सुकून वाली जगह की खोज
इनसान कुछ भी नहीं जानता। शायद यह कहना ज़्यादा सही होगा कि वह इस दुनिया, इस धरती या इस जीवन से परे की किसी भी चीज़ के बारे में कुछ भी नहीं जानता। यहाँ तक कि इस धरती की चीज़ों के बारे में भी उसका नज़रिया बेहद सीमित है। वह जानता है कि धरती की चीज़ों का अध्ययन किया जा सकता है, लेकिन इस दुनिया से परे की चीज़ों का क्या? उसके पास इस बात का कोई सबूत नहीं है कि किसी इनसान को उन चीज़ों के बारे में पता है, न ही इस बात का कि मृत्यु से परे क्या है और न ही इस बात का कि किसी भी जीते-जागते इनसान ने कभी भी इस जीवन से परे जो कुछ हो रहा है, उसे देखा है। यह सब सुनी-सुनाई बातों और विश्वास पर आधारित है।
इतने सारे विचार, इतने सारे धर्म, इतने सारे सत्य। अलग-अलग मान्यताएँ भी उतनी ही अलग हैं।
उसका विश्वास पहले से ही कम है और जैसे-जैसे वह इन विचारों पर ग़ौर करता है, उसका विश्वास और कम होता जाता है। इस अजीब-सी दुनिया में उसे अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करने की ज़रूरत है। उसे अपने सुकून के लिए एक जगह—एक सुरक्षित जगह ढूँढने की ज़रूरत है। उसे अपने मन को इस तरह से ढालने की ज़रूरत है कि उसका मन ख़ुद-ब-ख़ुद उस जगह पर चला जाए—उसे उस जगह को अपनी सुकून वाली जगह बनाना है।
वह अपने लिए सुकून वाली जगह कहाँ खोजे? उसके अंदर एक आवाज़ है जो उसे दिन-रात चलते रहने की प्रेरणा देती है। वह मन ही मन रुककर सोचता है और चीज़ों को सरल बनाने की कोशिश करता है। उसे उन चीज़ों की खोज करनी होती है जिनके बारे में वह पूरे विश्वास से जानता है। उसे सबूत खोजने होते हैं। या शायद नहीं? फिर सुबह होती है और उसे लगता है कि आज फिर से गर्मी होगी। जैसे ही सूरज निकलता है, वह एक कप कॉफ़ी पीते हुए सूरज के उदय होने के दृश्य को समझने की कोशिश करता है।
उसके मन में तरह-तरह के विचार उठने लगते हैं। वह सोचने लगता है कि जल्द ही, एक-दो महीने में गर्मी कम होने लगेगी। फिर पतझड़ आ जाएगी और उसके बाद सर्दी आएगी। और फिर जल्दी ही बसंत नव-जीवन लेकर आ जाएगा। वह फिर से हैरान होकर सोचता है कि इस सबके पीछे क्या कारण है। आसमान में दिखाई देता आग का यह गोला (सूरज) जो सबके जीवन का आधार है अब आसमान में बहुत ऊँचा चढ़ गया है और रात में इसकी जगह पर चाँद होगा। चिड़ियाँ चहकती हैं, चींटिंयाँ मेहनत करती हैं, तूफ़ान आते हैं, फूल खिलते हैं, पेड़ तेज़ हवा में झूमते हैं जिससे बारिश आती है।
कोई तो ताक़त है जिसके कारण यह सब हो रहा है। उसे इस बात पर कोई संदेह नहीं है। वह इसे उतनी ही सरलता और स्पष्टता से स्वीकार करता है जितनी सरलता से इसे प्रस्तुत किया गया है; इसके पीछे कोई छिपा हुआ अर्थ नहीं है। तभी उसे एहसास होता है कि अगर उसे कभी किसी सबूत की ज़रूरत पड़ी तो यही वह सबूत है! सूर्य, चंद्रमा, ग्रहों और आकाशगंगाओं, पृथ्वी पर रहने वाले जीव-जंतुओं और पौधों, हवाओं, बादलों, ज़मीन और पानी के बारे में उसके विचार अचानक उसे जीवित होने का एहसास कराते हैं। इतना भरपूर जीवन और इतनी गतिशीलता किसी ताक़त के होने का ही तो सबूत है!
क्या इस एक ताक़त या सृजनात्मक जीवन-शक्ति के लिए अलग-अलग धर्मों में अलग-अलग शब्द हो सकते हैं?
और फिर उसे याद आता है कि वह एक ऐसे मार्ग के बारे में जानता है जिसमें सभी धर्मों का सार समाया हुआ है। एक ऐसा मार्ग जो तोड़ता नहीं बल्कि जोड़ता है। जो कहता है कि इस बात से कोई फर्क़ नहीं पड़ता कि आप किस धर्म को मानते हैं, इस मार्ग पर चलने के लिए आपको अपना धर्म छोड़ने की ज़रूरत नहीं है।
यह मार्ग पुनर्जन्म और कर्म-फल के सिद्धांत द्वारा यह समझाता है कि संसार में क्यों कुछ लोगों का जीवन इतना अच्छा है जबकि अन्य लोग इतने कष्टों से भरा जीवन जीते हैं।
उसे हाफ़िज़ का एक उद्धरण याद आता है जो इस प्रकार है:
ऐ हाफ़िज़, वह यार दिन-रात हमारे साथ है,
वह हमारी जिंद-जान है जो हमारी रगों में बहता है।
ख़्वाजा हाफ़िज़
उसे लगता है कि उसके लिए इस कथन की गहराई को समझ पाना मुश्किल है। लेकिन फिर उसे याद आता है, नहीं, उसे पता है कि वह ताक़त हर पल, हर जगह मौजूद है। वह अब भी उस ताक़त को देख रहा है! वह मार्ग उसे समझाता है कि इस रचना को समझने के लिए उसकी बुद्धि बहुत सीमित है; वह इस रचना को बहुत सीमित नज़रिए से देखता है। यह भी कि उसे सब कुछ जानने की ज़रूरत नहीं है। उसे सिर्फ़ कुछ ही चीज़ें जाननी हैं। उसे और कुछ भी याद रखने की ज़रूरत नहीं है।
और हाँ, इस सबके लिए विश्वास होना ज़रूरी है पर अब वह इसके लिए ख़ुद कोशिश कर सकता है क्योंकि यही सत्य है। और इस मार्ग पर चलने के लिए उसके दिल में दीनता, ईमानदारी और प्यार होना चाहिए। उसे बस देहधारी गुरु की संगति में आकर उनके उपदेश को सुनना है। और विश्वास करने या न करने का फ़ैसला उसे ख़ुद करना है, पर वह विश्वास करे या न करे, जब उसका ध्यान अपनी कमज़ोरियों पर जाता है तब उसे याद आता है कि उसके पास असल में सबूत है।
इसलिए वह उन कुछ चीज़ों के बारे में सोचता है जिनके बारे में उसे जानने की ज़रूरत है, वह है गुरु का मूल उपदेश। उसे शाकाहारी भोजन अपनाने; शराब या नशीले पदार्थों से परहेज़ करने; निर्मल नैतिक जीवन जीने और प्रार्थना करने के अलावा और कुछ भी जानने की ज़रूरत नहीं है।
और वह प्रार्थना कैसे करे? अरे हाँ! उसे बताया गया है—भजन-सिमरन।
अचानक उसे राहत महसूस होती है और दूसरी बार कप में कॉफी डालने से पहले वह उस सुकून वाली जगह की खोज कर लेता है।