ऐंटीबायोटिक्स के बिना स्वस्थ होना
ऐंटीबायोटिक्स क्या हैं?ऐंटीबायोटिक्स वे तेज़ दवाइयाँ हैं जो बैक्टीरिया द्वारा किए गए संक्रमण (Infection) के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। ये वायरस को नहीं मार सकतीं।
क्या ऐंटीबायोटिक्स का प्रयोग साधारण बीमारियों, जैसे खाँसी, सर्दी और ‘फ़्लू’ के लिए किया जाना चाहिए?नहीं! ये आम बीमारियाँ वायरस के कारण होती हैं बैक्टीरिया के कारण नहीं। इन बीमारियों के इलाज के लिए साधारण दवाइयों का प्रयोग करें जो केमिस्ट के पास उपलब्ध हों। खूब पानी पिएँ और आराम करें।

छोटी‑मोटी बीमारियों के लिए अगर हम ऐंटीबायोटिक्स का बार‑बार इस्तेमाल करते हैं तो कुछ बैक्टीरिया पर ऐंटीबायोटिक्स बेअसर हो जाएँगी। इसे ऐंटीबायोटिक प्रतिरोध (Antibiotic Resistance) कहते हैं।
उपर्युक्त हालत में क्या हम किसी अन्य ऐंटीबायोटिक का प्रयोग कर सकते हैं?जी हाँ, ऐसा किया जा सकता है लेकिन इसके कुछ दुष्परिणाम भी हैं। कुछ समय तक अन्य ऐंटीबायोटिक लेने से बैक्टीरिया पर इस ऐंटीबायोटिक का भी कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस तरह, हमारे इलाज के लिए कोई ऐंटीबायोटिक उपयुक्त ही नहीं रहेगा जब तक किसी नई ऐंटीबायोटिक का आविष्कार नहीं होता। इसमें लंबा समय लग सकता है। यदि हर कोई ऐंटीबायोटिक्स का अधिक इस्तेमाल करता है, तो दुनिया में ऐंटीबायोटिक प्रतिरोधी बैक्टीरिया की संख्या बहुत ज़्यादा हो जाएगी। यह पहले से ही गंभीर समस्या बन चुकी है।
ऐंटीबायोटिक प्रतिरोध को कैसे दूर किया जाए?सिर्फ़ बैक्टीरिया के संक्रमण के लिए ही ऐंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें।
ऐंटीबायोटिक की ज़रूरत कब होती है?कभी‑कभी वायरस द्वारा हुए साधारण ज़ुकाम में बैक्टीरिया का संक्रमण हो जाता है और बीमारी ज़्यादा गंभीर हो जाती है। कुछ गंभीर बीमारियाँ जैसे दिमाग़ी बुख़ार, निमोनिया और गुर्दे के संक्रमण में ऐंटीबायोटिक की ज़रूरत होती है। इस बात का फ़ैसला आपका डॉक्टर करेगा कि आपको कब ऐंटीबायोटिक की ज़रूरत है।
मैं कैसे सहायता कर सकता हूँ?केवल ज़रूरत पड़ने पर ही ऐंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें। ध्यान रहे कि डॉक्टर द्वारा दी गई पूरी दवा खाएँ। यदि इनका प्रयोग सावधानी से किया जाए तो ये इनसान को स्वस्थ करती हैं, उसकी ज़िंदगी बचा सकती हैं। ऐंटीबायोटिक प्रतिरोध पूरी दुनिया में एक गंभीर समस्या बन गई है और इसमें हम सब का योगदान है। बैक्टीरिया हमेशा जैविक‑विकास और ऐंटीबायोटिक प्रतिरोध के ज़रिए बचने की कोशिश करता है, इसलिए हमें उनसे एक क़दम आगे ही रहना है यानी हमें ऐंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल ज़्यादा नहीं, कम करना चाहिए।