जागृति - नारी को अधिकार दो

जागृति

हज़ार मील का लंबा सफ़र,
पहले क़दम से ही शुरू होता है।
ताओ त्से चिंग

जागृति का मतलब है किसी अहम बात को पहचानना, उसे समझना और अपने नज़रिये को बदल लेना। आज हमारे समाज के हालात हमें पुकार रहे हैं कि जागो! इनसानियत का मतलब समझो। हमें इनसान का जन्म मिला है, हम बहुत उच्च कोटि के प्राणी हैं। जब हममें यह जागृति आएगी और हम अपने जीवन को पारमार्थिक मूल्यों के अनुसार जीने लगेंगे, तब अनुभव करेंगे कि हम सब एक इनसानी परिवार के सदस्य हैं—चाहे हम आदमी हैं या औरत, किसी भी वंश के हैं या किसी भी धर्म के। आज के हालात और उनके ख़तरनाक नतीजे हमें सावधान करते हैं कि पुरानी सोच और रीति रिवाजों को जल्द ही बदलना ज़रूरी है।

सदियों से इस दुनिया में महान् संत-महात्मा आते रहे हैं, जो हमें एहसास दिलाते रहे हैं कि हम अच्छाई, प्यार और इनसानियत के गुणों से भरपूर हैं। महात्मा बुद्ध, भगवान् महावीर, ईसा मसीह, गुरु नानक देव और उनकी परंपरा के अन्य गुरु, सूफ़ी संत, पैग़ंबर मुहम्मद साहिब आदि महान् संत या फिर महात्मा गांधी, मदर टेरेसा या नेल्सन मंडेला आदि महापुरुष जिनकी ज़िंदगी एक मिसाल बनी है, इन सभी ने हमें एक ही बात सिखाई है कि हम इनसान बेहद प्रेम के क़ाबिल हैं। उनके जीवन को देखकर हमारा दिल चाहता है कि हम भी अपने आप को छोटे-छोटे दायरों से बाहर निकालें, ज़ुल्म और अत्याचार की ज़ंजीरों से अपने आप को मुक्त करें। ये संत-महात्मा हमें निमंत्रण देते हैं कि उनके जीवन से मिसाल लेकर, उनके समझाए रास्ते पर चलकर, धीरे-धीरे हम अपने अंदर छिपी नेकी और इनसानियत को जगाएँ और मिलकर इस संसार को एक ख़ुशियों से भरी रूहानी जगह बनाएँ।

हमारी बेटियों की पुकार है कि हम जागें। वे चाहती हैं कि हम ग़लत रास्ते को छोड़ें। वे चाहती हैं कि हम अपने सामाजिक रिवाजों और परंपराओं के बारे में फिर से सोचें और उन्हें बदलें। वे चाहती हैं कि हम हिम्मत दिखाएँ, उन्हें अपना प्यार दें। वे चाहती हैं कि हम उन्हें उनके भाइयों के बराबर का दर्जा दें। उन्हें हमारी हिम्मत, हमारा सहयोग और सबसे महत्त्वपूर्ण हमारा प्यार चाहिये।

आइये! आज हम बदलाव की प्रतिज्ञा लें। आइये! पक्का इरादा कर लें कि हम जाग्रत इनसान बनेंगे, औरतों की क़द्र करेंगे, उन्हें शक्ति और आज़ादी भरा जीवन जीने का हक़ देंगे। हमें न सिर्फ़ औरतों के लिये, बल्कि अपने लिये भी ऐसा करना बहुत ज़रूरी है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि सभी जीव एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। ज़ुल्म और अत्याचार एक दिन हमारे ही जीवन में ज़हर बनकर लौटेगा। ठीक इसी तरह प्यार और हमदर्दी हमारे जीवन में ख़ुशी और शांति की लहर लाएगी।

अगर हम अपने दिल में बेटियों के लिये जगह बनाएँगे, अगर हम अपने बेटों और बेटियों को बराबर का दर्जा देंगे तो क़ुदरत हम पर आशीर्वाद की बौछार करेगी और हमारी बेटियाँ हमें कई गुणा ज़्यादा प्यार से निहाल कर देंगी। मालिक की रज़ा में रहनेवाला यह प्यार भरा नज़रिया न केवल हममें, बल्कि सारे समाज में बदलाव ला सकता है।

यह छोटी–सी पुस्तक एक पुकार है, एक निमंत्रण है कि जागो! एक ऐसे नेक इनसान बनो कि हर करनी में रूहानियत झलके। हमारी इनसानियत हमारी रूहानियत से जुड़ी हुई है।