औरतों के स्वास्थ्य की देखभाल - स्वास्थ्य की देखभाल

औरतों के स्वास्थ्य की देखभाल

कैंसर की प्रारंभिक पहचान जाँच द्वारा की जाती है। औरतें ज़्यादातर सरवीकल या स्तन के कैंसर का शिकार होती हैं।

स्तन कैंसर की जाँच

सबसे पहला क़दम ख़ुद ही अपने स्तनों का परीक्षण करना है। हर महीने माहवारी से पहले या रजोनिवृत्ति पा लेनेवाली महिलाओं को महीने की किसी एक निश्चित तारीख़ पर करना चाहिए। छ: महीने से एक साल के बीच डॉक्टर से जाँच ज़रूर करवाएँ। स्तन कैंसर की जाँच के चार तरीक़े हैं:

  1. स्तनों का अपने आप परीक्षण यह ज़रूरी है कि आपका डॉक्टर आपको ख़ुद स्तनों का परीक्षण करना सिखाए। स्तनों के परीक्षण के दो भाग हैं जिनका विवरण नीचे दिया गया है:

    स्तनों का परीक्षण यह अच्छी रोशनी में शीशे के सामने खड़े होकर या बैठकर करना चाहिए।

    1: दोनों बाँहों को छाती के दोनों ओर रखें और देखें यदि:
    • स्तन के आकार या गोलाई में कोई बदलाव दिखाई दे।
    • स्तन की त्वचा में कोई गड्ढा या खिंचाव हो।
    • निप्पल के इर्द‑गिर्द ख़ारिश या सूखी त्वचा।
    • निप्पल का अंदर की तरफ़ मुड़ना।
    • स्तन की त्वचा में सूजन, लाली या निशान।
    • निप्पल में से रिसाव।
    2: दोनों बाँहों को सिर के ऊपर या पीछे जकड़ लें और देखें यदि:
    • स्तन के आकार या गोलाई में कोई बदलाव हो।
    • दोनों निप्पल एक ही सीधी रेखा में होने चाहिएँ। अगर कोई बदलाव नज़र आए तो यह बीमारी का लक्षण हो सकता है।

    3: दोनों हाथों को अपने कूल्हों पर रखकर दबाएँ। ऐसा करने से स्तन का उभार बढ़ जाता है। अब आप फिर स्तन के उभार, गोलाई, गतिविधि और आकार में कोई बदलाव की जाँच करें।

    4: नीचे की ओर झुकें और देखें कि स्तन दोनों तरफ़ ठीक ढंग से गिर रहे हैं और निप्पल भी बाहर की तरफ़ हैं।

    हाथों से स्तन का परीक्षण करना

    लेटकर —

    पीठ के बल लेट जाएँ। कंधों के नीचे तकिया या तह किया हुआ तौलिया रखें ताकि स्तन उपर की ओर उठ जाएँ। उलटे तरफ़ के हाथ की उँगलियों के नीचे वाले भाग से सीधे तरफ़ के स्तन की जाँच करें। हाथ का यह भाग धीरे से गोलाई में घुमाएँ और हलके‑से दबाव डालकर जाँच करें कि स्तन में कोई सूजन, दर्द या और कोई असमानता तो नहीं है।

    अपने निप्पल को दबाकर देखें। पानी जैसा लाल या भूरा रिसाव सही लक्षण नहीं है। बग़ल, छाती और गरदन सब अच्छी तरह से दबाकर देखें कि कोई उभार या ग्रंथि तो नहीं है।

    दूसरी तरफ़ के स्तन की जाँच भी इसी तरह से करें।

    खड़े होकर —

    उसी तरीक़े से यह परीक्षण आप नहाते वक़्त फ़व्वारे (Shower) के नीचे खड़े होकर भी कर सकते हैं। साबुन लगाते वक़्त गीले हाथों से स्तन के ऊतकों का परीक्षण ज़्यादा गहराई और आसानी से किया जा सकता है। नहाते वक़्त जाँच करने की आदत डालें।

  2. मैमोग्राफ़ी — 30‑35 वर्ष की उम्र में मैमोग्राफ़ी करवानी चाहिए, 40‑50 साल तक हर तीन साल में करवानी चाहिए और 50 साल के बाद हर साल करवानी चाहिए।
  3. सोनोमैमोग्राफ़ी— ऐसी ग्रंथियाँ जिनमें कोई तरल पदार्थ भरा हो, उनका परीक्षण बाहर से ही बिना चीर‑फाड़ किए किया जाता है, इसमें कोई सर्जरी नहीं होती। इसको गर्भावस्था में भी बिना किसी डर के करवा सकते हैं।
  4. संदेहजनक ग्रंथियों का परीक्षण पतली सुई से स्तन के अंदर के तरल पदार्थ को निकालकर बायोप्सी द्वारा किया जा सकता है।
कृपया याद रखें! सरवीकल कैंसर की जाँच

सरवीकल कैंसर मुख्य रूप से उन महिलाओं में होता है जो यौन संबंध बनाती हैं।

सरवीकल कैंसर की संभावना इन कारणों से बढ़ सकती है:

शुरू‑शुरू में सरवीकल कैंसर के कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन नियमित रूप से पैप स्मीअर टेस्ट (Pap Smear test) तथा परीक्षण से इसका पता चल जाता है।

पैप स्मीअर की जाँच के लिए बच्चेदानी के मुँह से, किसी लकड़ी के स्पैटुला या ब्रश से कोशिकाओं को इकट्ठा किया जाता है। इन कोशिकाओं को काँच के स्लाइड पर फैला देते हैं। डॉक्टर या अनुभवी तकनीशियन (Technician) माइक्रोस्कोप द्वारा कैंसर की कोशिकाओं की जाँच करता है।

कॉल्पोस्कोपी देखकर की गई सरविक्स की जाँच — जाँच के बाद जिस स्मीअर में (H.P.V.) एच.पी.वी. का संक्रमण पाया जाए उसका कॉल्पोस्कोपी द्वारा परीक्षण किया जाना चाहिए। संदेहजनक हिस्से की कैंसर की जाँच के लिए बायोप्सी की जाती है।

कृपया याद रखें!
अगर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दें तो अपने डॉक्टर को तुरंत मिलें: