा है?
3. मदद के लिये एक पुकार

हुआ बेटा तो ढोल बजाया! हुई बेटी तो मातम छाया!

संदर्भ ग्रंथ

पुस्तक एवं लेखक परिचय

संपर्क संबंधी जानकारी और अन्य सूचना

प्रकाशक:
जे. सी. सेठी, सेक्रेटरी
राधास्वामी सत्संग ब्यास
डेरा बाबा जैमल सिंह
पंजाब 143 204

© 2010 राधास्वामी सत्संग ब्यास
सर्वाधिकार सुरक्षित

पहला संस्करण 2010
मुद्रक: 978-93-89810-97-4