हृदय रोग - स्वास्थ्य की देखभाल

हृदय रोग

दुनिया में कॉरोनरी आर्टरी की बीमारी (Coronary Artery Disease/CAD) से मरनेवाले लोगों की संख्या सबसे ज़्यादा भारत में है। भारत के शहरों में रहनेवाले 10% लोग इस रोग से पीड़ित हैं। यूरोप या एशिया के दूसरे लोगों की तुलना में भारतीयों में सी.ए.डी. कुल मिलाकर दो से चार गुणा ज़्यादा है और 40 साल से कम उम्र वालों में तो पाँच से दस गुणा ज़्यादा है। अनुमान लगाया जाता है कि उत्तर भारत के शहरों में रहनेवाले 7‑10% और दक्षिण भारत के शहरों में रहनेवाले 14% लोग सी.ए.डी. से पीड़ित हैं।

हृदय के रोगों में सी.ए.डी. सबसे ज़्यादा पाया जानेवाला रोग है। यह छाती में दर्द, दिल के दौरे और अचानक मृत्यु के रूप में प्रकट होता है।

हृदय शरीर के सभी हिस्सों में नाड़ियों के ज़रिए ख़ून पहुँचाता है ताकि उन्हें ऑक्सीजन और पोषण मिल सके। ऑक्सीजन वह ईंधन है जो शरीर को शक्ति देता है। हृदय को भी ख़ून की ज़रूरत होती है जिसे कॉरोनरी आर्टरीज़ द्वारा पहुँचाया जाता है। जब इन कॉरोनरी आर्टरीज़ में से किसी एक में कोई रुकावट पैदा हो जाती है तो ख़ून का थक्का (Clot) बन जाने के कारण दिल का दौरा पड़ सकता है। वास्तव में आर्टरी की दीवार पर धीरे‑धीरे कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) जमना शुरू हो जाता है जो जमकर प्लाक (Plaque) बन जाता है। इससे आर्टरी में रुकावट पैदा हो जाती है।

दिल के दौरे की संभावना के लक्षण सी.ए.डी.के ख़तरे के जाने पहचाने कारण

इन्हें दो भागों में बाँटा जा सकता है।

  1. कारण जिन्हें बदला नहीं जा सकता :
    • पुरुषों में 55 और महिलाओं में 65 वर्ष से ज़्यादा आयु।
    • पुरुषों की आर्टरीज़ में चर्बी जमने के आसार ज़्यादा होते हैं।
    • परिवार में 55 वर्ष की आयु से पहले सी.ए.डी. होने का इतिहास (माता‑पिता, दादा‑दादी या नाना‑नानी को 55 साल की आयु से पहले सी.ए.डी. हुई हो)।
  2. कारण जिन्हें बदला जा सकता है :
    • ख़ून में कोलेस्ट्रॉल की अधिकता।
    • धूम्रपान या तंबाकू चबाना (अब कर रहे हों या पहले कभी किया हो)।
    • हाई ब्लड प्रेशर (BP)।
    • शारीरिक व्यायाम की कमी।
    • मधुमेह।
    • मानसिक तनाव।
    • मोटापा, ख़ास तौर से तोंद होना (कमर और कूल्हे का अनुपात, पुरुषों में 0.95 से ज़्यादा और महिलाओं में 0.85 से अधिक होना।)
युवा भारतीयों में दिल के दौरे का ख़तरा अधिक होने के कारण

  1. भारत में हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी बहुत ज़्यादा नहीं है; धूम्रपान ज़्यादातर पश्चिमी देशों में ही व्याप्त है।
  2. भारतीयों में कोलेस्ट्रॉल की औसत मात्रा भी कम है। फिर भी कम उम्र के भारतीयों में सी.ए.डी. होने के आसार काफ़ी हैं।
इस ‘एशियन विरोधाभास’ (Asian Paradox) के अनेक कारण हैं, जैसे कि:

दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा किस समय सबसे ज़्यादा होता है?

आम तौर पर सुबह 4 से 10 बजे के बीच सबसे ज़्यादा दिल के दौरे पड़ते हैं। ऐसा शायद इसलिए है कि सुबह के समय ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाता है, ख़ून को जमने से रोकनेवाली प्रक्रिया इस समय नाममात्र होती है। सुबह के वक़्त कॉरोनरी आर्टरीज़ भी संकुचित रहती हैं।

यदि दिल का दौरा पड़ने का शक हो तो क्या करें?

सी.ए.डी. की रोकथाम

सी.ए.डी. की रोकथाम में भोजन की भूमिका

इसकी रोकथाम के लिए संतुलित आहार लेना और ख़ुशनुमा जीवन व्यतीत करना बहुत महत्त्वपूर्ण है। कुछ हालात में दवाइयों की ज़रूरत भी पड़ सकती है।

स्वस्थ आहार लेने के मूलभूत नियम इन लक्ष्यों को पाने के लिए खाने में कोलेस्ट्रॉल और चर्बी की मात्रा घटाने के लिए सलाह किस क़िस्म के तेल का इस्तेमाल करना बेहतर है?

सैचुरेटिड फ़ैटी एसिड्स के बजाय अनसैचुरेटिड फ़ैटी एसिड्स (पूफ़ा/PUFA—Polyunsaturated fatty acids और मूफ़ा/MUFA—Monounsaturated fatty acids) का इस्तेमाल बेहतर माना जाता है। सैचुरेटिड फ़ैटी एसिड्स (ख़राब कोलेस्ट्रॉल) एल.डी.एल. को बढ़ाते हैं, जिनसे सी.ए.डी. होने का ख़तरा बढ़ जाता है, जबकि अनसैचुरेटिड फ़ैटी एसिड्स (पूफ़ा और मूफ़ा) एल.डी.एल. को कम करते हैं।

हालाँकि जिन अनसैचुरेटिड फ़ैटी एसिड्स में पूफ़ा की मात्रा ज़्यादा होती है, वे भी हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि इनसे अच्छे कोलेस्ट्रॉल (एच.डी.एल.) की मात्रा कम हो सकती है। इसलिए उन रिफ़ाइंड तेलों का इस्तेमाल करना चाहिए जिनमें पूफ़ा और मूफ़ा का सही संतुलन हो ताकि सैचुरेटिड फ़ैटी एसिड्स का इस्तेमाल कम हो।

कोई भी एक रिफ़ाइंड तेल ऐसा नहीं है जिसमें पूफ़ा और मूफ़ा का सही संतुलन हो। यदि हम भिन्न‑भिन्न प्रकार के तेलों का इस्तेमाल करें तो उपयुक्त संतुलन प्राप्त किया जा सकता है। जैसे सूर्यमुखी तेल (जिसमें पूफ़ा की मात्रा ज़्यादा होती है) और सरसों के तेल (जिसमें मूफ़ा की मात्रा अधिक होती है) का प्रयोग करें। कुछ तेलों के उदाहरण नीचे दिए गए हैं जिनके मिश्रण से पूफ़ा और मूफ़ा का सही संतुलन प्राप्त हो सकता है:

सैचुरेटिड फ़ैटी एसिड्स सामान्य तापमान पर जमी हुई या आधी जमी हुई (Solid or semi solid) अवस्था में होते हैं। इनके कुछ उदाहरण हैं: नारियल का तेल, वनस्पति और देसी घी। अनसैचुरेटिड फ़ैटी एसिड्स सामान्य तापमान पर तरल अवस्था में होते हैं। इनके कुछ उदाहरण हैं: कुसुंभ (Safflower), सूर्यमुखी, तिल, चावल की भूसी का तेल, सरसों, मूँगफली और सोयाबीन के तेल।

सी.ए.डी. की रोकथाम में फ़ाइबर (Fibre) का महत्त्व

फ़ाइबर या रेशा भोजन का वह भाग है जो हज़म नहीं होता। घुलनेवाले फ़ाइबर कब्ज़ और अँतड़ियों के कैंसर को रोकते हैं।

घुलनेवाले फ़ाइबर या रेशे (soluble Fibre) के स्रोत

जई (Oats), फलियाँ, गुड़, जौ, सेब, गाजर और नीबू, संतरा, मौसम्मी आदि फल।

न घुलनेवाले फ़ाइबर (Insoluble Fibre) के स्रोत

गेहूँ का बिना छना आटा, चोकर, हरी सब्ज़ियाँ और फल इत्यादि।

फ़ाइबर के फ़ायदे भोजन में अन्य विकल्प यदि किसी को मधुमेह नहीं है, तो भी उसे अधिक चीनी खाने से परहेज़ क्यों करना चाहिए?

ज़्यादा चीनी खाने से वज़न बढ़ता है और ट्राइग्लिसराइड्स की मात्रा भी बढ़ती है।

अधिक कोलेस्ट्रॉल होने पर दवाइयाँ लेने की ज़रूरत कब होती है?
संतुलित भोजन के साथ‑साथ दवाइयों की ज़रूरत तब पड़ती है जब:

दवाइयों के असर और सुरक्षा पर नज़र रखने के लिए समय‑समय पर लिपिड प्रोफ़ाइल और लिवर की जाँच कराते रहना चाहिए। दवाइयों का इस्तेमाल जीवन भर करते रहने की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए। देखने में आया है कि जब दवाइयों का सेवन बंद होता है तो कोलेस्ट्रॉल की मात्रा फिर से बढ़ जाती है। नियंत्रित भोजन और दवाइयों के इस्तेमाल से हृदय रोग नियंत्रण में रहता है, आर्टरीज़ में कोलेस्ट्रॉल का जमना बंद हो जाता है, यहाँ तक कि पहले से जमा कोलेस्ट्रॉल भी कम होने लगता है।

स्वस्थ दिल के लिए भोजन तालिका

भोजन क्या खाएँ क्या कम करें इन से बचें
अनाज गेहूँ, चावल, रागी, बाजरा, मकई, ज्वार मैदे से बने पदार्थ जैसे (सफ़ेद ब्रैड और बिस्कुट) केक, पेस्ट्री, नान, रूमाली रोटी, नूडल्स
दालें साबुत और अंकुरित दालें
सब्ज़ियाँ हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ और अन्य सब्ज़ियाँ सब्ज़ियाँ जो ज़मीन के नीचे पैदा होती हैं जैसे आलू, अरबी, ज़मींकंद तली सब्ज़ियाँ, केले के चिप्स, डिब्बाबंद सब्ज़ियाँ
फल ताज़े फल सूखे मेवे, चाशनी वाले डिब्बाबंद फल
दूध के पदार्थ कम वसा वाला दूध, छाछ, बिना मलाई का दूध मलाई वाला दूध, दूध पाउडर चीज़, मक्खन, खोया, कंडैंस्ड मिल्क, क्रीम
वसा एक से अधिक प्रकार का वनस्पति तेल या उनका मिश्रण कुल वसा की मात्रा, नारियल का तेल, घी अधिक तेलवाला भोजन, मक्खन, घी, नारियल तेल, वनस्पति घी, अधिक तेल में तला भोजन
चीनी और
चीनी से बने पदार्थ
चीनी, गुड़ घर पर बने किसी पेय में चीनी, सब प्रकार की गिरियाँ मिठाइयाँ, चॉकलेट, आइसक्रीम, गुलाब जामुन, जलेबी आदि
गिरियाँ सभी गिरियाँ
पेय पानी, ताज़े फलों का जूस (बिना चीनी के), हलकी चाय कॉफ़ी, कोला, सॉफ़्ट ड्रिंक्स अल्कोहल/शराब
नमक प्राकृतिक अवस्था में उपलब्ध भोजन (बिना नमक के) (डिब्बाबंद नहीं) भोजन में अधिक नमक अचार, पापड़, चटनियाँ, नमक, बिस्कुट, तेल में तले चिप्स आदि

