अपना भविष्य ख़ुद बनाएँ
हम अद्भुत और बेहद दिलचस्प संसार में रहते हैं। इंसानों में मन को मोह लेनेवाली विविधता है और फिर बाक़ी की रचना और उसमें जीवन के अलग-अलग रूपों पर ग़ौर कीजिए। यह देखना बहुत आश्चर्यजनक है कि इस ब्रह्मांड में जीवन के कितने अलग-अलग और मनोहर रूप मौजूद हैं। ये सब देखकर कोई भी हैरान हो सकता है: ये सब अस्तित्व में कैसे आया? और इसमें, जो कुछ हम अपनी इंद्रियों के ज़रिए अनुभव करते हैं, उसके अलावा कितना कुछ और है?
अगर हम किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाते हैं, जैसे किसी मॉल में, तो हमें हर तरह के लोग दिखाई देते हैं, सभी अपने ढंग से, अपनी कार्य-योजना के अनुसार, अपने-अपने काम में लगे हुए हैं। इन सभी अलग-अलग लोगों को देखकर हैरानी होती है कि किस तरह सभी अपनी आमतौर पर ‘सामान्य’ कही जानेवाली ज़िंदगी में व्यस्त हैं। यह सोचकर ताज्जुब होता है कि इनके जीवन ने क्या रूप ले लिया है और आगे चलकर ये किन अलग-अलग रास्तों से गुज़रेंगे।
लेकिन अगर हम उन विभिन्न संत-महात्माओं के उपदेश या कथनों पर विचार करें जो हमें सत्य का मार्ग दिखाने के लिए इस संसार में आते हैं तो एक ही बुनियादी बात हमारी समझ में आती है कि ये सब कर्मों का खेल है। ये सभी जीव, चाहे वे इनसान हों या अन्य जीव, अपने-अपने प्रारब्ध के अनुसार जीवन व्यतीत कर रहे हैं। असल में, इस संसार में हम जो कुछ भी देखते हैं, वह सब कर्मों के दायरे में आता है। सारा स्थूल जगत कर्म-भूमि है, यहाँ पर जो कुछ भी होता है पिछले जन्मों में किए गए कर्मों के फलस्वरूप होता है।
हम भी इस सिद्धांत से बाहर नहीं हैं। हम भी अपने कर्मों के फलस्वरूप भुगतान दे रहे हैं। सौभाग्य से, अपने सतगुरु के मार्गदर्शन द्वारा हम कर्म और फल के नियम को समझ पाएँ हैं। उन्होंने हमें कर्म-फल और पुनर्जन्म के मूल सिद्धांत के बारे में समझाया है, जिससे हम अपने इर्द-गिर्द घटनेवाली घटनाओं का कारण समझ पाएँ हैं।
हमें एक सीधा-सादा सिद्धांत समझने की ज़रूरत है क्योंकि भले ही कर्म-फल का सिद्धांत और पुनर्जन्म दो अलग-अलग धारणाएँ लगें, मगर ये दोनों एक-दूसरे से अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं; ये दोनों एक ही सत्य का हिस्सा हैं। इस बात की समझ आ जाने पर, हम अपने भविष्य को अच्छा या बुरा बना सकते हैं। हम दया-हीन स्वार्थ-पूर्ण जीवन जीने का फ़ैसला ले सकते हैं या आशावादी सोच को अपनाकर ऐसे नेक इनसान बनने की कोशिश कर सकते हैं जो संसार के सभी जीवों के प्रति प्रेम और सहानुभूति से पेश आए। दूसरे विकल्प को चुनकर हम अपना भविष्य उज्ज्वल बना सकते हैं और इसके साथ ही सतगुरु के उपदेश पर चलकर हम रूहानी मुक्ति के मार्ग पर तेज़ी से आगे बढ़ पाएँगे।