संक्षेप में सत्य
चुनाव
क्या पीना चाहते हो तुम —
मय या जल? क्योंकि रख नहीं सकते एक ही मर्तबान में
तुम दोनों को।
उस मर्तबान से, असल में
मुश्किल है लेना आनंद मय का
ख़ाली न हो जो पूरी तरह
पहले से भरे जल से।
इसलिए ज़रूरी है जल को बाहर निकालना
उसमें मय भरने से पहले।
तुम्हारे लिए भी यही सच है:
बाहर निकाल दो उसे, जो तुम्हें भटकाए,
और बनाओ जगह सिर्फ़ उस प्रेम के लिए
काफ़ी है जो हर तरह की तृप्ति के लिए।
माइस्टर एक्ख़ार्टज़ बुक ऑफ़ डार्कनैस एण्ड लाइट
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चींटी चावल लै चली, बिच में मिलि गइ दार॥
कह कबीर दोउ ना मिलै, इक लै दूजी डार॥…
नगर चैन तब जानिये, (जब) एकै राजा होय।
याहि दुराजी राज में, सुखी न देखा कोय ॥
संत कबीर