जागो, मेरे दोस्त
जागो, मेरे दोस्त!
जीवन कर्म और फल के पहिये पर घूम रहा है—
लेने और देने के, करने और भुगतने के पहिये पर।
लेकिन जीने का एक अलग ढंग भी है,
है इस चक्कर में से निकलने का एक ढंग।
हाँ, है इस चक्कर में से निकलने का एक ढंग।
मनुष्य-जीवन है एक अनमोल अवसर,
जागने का और अपने दायरे को बढ़ाने का अवसर।
समझो इस जीवन के परम सत्य को।
हाँ, समझो इस जीवन के परम सत्य को।
सचेत रहो कि तुम क्या कर रहे हो,
पूरी सावधानी से चुनो अपने कर्म,
अनुकूल बनाओ अपने कर्मों को उस लक्ष्य के, प्रेम से।
हाँ, अनुकूल बनाओ अपने कर्मों को उस लक्ष्य के, प्रेम से।
एक अनमोल अवसर है यह क्षण अनंत काल का,
जो भी तुम करो, ले जाए तुम्हें अज्ञान से ज्ञान की ओर,
बढ़ाए तुम्हें मुक्ति के मार्ग पर।
हाँ, बढ़ाए तुम्हें मुक्ति के मार्ग पर।
दया और सच्चाई हो तुम्हारे व्यवहार में,
तब तुम स्वयं प्रभु-तुल्य हो जाओगे,
स्वयं प्रभु ही हो जाओगे।
एम.एफ.सिंह