भोजन में नमक की मात्रा

सब्ज़ियाँ मिलिग्राम
करेला2.4
परवल2.6
बैंगन3.0
प्याज़4.0
फ़्रेंच बीन4.3
कद्दू5.6
भिंडी6.9
हरे मटर7.8
अरबी9.0
शकरकंदी9.0
खीरा10.2
आलू11.0
पका हुआ टमाटर12.9
सफ़ेद मूली33.0
टिंडा35.0
गाजर35.6
फूल गोभी53.0
लैट्यूस (सलाद के पत्ते)58.0
पालक58.2
धनिये के पत्ते58.3
चुकंदर59.8
कटहल63.2
लाल मूली63.5
मेथी के पत्ते76.1
कमल ककड़ी (भिस)438.0
अन्य मिलिग्राम
भैंस का दूध19.0
धनिया (साबुत)32.0
गाय के दूध से बना दही32.0
नीम के पत्ते72.0
गाय का दूध73.0
जीरा126.0
फल मिलिग्राम
आलू बुख़ारा0.8
अनार0.9
आड़ू2.0
फालसा4.4
संतरा4.5
अमरूद5.5
चीकू5.9
पका हुआ पपीता 6.0
नाशपाती6.1
हरा पपीता (कच्चा)23.0
पका हुआ आम 26.0
तरबूज़27.3
सेब28.0
अनानास34.7
केला36.6
कच्चा आम43.0
खरबूज़ा104.6
लीची124.9
अनाज मिलिग्राम
ज्वार7.3
गेहूँ की सेवइयाँ 7.9
गेहूँ का छाना आटा/मैदा 9.3
मक्की सूखी 15.9
गेहूँ का आटा 20.0
सूजी 21.0
मूँग छिलका 27.2
मसूर दाल 28.5
काला चना 37.3
उरद दाल साबुत 38.8
मूँग साबुत 41.1
चना दाल 73.2
चौलाई230.0
लिपिड प्रोफ़ाइल किसे करवाना चाहिए?

बीस वर्ष की आयु के सभी लोगों को लिपिड प्रोफ़ाइल करवाना चाहिए। इससे सी.ए.डी. होने के ख़तरे का अनुमान लगाया जा सकता है। इससे यह भी पता लग सकता है कि आनुवंशिक रूप से (genetic) कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर ख़तरनाक तो नहीं! यदि बीस वर्ष की आयु में लिपिड प्रोफ़ाइल सही है तो पाँच साल बाद फिर जाँच करवानी चाहिए।

लिपिड की उचित मात्रा

लिपिड उचित मात्रा
कोलेस्ट्रॉल 200 मिलिग्राम% से कम
एल.डी.एल. कोलेस्ट्रॉल 100 मिलिग्राम% से कम
एच.डी.एल. कोलेस्ट्रॉल पुरुषों के लिए 40 मिलिग्राम/डी एल से ज़्यादा
महिलाओं के लिए 60 मिलिग्राम/डी एल से ज़्यादा
ट्राइग्लिसराइड्स 150 मिलिग्राम/डी एल से कम
युवावस्था में लिपिड प्रोफ़ाइल करवाने की हिदायत आम तौर पर इन परिस्थितियों में दी जाती है: नियमित व्यायाम से कैसे फ़ायदा होता है?

स्वस्थ जीवन के लिए व्यायाम सबसे ज़रूरी है। नियमित व्यायाम करने से सी.ए.डी. और अकाल मृत्यु से बचा जा सकता है। इससे ब्लड प्रेशर और दिल की धड़कन नियंत्रण में रहते हैं, जिससे दिल का दौरा पड़ने के आसार बहुत कम हो जाते हैं। व्यायाम करते रहने से ख़ून में एच.डी.एल. कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ती है जो ख़ून की नाड़ियों में चर्बी को जमने से रोकता है और दिल के दौरे से बचाता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीज़ नियमित व्यायाम से अपनी दवा कम या पूरी तरह से बंद भी कर सकते हैं। व्यायाम से टाँगों में ख़ून का दौरा बढ़ जाता है और टाँगों में ऐंठन कम होती है।

हफ़्ते में 3‑5 दिन, 30 मिनट के लिए हलकी कसरत करनी चाहिए। धीरे‑धीरे व्यायाम का स्तर बढ़ाया भी जा सकता है। तेज़ चलना, तैरना, साइकिल चलाना या हलके खेल जैसे बैडमिंटन या टेबल टेनिस अच्छे व्यायाम हैं। वज़न उठाने (Weight Lifting) जैसा भारी व्यायाम स्वस्थ रहने में मदद नहीं करता परंतु इससे ताक़त ज़रूर बढ़ती है।

व्यायाम में सुरक्षा के नियम सी.ए.डी. की रोकथाम के लिए तनाव को नियंत्रित करने के उपाय

तनाव से हमारा सिम्पेथेटिक नर्वस सिस्टम सक्रिय हो जाता है जिससे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है, ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और कॉरोनरी आर्टरीज़ सिकुड़ जाती हैं, जिसके कारण हृदय की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की माँग बढ़ जाती है। तनाव से इन नाड़ियों में ख़ून के जमने (clot) के आसार भी बढ़ जाते हैं।

यह कहना आसान है पर करना मुश्किल है, लेकिन इन उपायों द्वारा तनाव दूर करने का प्रयास करें: सी.ए.डी. में तंबाकू और धूम्रपान की भूमिका

धूम्रपान सी.ए.डी. का एक ख़तरनाक कारण है। दरअसल 40 वर्ष से कम आयु के लोगों में सी.ए.डी. का मुख्य कारण धूम्रपान है। धूम्रपान न करनेवालों की तुलना में धूम्रपान करनेवाले लोग सी.ए.डी. से तीन से पाँच गुणा ज़्यादा पीड़ित हैं। तंबाकू में मौजूद निकोटीन से दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर बढ़ जाते हैं और ख़ून की नाड़ियाँ सिकुड़ जाती हैं।

क्या धूम्रपान छोड़ने से फ़ायदा होता है?

ज़िंदगी भर धूम्रपान करनेवाले लोगों में भी देखा गया है कि धूम्रपान बंद करने के एक साल के अंदर ही सी.ए.डी. का ख़तरा कम होना शुरू हो जाता है। धूम्रपान से परहेज़ करने से सी.ए.डी. का ख़तरा लगातार घटता जाता है। (देखें पृष्ठ 71)

तनाव पर नियंत्रण

हम तनाव पर नियंत्रण करना सीख सकते हैं। सबसे पहले, अपने तनाव का कारण पता करें। उसके बाद जब भी संभव हो, उन परिस्थितियों में बदलाव लाने की कोशिश करें। तीसरा, रोज़मर्रा की ज़िंदगी में तनाव दूर करने के तरीक़ों को अपनाएँ।

तनाव दूर करने के लिए कुछ सुझाव: मोटापा और सी.ए.डी.
मोटापे से दिल का जानलेवा दौरा पड़ने के आसार बढ़ जाते हैं क्योंकि:

बॉडी मास इंडेक्स (बी.एम.आई.) से मोटापे को मापा जा सकता है। बी.एम.आई. इस तरह से आँका जाता है।

भार
ऊँचाई2
सामान्य बी.एम.आई. 19 – 24.9
ज़्यादा वज़न 25 – 29.9
मोटापा 30 – 40
विकृत मोटापा (Morbid Obesity) 40 से ज़्यादा
क्या वज़न को नियंत्रण में रखने से फ़ायदा होता है?

जी हाँ, वज़न कम करने से हाई ब्लड प्रेशर अकसर सामान्य हो जाता है। इससे शुगर का स्तर ठीक होने लगता है और मधुमेह नियंत्रण में आ जाता है। इससे सीने में दर्द का बार‑बार होना और उसकी तीव्रता भी कम हो जाती है, दिल का दौरा पड़ने का ख़तरा कम हो जाता है और हृदय की ख़ून को पंप करने की क्षमता बढ़ती है।

दिल के दौरे के लक्षणों को नज़रअंदाज़ मत कीजिए
डॉक्टरी सहायता माँगने से न हिचकिचाइए।